जो मीडिया कभी आम जनता के विश्वास का केंद्र माना जाता था आज तिकड़मों का अड्डा बन गया है। दूसरों को नीति, विधि और सुचिता का पाठ सिखाने वाला अधिकांश मीडिया अनैतिकता, गैरकानूनी तथा तिकड़म का अड्डा बन चुका है। लेकिन आज कल मीडिया में जो सबसे बड़ा घपला हो रहा है वह है ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) का टीआरपी तंत्र। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमनियन स्वामी ने आरोप लगाया है कि मीडिया परिचालन में बार्क सबसे बड़ा घोटाला कर रहा है। उन्होंने कहा है कि अगर अभी तक स्मृति इरानी सूचना प्रसारण मंत्री होती तो बार्क को खत्म कर चुकी होती, लेकिन अब जब वह है ही नहीं तो देश हित में उनके अधूरे काम को मुझे ही पूरा करना होगा।
मुख्य बिंदु
* भाजपा नेता सुब्रनियन स्वामी ने देश हित में स्मृति इरानी के अधूरे काम को पूरा करने का किया ऐलान
* मीडिया को फेक न्यूज से बचाने के लिए बार्क जैसी घपलेबाज एंजेसी को खत्म करना ही एक मात्र समाधान
One of the biggest scandals in media manipulation is the TRP mechanism call BARC. Had Smriti remained I&B Ministry she would have dismantled it. But now in the national interest I will have to work on her unfinished business to eliminate fake news
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 18, 2018
दरअसल स्वामी के इस आरोप को समझने के लिए आपको बार्क और इसकी कार्यप्रणाली के बारे में जानना जरूरी है। ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) भारत के ब्रॉडकास्टर्स, विज्ञापन एजेंसियों और विज्ञापनदाताओं का संयुक्त समूह है। यही वह एजेंसी है जो भारत के टीवी चैनलों की रेटिंग निर्धारित करती है। इसी ने देश के कई घरों में व्यूअरशिप बार-ओ-मीटर लगा रखा है जिससे दर्शकों तथा टीवी चैनलों की रेटिंग पता चलती है। दर्शकों के आंकड़े प्राप्त करने के लिए बार्क ने देश के कुछ घरों में बार-ओ-मीटर लगा रखा है। जिन घरों में बार-ओ-मीटर लगे हैं उन्हों पैनल होम भी कहते हैं। इनकी पहचान गोपनीय रखी जाती है ताकि कोई छेड़छाड़ न कर सके। यहां ध्यान रखना होगा कि भले ही चैनल को पता न चले लेकिन बार्क को सारा कुछ पता होता है। इसी कारण उसपर मीडिया को अपने हिसाब से चलाने का आरोप लग रहा है।
बार्क का, भारत में अस्तित्व में आना भी एक षड्यंत्र बताया जाता है। बार्क से पहले टीवी चैनलों की रेटिंग एजेंसी टैम मीडिया रिसर्च थी। लेकिन एनडीटीवी ने टैम की विश्वनीयता पर सवाल उठाते हुए न्यूयॉर्क की एक अदालत में इसे चुनौती दी। आरोप है कि एनडीटीवी ने बार्क को भारत में लाने के लिए टैम के अधिकारियों पर घूस लेने का आरोप लगाया था। एनडीटीवी ने कोर्ट में टैम के अधिकारियों पर घूस लेकर टीवी चैनलों में आए दर्शकों के आंकड़ों में हेराफेरी करने का आरोप लगाया था। दरअसल बार्क की नजर भारत के 500 करोड़ रुपये के विज्ञापन बाजार पर थी। क्योंकि रेटिंग निर्धारित करने का मतलब है विज्ञापनों का निर्धारन करना। मालूम हो कि विज्ञापन का निर्धारण दर्शक संख्या के आधार पर होता है और बार्क के भारत में आ जाने के कारण दर्शक संख्या निर्धारण करने का काम उसी के हाथ में आ गया।
बार्क की हेराफेरी का खुलासा तब सामने आया जब मुंबई स्थित ग्लोबल मार्केट रिसर्च कंपनी, हंसा रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड ने अपने ही एक कर्मचारी के खिलाफ बार्क से संबंधित जानकारी लीक करने के आरोप में पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। मालूम हो कि यह वही एजेंसी है जो बार्क के लिए काम करती है और लोगों के घरों में बार-ओ-मीटर लगाती है।
स्वामी ने अगर बार्क पर घपले का आरोप लगाया है तो वैसे ही नहीं लगाया है। दरअसल बार्क टीवी रेटिंग के नाम पर करोड़ो रुपये का घपला कर रहा है। एक तो वह कभी यह खुलासा नहीं करता कि देश के किन-किन घरों में बार-ओ-मीटर लगा है? दूसरा यह कि वह संख्या तो बताता है लेकिन पहचान नहीं बताता, इससे उसकी सत्यता नहीं जांची जा सकती है। उसने अपना सैंपल साइज इतना छोटा रखा है कि उस पर विश्वास करना मुश्किल है। बार्क पर कई बार पहले भी पैनल से छेड़छाड़ करने का आरोप लग चुका है। ये सारे पहलू हैं जिसमें घपला हो रहा है और बार्क इसमें सीधे शामिल है। स्मृति इरानी टीआरपी एजेंसी को पारदर्शी तरीके से काम करने को कहा था। उन्होंने जिन घरों में बार-ओ-मीटर लगे हैं उनमें चिप लगाने की बात कही थी ताकि सारे तत्थ पारदर्शी तरीके से सामने आए। लेकिन उनकी मंत्रालय से छुट्टी हो गई। इसलिए स्वामी ने घोषणा की है कि अब देश हित में उन्हें ही यह काम करना होगा।
URL: biggest scandals in media manipulation is TRP mechanism ‘BARC’.
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