हिदुओं के प्रति अन्याय से भारत का पूरा इतिहास भरा पड़ा है लेकिन स्वधन्यमान पत्रकार बरखा दत्त को कभी देश में हिंदुओं के साथ अन्याय हुआ दिखता ही नहीं। हिंदू बनकर हिंदुओं का अनहित करना और अपना हित साधना अगर किसी को सीखना हो तो बरखा दत्त से सीखा जा सकता है। उसने हाल ही में अपने एक वीडियो के सहारे यह स्थापित करने का प्रयास किया है कि भारत में कभी हिंदुओं के साथ अन्याय नहीं हुआ है। उसके इस वीडियो को द प्रिंट ने अपलोड कर उसे प्रचारित किया है। वह द प्रिंट जिसके संस्थापक संपादक शेखर गुप्ता हैं, जिनपर फेक न्यूज प्रचारित करने का आरोप है। यह वही शेखर गुप्ता हैं जिन्होंने कठुआ रेप कांड मामले में देश और हिंदुओं को बदनाम करने के लिए बरखा दत्त के साथ मिलकर पूरा अभियान चलाया था। एक बार फिर शेखर गुप्ता की वेबसाइट ने बरखा दत्त के इस वीडियो को अपलोड कर हिंदुओं को बांटने की चाल चली है।
मुख्य बिंदु
* अपनी एक वीडियो के सहारे यह फैलाने में जुटी है पत्रकार बरखा दत्त कि देश में कभी हिंदू के साथ अन्याय हुआ ही नहीं
* जबकि सच्चाई यह है कि कांग्रेस सरकार ने हमेशा ही तुष्टिकरण कर हिंदुओं के साथ संस्थागत अन्याय ही किया है
बरखा दत्त का यह वीडियो पहले की ही तरह झूठ से अटा पड़ा है। उसने अपने इस वीडियो के लिए झूठे आंकड़े और अपनी लफ्फाजी का सहारा लिया है। उसने जो झूठे आंकड़े इकट्ठे किए है वे सारे आंकड़े अंग्रेजी मीडिया में वामियो और कांगियो पत्रकार के प्रकाशित झूठी रिपोर्ट से लेकर आलेख तक शामिल है। जिसकी कोई मान्यता नहीं है उसे ही बरखा दत्त ने डाटा का नाम दे दिया है। अपने वीडियो के माध्यम से यह प्रचारित करने का प्रयास किया है कि भारत में कभी भी हिंदुओं के साथ कोई अन्याय हुआ ही नहीं। पराकांतर से उसने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के उस बयान को आगे बढ़ाया है कि इस देश में हिंदुओं के साथ अन्याय हो ही नहीं सकता क्योंकि वह बहुसंख्यक है।
बरखा दत्त ने अपने इस वीडियो से हिंदुओं को न केवल बांटने का काम किया है बल्कि हिंदुओं को नेनृत्वहीन करने का भी प्रयास किया है, ताकि देश के हिंदू न एक हो सकें न ही किसी राजनीतिक पार्टी को अपना नेतृत्व सौंप सकें। तभी तो उसने कहा है कि देश के हिंदुओं ने सबरीमाला और दिवाली के दौरान यह दिखा दिया है कि वे अपनी संस्कृति और परंपरा को बचाने के लिए खुद एक होने में समर्थ हैं। देश के हिंदू बगैर किसी राजनीतिक पार्टी पर विश्वास जताए एक हो सकते हैं।
बरखा दत्त के इस वीडियो के दर्शकों को यह समझना होगा कि आखिर उसने ऐसा क्यों कहा है? दरअसल बरखा दत्त अब पत्रकार न होकर कांग्रेस की प्रवक्ता की भूमिका निभा रही हैं। इसलिए वह समझती है कि आज के समय में देश के अधिकांश हिंदुओं का भारतीय जनता पार्टी में अटूट विश्वास है। इसी विश्वास को तोड़ने के लिए बरखा दत्त ने अभियान चला रखा है। बरखा दत्त ने अपने इस वीडियो में सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश वर्जित मामले की तुलना मुसलिम महिलाओं के तीन तलाक मामले से की है। उन्होंने कहा है कि जिस प्रकार तीन तलाक एक प्रकार का क्रूर अपराध है उसी प्रकार सबरीमाला मंदिर में महिला प्रवेश वर्जित करने का मामला भी उतना ही बड़ा अपराध है।
बरखा दत्त ने जानबूझ कर अपने वीडियो में हिंदुओं को हिंदुत्व, हल्के हिंदू तथा 2018 के हिंदुओं में बांटा है, लेकिन उसने देश के हिंदुओं के साथ संवैधानिक स्तर पर हुए भेदभाव को नहीं उठाया है। क्या बरखा दत्त को यह नहीं पता है कि संविधान के तहत अल्पसंख्यक समुदाय को दिए गए अधिकार से हिंदुओं को वंचित करना उनके साथ अन्याय है कि नहीं? क्या वह नहीं जानती है कि देश में हिंदुओं के साथ शिक्षा के अधिकार के तहत नाइंसाफी हो रही है कि नहीं? शिक्षा के अधिकार के तहत अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा संचालित स्कूलों में हिंदुओं को दाखिला नहीं मिलना हिंदुओं के साथ अन्याय है कि नहीं? जबकि देश का कोई भी ऐसा बहुसंख्यक द्वारा संचालिते संस्थान नहीं है जो मुसलमानों के लिए वर्जित हो। लेकिन इन मसलों को उन्होंने जानबूझ कर नहीं उठाया। क्योंकि ऐसे मुद्दे उठाने से उसके आका कांग्रेस नाराज जो हो जाएगी।
उसके इस प्रकार के भेदभाव पूर्ण वीडियो देखने के बाद निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि वह हिंदू होने के नाम पर हिंदुओं की जड़ काटने की धूर्त चाल चल रही है।
URL: Barkha Dutt spreading lies against Hindus with false statistics and rhetoric
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