मोदी जी राम मंदिर पर अध्यादेश लाइए नहीं तो जाइये! देखिये विडियो…
सुप्रीम कोर्ट जैसी शीर्ष न्यायिक संस्थान जब तक औपनिवेशिक गुलाम मानसिकता से बाहर निकल कर भारतीय संदर्भ में सोचना नहीं शुरू करेगी तब तक देश के बहुसंख्यकों की आस्था के खिलाफ साजिश सफल होती रहेगी। आखिर में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने एक बार फिर अयोध्या विवाद मामले को लटका दिया। जिस प्रकार पहले से ही कांग्रेस के कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे नेताओं ने बाबरी मस्जिद वालों का पक्ष लेकर इस मामले की सुनवाई 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद करने की अपील की थी, उसी के आलोक में सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने अगली सुनवाई की तारीख तय करने के लिए जनवरी तक इस मामले को लटका दिया है। मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई महज 3 मिनट की और तीन महीने के लिए इस मामले को लटका दिया।
मुख्य बिंदु
* सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ अयोध्या मामले में सुनवाई की तारीख जनवरी में तय करेगी
* कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में मुसलिमों का पक्ष रखते हुए 2019 लोकसभा चुनाव के बाद सुनवाई करने की मांग की थी
जिस प्रकार सिब्बल के अनुरोध के अनुरूप सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लटकाया है उसे देखते हुए इसे कांग्रेस और सुप्रीम कोर्ट के कुछ जजों के बीच साजिश नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे? इतना बड़ा मामला, इतने दिनों से चलने वाला मामला, इतने दिनों की प्रतीक्षा के बाद होने वाली सुनवाई महज 3 मिनट चलती है और तीन महीने के बाद सुनवाई की तारीख तय होने का फैसला कर दिया जाता है। इसे बहुसंख्यकों की आस्था के खिलाफ साजिश नहीं तो और क्या कहेंगे? इस प्रकार की साजिश को देखते हुए अब मोदी सरकार के सामने अध्यादेश लाने के अलावा कोई और दूसरा विकल्प नहीं बचा है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में आज अयोध्या मामले की सुनवाई होने वाली थी। इससे बहुसंख्यकों की आस बंधी थी कि अयोध्या में भव्य मदिर के निर्माण का रास्ता साफ होगा। लेकिन इस मामले की सुनवाई करने वाली नई खंडपीठ ने एक बार फिर इस मामले को लटकाना ही उचित समझा है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है। अन्य दो सद्सय जस्टिस संजय किशन कौल तथा जस्टिस केएम जोसफ शामिल थे।
जिस प्रकार सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई जनवरी तक के लिए टाल दी है उसे देखते हुए मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने जो संदेह जताया है वह अकारण नहीं । आखिर कब तक देश के बहुसंख्यकों के सब्र का इम्तहान लिया जाएगा?
अयोद्या विवाद मामले में आज 2010 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर होनी थी। मालूम हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में इस मामले में अहम फैसला देते हुए विवादित मूभि को तीन भागों में बांटने को कहा था। उसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थी।
URL: Ayodhya case: SC bench to decide schedule for hearing in first week of January
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