देश, सेना और हिंदुओं के प्रति विदेशी मीडिया की नियत कभी साफ नहीं रही है, वह देश की गरिमा और हिंदुओं को बदनाम करता रहा है। इसमें बीबीसी हमेशा से ही आगे रही है। बीबीसी खास मंशा के तहत सेना और हिंदुओं को बदनाम करने का अभियान चलाती रही है। उत्तराखंड में ‘लव जिहाद’ के आरोपी एक मुस्लिम युवक को बचाने वाले सिख पुलिस अधिकारी को जान से मारने की धमकी वाली फेक न्यूज तो नया उदाहरण है। ऐसे कई घटनाएं है जिससे देश के प्रति बीबीसी की बदनियत साफ झलकती है। इससे पहले चेचनिया में घुसे रूसी टैंक वाले फूटेज का इस्तेमाल कर कश्मीर के हालात को दिखाते हुए सेना को बदनाम करने का अभियान चलाया था। सिख पुलिस अधिकारी को जान से मारने की धमकी वाली झूठी खबर प्रसारित करने के पीछे भी खास मंशा है। दरअसल बीबीसी इस Fake News के सहारे यूके और अमेरिका में रह रहे सिखों के मन में हिंदुओं के प्रति घृणा पैदा करना चाहती है।
What about the the time @BBC reported on #Kashmir using footage of #Chechnya showing Russian tanks? How 'Keynesian' was that? And, "may have got it wrong"? May? Come on Salil, the Beeb has been caught with its pants proudly fluttering from the mast of 'HMS Fake News'. #BBCLies https://t.co/kY2FED9vaW
— Kanchan Gupta (@KanchanGupta) May 31, 2018
बीबीसी खासकर भारत में अपनी गलत खबर पर कभी माफी नहीं मांगती न ही खेद जताती है, बल्कि चुपके से उसमें सुधार करने के नाम पर दूसरा आक्षेप लगा जाती है। इसी मामले में पहले उसने खबर छापी कि सिख पुलिस अधिकारी को मुसलिम युवक को बचाने के लिए धमकी मिली। जब यह खबर पूरी तरह झूठी साबित हुई तो उसने उसे ठीक करते हुए लिखा कि सोशल मीडिया पर उन्हें ऑनलाइन गाली दी गई। स्पष्ट है कि बीबीसी इस मामले को खत्म नहीं बल्कि इसे और खींचना चाहती है।
मुख्य बिंदु
* विदेशी मीडिया शूरू से ही देश, सेना और हिंदुओं को बदनाम करने का षडयंत्र रचता रहा है
* कई तथकथित लिबरल देसी पत्रकारों ने भी देश को बदनाम करने का ठेका विदेशी मीडिया से उठा रखा है
बीबीसी ही क्यों? डेली मेल जैसे कई अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों ने भी इस झूठी खबर को काफी तरजीह दी है। जबकि देसी मीडिया ने संबंधित पुलिस अधिकारी गगनदीप सिंह के हवाले से खबर दी है कि उन्हें कहीं से कोई धमकी नहीं मिली है न ही उन्हें सोशल पर ऑनलाइन को गाली दी गई है। लेकिन बीबीसी और डेली मेल जैसा विदेशी मीडिया के साथ देश के ही कई तथाकथित लिबरल पत्रकार भी आधिकारिक बयान के तहत कोई धमकी नहीं मिलने वाली बात तक पर विश्वास करने से इनकार कर देते हैं। क्योंकि उनका तो एक ही लक्षित अभियान होता है भारत और हिंदुओं को बदनाम करना।
इसके पीछे की मंशा साफ है। आपको मालूम होना चाहिए कि बीबीसी और डेली मेल का यूके में काफी बड़ा पाठक वर्ग है। इसके अलावा यहां चार लाख सिख बसे हुए हैं। यह तो अब जान चुके हैं कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया भारत के खिलाफ फेक न्यूज को लगातार बढ़ावा दे रहा है और इससे भारत के असली विमर्श को बदलना चाहता है। न्यू यॉर्क टाइम्स हो या यूके का कोई अन्य प्रकाशन लगातार भारत के खिलाफ फेक न्यूज का अभियान चला रखा है। यहां तक कि ये लोग न्यूज को फेक नहीं बनाते बल्कि भारत के खिलाफ फेक न्यूज का आविष्कार करते हैं, ताकि भारत में सांप्रदायिक तनाव और हिंसा किया जा सके और फिर हिंदुओं को बदना करने का अभियान चलाया जा सके। सिख पुलिस अधिकारी को धमकी देने की झूठी खबर भी हिंदुओं के प्रति वहां के सिखों में घृणा पैदा करना ही मुख्य उद्देश्य है।
इसके पीछे एक और उद्देश्य है। दरअसल यूके खुद ही मुसलिम समस्याओं का सामना कर रहा है। अब वहां बन रहे नए मुसलिम गैंग वहां की छोटी-छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार करना शुरू कर दिया है। वहां का मुसलिम गैंग इतना ताकतवर हो गया है कि अब उसे वहां के अधिकारियों का भी भय नहीं रहा, बल्किन वहां के अधिकारी भी मुसलमानों से डरने लगे हैं। इसलिए अपनी यहां की समस्या से दुनिया का ध्यान हटाने के लिए ही उसने भारत में धार्मिक विभेद को उभाड़ना शुरू कर दिया है। ताकि दुनिया का दुनिया का ध्यान उधर जाए।
इस खेल में विदेशी मीडिया से हिंदुओं को बदनाम करने का ठेका देश के भी राणा अयूब, बरखा दत्त, आरफा खानम शेरवानी और घूमे जैसे कई तथाकथित लिबरल पत्रकारों ने लिया हुआ है। वे वाशिंगटन पोस्ट, वाल स्ट्रीट जरनल, द न्यू यॉर्क टाइम्स सहित अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन में अपने आलेख के माध्यम से हिंदुओं को बदनाम करते रहते हैं। हाल ही में राणा अयूब ने द न्यू यॉर्क टाइम्स में ‘In India, Journalists Face Slut-Shaming and Rape Threats’ शीर्षक से आलेख लिखा है। आलेख के शीर्षक से ही देश में पत्रकारिता और पत्रकारों की दशा और दिशा पर सवाल खड़ा हो जाता। देश को इससे अधिक बदनाम करना और क्या होता है?
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1) बीबीसी फेक न्यूज : मुसलिम युवक को बचाने वाले पुलिस अधिकारी को नहीं मिली कोई धमकी!
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