अगले साल होने वाले आम चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस की शह पर क्रिश्चियनों ने जहर उगलना शुरू कर दिया है। कांग्रेस को चुनावी लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से देश में धार्मिक उन्माद फैलाने का अभियान चलाया जा रहा है। इसकी शुरुआत दिल्ली कैथोलिक चर्च के मुख्य पादरी अनिल कोटो ने की है। कांग्रेस के शह पर ही उन्होंने कहा है कि क्रिश्चियन समुदाय भारत सरकार के धर्मांतरण विरोधी कानून के पक्ष में नहीं हैं। इसके साथ ही कोटो ने ‘घर
वापसी’ अभियान को शांत और सद्भाव के लिए खतरा बताया है।
मुख्य बिंदु
* मुख्य पादरी ने कहा कि क्रिश्चियन समुदाय किसी भी धर्मांतरण विरोधी कानून के पक्ष में नहीं है
* ‘घर वापसी’ अभियान को समाज में व्याप्त शांति और सद्भाव के लिए खतरा बताया है
अगले साल होने वाले चुनाव में कांग्रेस को फायदा पहुंचाने के लिए चुनावी प्रार्थना अभियान चलाने का आह्वान करने वाले दिल्ली के मुख्य पादरी अनिल कोटो ने कहा है कि धर्मांतरण पसंद और चुनाव का मामला है जो संविधान प्रदत्त है। ऐसे में ‘धर्म की स्वतंत्रता’ या धर्मांतरण पर पाबंदी लगाने के लिए हमें अलग से किसी कानून की क्या जरूरत है? क्रिश्चियन समुदाय भारत सरकार के इस प्रकार के किसी कानून के ही पक्ष में नहीं है।
कहने का मतलब साफ है कि भारत में अब क्रिश्चियन भी अपने धर्म के हिसाब से ही चलना चाहते हैं न कि भारत के संविधान और कानून के अनुरूप। तभी तो उन्होंने अपने समुदाय को इस कानून का विरोध करने के लिए उकसा रहे हैं। ताकि वह अपने मूल लक्ष्य यानि धर्मांतरण के काम में जुट सके।
इतना ही नहीं कोटो ने भारत सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार करना भी शुरू कर दिया है। उन्होंने भारत सरकार पर गरीब लोगों को बीपीएल कार्ड या अन्य सुविधा देने से पहले क्रिश्चियनों का भय दिखाने का आरोप लगया है। दिल्ली के मुख्य पादरी हों या उनके इशारे पर काम करने वाले हो ये सभी मोदी सरकार को बदनाम करने और देश में शांति सौहार्द बिगाड़ने के अभियान में शामिल हैं।
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