धर्म के नाम पर 2047 में एक बार फिर देश के विभाजन होने की आशंका वाले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बयान पर वामी-कांगी पत्रकारों ने विवाद करना शुरू कर दिया है। गिरिराज सिंह के बयान पर विवाद करने वालों इस तथ्य को कैसे झुठलाओगे कि अगर इसी प्रकार मुसलिमों में जनसंख्या विस्फोट होता रहा तो 2040 तक हिंदू पूरे देश में अल्पसंख्यक हो जाएगा। वैसे भी देश के 8 राज्यों में हिंदू पहले ही अल्पसंख्यक हो चुके हैं। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अपने एक ट्वीट के माध्यम से देश में हो रहे जनसंख्या विस्फोट पर चिंता जाहिर करते हुए लिखा है कि अगर यही हालात रहे तो धर्म के नाम पर 2047 में एक बार फिर देश का विभाजन होगा। उनके इसी बयान को लेकर वामियों और कांगियों ने विवाद करना शुरू कर दिया है। जबकि यह कोई विवादित बयान नहीं बल्कि ऐतिहासिक तथ्य के मद्देनजर देश के वर्तमान हालात को बयान करता हुआ तथ्य है।
मुख्य बिंदु
* धर्म के नाम पर 2047 में विभाजन से पहले 2040 तक हिंदू पूरे देश में हो जाएगा अल्पसंख्यक
* साल 2011 से ही देश के आठ राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक बन चुका है, इसलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून जरूरी
देश में मुसलमानों की बढ़ती जनसंख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए भाजपा नेता तथा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय अपने आलेख, वक्तव्य तथा ट्वीट के माध्यम से देश को आगाह करते रहे हैं। इसी संदर्भ में उन्होंने ट्वीट कर बताया है कि 8 राज्यों में तो हम 2011 में ही अल्पसंख्यक हो गए थे! यदि 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए समान शिक्षा तथा सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता जनसंख्या नियंत्रण कानून और धर्मांतरण विरोधी कानून तत्काल नहीं लागू किया गया तो 2040 तक हिंदू पूरे देश में अल्पसंख्यक हो जाएंगे और सेकुलरिज्म समाप्त!
8 राज्यों में हम 2011में ही अल्पसंख्यक हो गए थे! यदि 14वर्ष तक के बच्चों के लिए समान शिक्षा तथा सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता जनसँख्या नियंत्रण कानून और धर्मान्तरण विरोधी कानून तत्काल नहीं लागू किया गया तो 2040तक हम पूरे देश में अल्पसंख्यक हो जाएंगे और सेकुलरिज्म समाप्त! pic.twitter.com/zaJNEeOXTO
— Ashwini Upadhyay (@AshwiniBJP) 11 September 2018
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि देश में विभाजनकारी ताक़तों का जनसंख्या विस्फोट भयावह है। इससे दिन-ब-दिन देश के हालात खराब होंगे। उन्होंने कहा है कि जल्द ही हालात नहीं बदले तो 2047 में देश में एक बार फिर विभाजन होगा। जब अभी 35(A) की बहस पर हंगामा हो रहा है, तो आगे भारत का ज़िक्र करना भी असंभव हो जाएगा। उनके इसी बयान पर कांग्रेस के साथ सारे विपक्षी दल अपने वामी-कांगी पत्रकारों के माध्यम से इस पर विवाद खड़ा करने में जुट गए हैं। जबकि यह एक तथ्य है कि देश का विभाजन 1947 में धर्म के आधार पर ही हुआ था। दबी जवान से ही सही आज भी मुसलिम समुदाय अपनी आबादी के हिसाब से हिस्सा मांगना शुरू कर दिया है। 72 साल में जनसंख्या 33 करोड़ से बढ़कर 135.7 करोड़ हो गई है। ऐसे में जिस प्रकार मुसलिमों का जनसंख्या विस्फोट हो रहा है उसे देखते हुए दोबारा देश विभाजन की आशंका होना लाजिमी है।
जो कांग्रेस तथा कई विपक्षी दल केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की आलोचना करते हुए ये दावा करते फिर रहे हैं कि भारत अटूट है और उसके टुकड़े नहीं हो सकते, क्या वे बता सकते हैं कि 1947 में देश क्यों बंटा? क्या मुसलमानों ने अपनी बड़ी आबादी के कारण देश का बंटवारा नहीं किया? जब देश के बंटवारे में तब आबादी महत्वपूर्ण कारक थी तो आने वाले समय में जनसंख्या अहम कारक नहीं हो सकती? ध्यान रहे लोकतंत्र में मुंडी गिनी जाती है। तभी तो अश्विनी उपाध्याय ने भी चेताया है। उन्होंने अपने ट्वीट में बताया है कि जनसंख्या विस्फोट का सबसे ज्यादा असर जल जंगल जमीन पर पड़ रहा है। लेकिन जल जंगल जमीन की झूठी लड़ाई लड़ने वाले लाल झंडाधारी और पर्यावरण की दुहाई देकर औद्योगीकरण का विरोध करने वाले बुद्धिजीवी जनसंख्या विस्फोट पर खामोश हैं!
जनसँख्या विस्फोट का सबसे ज्यादा असर जल जंगल जमीन पर पड़ रहा है लेकिन जल जंगल जमीन की लड़ाई लड़ने वाले लाल झंडाधारी और पर्यावरण की दुहाई देकर औद्योगीकरण का विरोध करने वाले बुद्धिजीवी जनसँख्या विस्फोट पर खामोश हैं! कहाँ से लाते हैं इतना पाखंड और दोगलापन? इसकी भी तो एक सीमा होती है! pic.twitter.com/C1OblTyyoS
— Ashwini Upadhyay (@AshwiniBJP) 10 September 2018
देश की बढ़ती जनसंख्या पर अब तक सबसे ज्यादा दिनों तक शासन करने वाली कांग्रेस तथा उसका सहयोगी रही वाम पार्टियों की चुप्पी के पीछे की साजिश के बारे में आपको जानना होगा। देश के संविधान में अभी तक 123 बार संशोधन किया जा चुका है। जबकि देश की बढ़ती जनसंख्या पर गठित वेंकटचलैया आयोग ने 31 मार्च 2002 को केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजी थी। वेंकटचलैया ने केंद्र सरकार को जनसंख्या विस्फोट रोकने के लिए संविधान में आर्टिकल 47(ए) जोड़ने का सुझाव दिया था। लेकिन देश में अभी तक जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाया गया। जबकि जनसंख्या विस्फोट ही देश की सबसे बड़ी समस्या है।
31.3.2002 को वेंकटचलैया आयोग ने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपा और जनसँख्या विस्फोट रोकने के लिये संविधान में आर्टिकल 47A जोड़ने का सुझाव दिया! अबतक 123 बार संविधान बदला जा चुका है लेकिन जनसँख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाया गया जबकि जनसँख्या विस्फोट ही हमारी सबसे बड़ी समस्या है! pic.twitter.com/QjDUHS31TK
— Ashwini Upadhyay (@AshwiniBJP) 1 September 2018
अगर देश की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कानून नहीं बनाया गया तो तय मानिए कि देश में 2040 तक हिंदू तो अल्पसंख्यक बन ही जाएंगे साथ ही 2047 तक मुसलमानों की बेतहाशा बढ़ती आबादी की वजह से देश में गृह होना भी निश्चित है। हमारे देश में भीड़ इकट्ठी होने पर संविधान और सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल दिया जाता है! जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाना कोई बड़ी बात नहीं है! लेकिन इसके लिए देश हित में इकट्ठा होना जरूरी है। ध्यान रहे देश बचेगा तभी हम बचेंगे, देश टूटा तो हमसब टूट जाएंगे।
यदि जनसँख्या नियंत्रण कानून तत्काल नहीं बनाया गया तो 2047 तक गृहयुद्ध होना निश्चित है! याद रखिये यदि भीड़ इकट्ठा हो जाए तो संविधान संशोधन हो जाता है और सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल दिया जाता है! जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना कोई बड़ी बात नहीं है! pic.twitter.com/8mwaCcHOFd
— Ashwini Upadhyay (@AshwiniBJP) 5 September 2018
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