औरंगजेब पर लगतार लिखने और उसके क्रूर करतूतों को एक विशेषांक पत्रिका निकाल कर जन-जन तक पहुंचाने की मुहिम क्या मैंने छेड़ी, मेरे कई मुसलमान मित्र मुझसे नाराज हैं। कुछ इन बॉक्स में तो कुछ सीधे टिप्पणी में लिख रहे हैं कि औरंगजेब ने भारत को सोने की चिडि़या बनाया, तुमने क्या दिया? ठीक ऐसा ही इतिहास पाकिस्तान भी अपने लोगों को पढ़ा रहा है कि पाकिस्तान ने भारत को बनाया, वह 1965 के युद्ध में जीता वगैरह!
अब जो लोग भारत की शुरुआत अपने दादा गजनी-गोरी से मानते हैं, उनके लिए तो औरंगजेब ही सोने की चिडि़या उड़ाता प्रतीत होगा? यदि ये गोरी-गजनी से पूर्व के शासकों को भी अपना पूर्वज मानते तो शायद ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें नहीं करते! भारत का स्वर्णकाल गुप्त वंश का काल था। गुप्त वंश कहने में शायद इनका ईमान नष्ट होता हो!
वास्तव में औरंगजेब इस देश का पहला बादशाह था, जिसने दस्तावेजी रूप से भारत का विभाजन किया। जब वह मरा तो उसके सिरहाने दस्तावेज रखा था, जिसमें उसने भारत को चार हिस्सों में बांट दिया था और अलग-अलग बेटों को उसका शासक घोषित किया था। और ताज्जुब देखिए, औरंगजेब के जाने के बाद उसके असली वारिसों ने तो नहीं, लेकिन उसके कटटर इस्लामी वारिसों ने भारत के चार टुकड़े कर दिए- भारत तो था ही, उसके अलावा अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बंग्लादेश। यह सभी हिस्सा एक समय औरंगजेब के शासन काल में था और यह सभी हिस्सा अलग-अलग समय में उसी इस्लाम के नाम पर टूटता चला गया, जिस इस्लाम की स्थापना के लिए औरंगजेब दूसरे धर्म के मानने वालों का नरसंहार करता रहा!
औरंगजेब की मृत्यु के केवल 30 साल के भीतर मुगल साम्राज्य खोखला हो गया। जब वह मरा तो खजाना खाली था। उसने भारत में कटटर इस्लामी शासन की स्थापना कर हिंदू-मुसलमान के बीच नफरत की इतनी बड़ी खाई बना दी जो आज तक नहीं भरा है। मराठे, जाट, राजपूत, सिख, सतनामी- सब उसके जीवन काल में विद्रोह पर उतर आए। औरंगजेब अपने साम्राज्य को बचाने के लिए अपने केंद्र-आगरा व दिल्ली को छोड़कर दक्षिण में पड़ा रहा और वहीं मरा।
मौत के समय उसे अपनी इस्लामी कटटरता पर पछतावा होता रहा और उसके ही खुदा की रहमत देखिए कि खून का दस्त करते करते उसकी मौत हुई। ईश्वर ने न केवल उसे, बल्कि उसके पूरे मुगल वंश को सजा दे दी। 1857 की क्रांति के बाद बहादुरशाह जफर के बच्चों को नंगा कर अंग्रेजों ने जनता के समक्ष गोली से उड़ा दिया; ठीक उसी तरह जिस तरह औरंगजेब ने हिंदू-मुस्लिम एकता को स्थापित करने के प्रयास में लगे अपने बड़े भाई दाराशिकोह को मारा था! ईश्वर सजा देता है और वह इस देश के सभी कटटर शासकों व उसके वंश को मिला! आज उनमें से किसी का दूर दूर तक नामों निशान नहीं है, लेकिन सहिष्णु भारत आज भी जिंदा है! गुप्त वंश के वारिसों का उपनाम आज भी है, लेकिन मुगलों का आज कोई नामलेवा तक नहीं हैं। यही भारत है, यही ईश्वर का न्याय है!