बिरले ही होते हैं जिनके लिए शब्द स्वत फूटते हैं, आज मन उद्वेलित है ‘अटल’ जी को मेरी तरफ से अनंत ज्योति में विलीन होने पर अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि…
मृत्यु मौन किन्तु ‘अटल’ है,
आती है बिन आहट वह,
ओहदा, प्रेम, प्रसिद्धि भी
मगर नहीं देखती वह,
अनंत विलीन हो जाती है
ख़ामोशी से लेकर श्वास !
और छोड़ जाती है पीछे ,
स्मरणों के दस्तावेज,
जिसमें, खोजते ,
हम फिरते हैं,
बिम्ब, शब्द,
और उनके
न होने का एहसास!
दो बूंद अश्रु ही सही
किंचित पलों का शोक सही,
मृत्यु निष्ठुर है कब ठहरी है?
जीवन से हर हाल बली है
आज जाने का है क्षोभ बड़ा
है कल आने का
विश्वास ‘अटल’!
URL: India Speaks Daily hindi poem by sanjeev joshi
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