पत्रकारिता में अभिसार शर्मा की वही हैसियत है, जो किसी नाटक मंडली में ‘नटुए’ की होती है। इसकी बौद्धिक जानकारी इतनी कम है कि इसे यह तक नहीं पता कि गेहूं और धान में अंतर क्या है? यह बत्तमीज ‘नटुआ’ महिलाओं का सम्मान करना हो जानता ही नहीं! हाल ही में पद्म पुरस्कार से सम्मानित लोकगायिका मालिनी अवस्थी को अपने चमचों के साथ मिलकर ट्वीटर पर यह ट्रोल कर रहा था। मालिनीजी ने केवल यह सवाल उठाया था कि ‘कठुआ पर शर्म आई और मंदसौर पर जुबां पर ताले! आक्रोश में भेदभाव। बॉलीवुड में अब न कोई तख्ती लटका रहा, न विदेशी अखबारों और मीडिया में भारत को बदनाम करता कोई लेख लिख रहा, न घंटों विलाप करने वाले एंकर अब व्यथित दिख रहे! बच्चियों में भी भेदभाव का दोहरा मापदंड सिर्फ सेक्युलर कर सकते हैं?’
इस जायज सवाल को सांप्रदायिक बनाते हुए इसने न केवल मालिनीजी को ट्रोल किया, बल्कि मंदसौर में बलात्कार की शिकार उस फूल-सी बच्ची के प्रति असंवेदनशीलता दर्शाते हुए इसके कम्युनिस्ट न्यूज चैनल ‘एबीपी’ ने टवीट किया और अपने वेब पर पोस्ट लिखा: Mandsaur: 7 years old girl raped; CM Shivraj demands death penalty for Muslim accused. एबीपी ने बलात्कार आरोपी को मुसलमान बताकर साबित करना चाहा कि चूंकि मुख्यमंत्री हिंदू हैं, इसलिए फांसी की मांग कर रहे हैं?
महिलाओं के प्रति असंवेदनशील यह ‘नटुआ’ अपने फायदे के लिए अपनी बीबी तक का इस्तेमाल कर चुका है। भ्रष्टाचार के अरोप से बचने के लिए इसकी बीबी ने एक निर्दोष ईमानदार अधिकारी पर यौन शोषण का आरोप लगाया था, जिसे हाईकोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया। इसके बावजूद इस पतित को शर्म नहीं आती। यह चीख-चीख कर झूठ बोलता है कि उसकी पत्नी को बदनाम किया जा रहा है, जबकि यौन कांड को लेकर इसकी पत्नी ही भ्रष्टाचार के आरोपी पी. चिदंबरम और एनडीटीवी को बचाने के लिए बीच में कूदी थी। हाईकोर्ट ने उसकी पत्नी को फर्जी पाते हुए उसके लगाए आरोप को रद्द कर दिया था। इसकी पत्नी सुमना सेन के उस ‘यौन’ कांड की पूरी रिपोर्ट ‘यथावत’ पत्रिका में पत्रकार जितेंद्र चतुर्वेदी ने लिखी थी, जो पाठकों के लिए प्रस्तुत है। पढि़ए और जानिए ये लोग कितने नीच किस्म की मानसिकता से भरे हैं…
वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर 5000 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप है। उन्होंने इस काले धन को सफेद करने के लिए नई दिल्ली टेलीविजन (एनडीटीवी) की मदद ली । इस मामले का विस्तार से खुलासा करते हुए वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने कहा कि जब 2004 में एनडीटीवी रुपए की कमी से जूझ रहा था और करीब-करीब बंद होने की कगार पर था तो अचानक उसके खाते में 300 मिलियन पाउंड आ गए। जबकि एनडीटीवी ने अपने सालाना बही खाते में 300 मिलियन पाउंड के निवेश की कोई चर्चा नहीं की। जबकि भारतीय कंपनी अधिनियम के मुताबिक कंपनी को अपनी सभी फर्मों का वार्षिक लेखा-जोखा सरकार को देना होता।
सुमना सेन (अभिसार शर्मा की पत्नी) उस समय एनडीटीवी की एसेसिंग अधिकारी थी। इससे साफ है कि सुमना सेन के पास ही एनडीटीवी के बही खाते की निगरानी करने की जिम्मेदारी थी। लेकिन उसने अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की। सुमना सेन ने एनडीटीवी में कार्यरत अपने पति अभिसार शर्मा के साथ मिलकर NDTV को कर चोरी करने में मदद की थी। इसके बदले उन्हें रिश्वत दी गई थी। प्रारंभिक जांच में मिले तथ्य से ये स्पष्ट हो गया था कि सुमना ने सरकार को गुमराह किया था। वह एनडीटीवी के खर्चे पर यूरोप टहलने गई, पर सरकार को बताया कि कंपनी ने उनके पति को परिवार के साथ छुट्टी मनाने के लिए भेजा था। मालूम हो कि सुमना के पति अभिसार शर्मा एनडीटीवी में 2003-07 के बीच विशेष संवाददाता के रूप में कार्यरत थे। इसी दौरान वह एनडीटीवी की एसेसिंग अघिकारी भी थीं ।
राजस्व अधिकारी संजय श्रीवास्तव इसकी जांच कर रहे थे। दिल्ली में संजय श्रीवास्तव के रहने का मतलब था एनडीटीवी की जांच। इससे चिदंबरम फंस जाते। इसलिए चिदंबरम ने उन्हें हटाने का दूसरा रास्ता निकाला। महिला राजस्व अधिकारी सुमना सेन और अश्ना नेब ने संजय श्रीवास्तव पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा दिया। इसकी शिकायत उन्होंने सीवीसी और सीबीडीटी से की, लेकिन वहां इन दोनों अधिकारियों को FIR दर्ज कराने को कहा गया।
इस मामले में पी.चिदंबरम को घेरने वाले वरिष्ठ वकील रामजेठमलानी का कहना है कि इसी आरोप को आधार बनाकर 2007 में पी चिदंबरम ने संजय श्रीवास्तव को निलंबित करवा दिया। वे 2010 तक निलंबित रहे। जेठमलानी ने कहा कि संजय श्रीवास्तव के साथ सुमना सेन और अश्ना नेब ने कभी काम नहीं किया। इतना ही नहीं, राजस्व अधिकारी संजय श्रीवास्तव और सुमना सेन व अश्ना नेब कभी एक दफ्तर या बिल्डिंग में साथ काम करना तो दूर, साथ बैठे तक नहीं! इसके बावजूद सुमना सेन व अश्ना नेब द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप संजय श्रीवास्तव पर लगाना, साफ-साफ इनके फर्जीवाड़े को दर्शाता है कि एनडीटीवी और चिदंबरम को बचाने के लिए ये लोग कितना नीचे तक गिर सकते थे!
2007-10 के बीच यौन उत्पीड़न आरोप की जांच-पड़ताल तक नहीं की गई। न ही दोनों महिला अधिकारियों ने कोई प्राथमिकी दर्ज कराई। इसकी कोई लिखित शिकायत भी कार्यालय को नहीं दी गई। राम जेठमलानी ने दावा किया कि यह सब पी चिदंबरम के इशारे पर होता रहा, क्योंकि वे हर हालत में संजय श्रीवास्तव को जांच से दूर रखना चाहते थे। लेकिन उनकी इस कोशिश पर सीएटी ने पानी फेर दिया! सीएटी ने संजय श्रीवास्तव का निलंबन निरस्त कर दिया। बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय में यह साबित हुआ कि सुमना सेन और आशिमा नेब ने यौन उत्पीड़न का झूठा आरोप लगाया था।
हाईकोर्ट ने इन दोनों महिलाओं के आरोपों को निराधार पाते हुए उसे रद्द कर दिया। अब सोच कर देखिए कि अभिसार शर्मा और इसकी पत्नी कितने भ्रष्ट आचरण के आरोपों से घिरे हैं। अभिसार शर्मा फेसबुक लाइव के जरिए बार-बार झूठ बोलता रहता है कि उसकी बीबी को बदनाम किया जा रहा है। अरे! जिसने खुद ही एक जांच को भटकाने के लिए अपने ‘यौन’ उत्पीड़न की झूठी कहानी गढ़ी हो उसका क्या मान और क्या अपमान? हाई कोर्ट के फुल ऑर्डर में साफ-साफ लिखा है कि सुमना सेन और आशिमा नेब के आरोप बेबुनियाद और निराधार हैं, जिसे रद्द किया जाता है। लेकिन कहते हैं न कि जिसकी आंख में शर्म-हया बची ही न हो तो वह नंगई करेगा ही? ‘नटुआ’ अभिसार शर्मा नंगई पर उतरा हुआ है!
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नोट: उपरोक्त सन्दर्भ ‘यथावत’ (16-28 फरवरी 2014) मैगजीन में ‘चिदंबरम का हवालाकांड’ शीर्षक से प्रकाशित लेख से लिए गए हैं। India speaks daily उपरोक्त दावों की पुष्टि नहीं करता है।
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