उज्जैन। उज्जैन के सिंहस्थ कुंभ में एक पुस्तक तीथयात्रियों, संतों व पर्यटकों का ध्यान बरबस आकर्षित कर रहा है! उज्जैन के सिंहस्थ कुंभ में उजड़खेड़ा-एक, बड़नगर रोड में करीब 3 एकड़ में फैले विशाल पंडाल में ‘दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान’ के संस्थापक श्री आशुतोष महाराज की जीवनी ‘आशुतोष महाराजः महायोगी का महारहस्य’ मौजूद है। आज से करीब ढाई वर्ष पूर्व आशुतोष महाराज ने अपने शरीर का त्याग कर दिया था! डाॅक्टरों ने उन्हें क्लिनिकली डेड घोषित कर दिया है, लेकिन उनके शिष्यों का मानना है कि महाराज जी अपने मुख से सभी को कह कर समाधि में गए हैं! तब से वे लगातार समाधि में हैं!
कुंभ में ‘दिव्य ज्योति’ के पंडाल में कथा का अयोजन किया गया है, जिसे सुनने के लिए वहां पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों के लिए आशुतोष महाराज की गहन समाधि के बारे में दी जाने वाली जानकारी एक कौतूहल पैदा कर रही है! इस कौतूहल को दूर करने का कार्य वहां उपलब्ध आशुतोष महाराजजी की जीवनी कर रही है! कई महात्माओं व संतों की भी इस जीवनी में इसी कारण से उत्सुकता है कि आशुतोष महाराज इतनी लंबी समाधि के लिए आखिर क्या कह कर गए हैं? संस्थान भी अपनी ओर से सभी संतों को यह पुस्तक भेंट कर रहा है ताकि पतंजलि योग सूत्र में वर्णित ऐसी गहन समाधि पर सिंहस्थ कुंभ में चर्चा का माहौल बन सके और हिंदू धर्म की ऐसी अलौकिक विद्या की जानकारी जन-जन तक पहुंच सके!
दुनिया की अब तक की सर्वाधिक बिकने (करीब 45 करोड़ ) वाली पुस्तक ‘हैरी पोटर’ सिरीज के मल्टीनेशनल प्रकाशक Bloomsbury Publishing द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक सिर्फ तीन महीने में एक लाख की बिक्री का आंकड़ा पार कर चुकी है। कुंभ में आए और इस पुस्तक को पढ़ने वाले लोगों का कहना है कि योगी कथामृत के प्रकाशन के दशकों बाद यह अकेली ऐसी पुस्तक आयी है, जो योग, ध्यान और साधना की उस अलौकिक क्रिया को सरल शब्दों में समझाती है!
आशुतोष महाराज पिछले ढ़ाई वर्षों से लगातार सुर्खियों में हैं। 28 जनवरी, 2014 को आशुतोष महाराज ने अपने शरीर का त्याग कर दिया था, जिसे उनके शिष्य गहन समाधि कह रहे हैं! शिष्यों ने नूरमहल आश्रम में उनके शरीर को एक फ्रीजर में संरक्षित कर रखा है। शिष्यों का कहना है कि उनका यह धर्म है कि वो अपनी गुरु की आज्ञा मानें और उनके शरीर का संरक्षण करें। यही कारण है कि पिछले ढ़ाई वर्षों से राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया में आशुतोष महाराज लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं।
इन विवादों ने पत्रकार व लेखक संदीप देव के अंदर कौतूहल किया! वह एक खोजी पत्रकार की हैसियत से नाम बदल कर कई दिनों तक नूरमहल के आश्रम में रहे और यह समझने की कोशिश की कि क्या वाकई आशुतोष महाराज समाधि में हैं? यह कौतूहल ही इस पुस्तक लेखन के लिए प्रेरणा बना!
समाधि के विवाद में उलझने की जगह, इसे केवल एक जीवनी के रूप में पढ़ा जाए तो हमारी युवा पीढ़ी हिमालय के अदृश्य रहस्यों से लेकर अमेरिका की हिप्पी संस्कृति और पंजाब के आतंकवाद के शुरू होने से लेकर उसकी समाप्ति तक को केवल इस एक पुस्तक के जरिए समझ सकती है। पुस्तक की भाषा बेहद सरल है, जिसे कोई भी पाठक आसानी से समझ सकता है। लेखक संदीप देव द्वारा लिखी गई यह दूसरी जीवनी है। इससे पूर्व वे योग गुरु बाबा रामदेव की जीवनी भी लिख चुके है, जो बेहद चर्चित रही है।
पुस्तकः आशुतोष महाराजः महायोगी का महारहस्य
लेखकः संदीप देव
प्रकाशकः ब्लूम्सबेरी
मूल्यः 199
पुस्तक खरीदने के लिए लिंकः
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Web Title: Book Reviews- Ashutosh-Maharaj-Mahayogi-Ka-Maharahasya-1
Keywords: Books| Ashutosh-Maharaj-Mahayogi-Ka-Maharahasya| “Ashutosh Maharaj : Mahayogi ka Maharehasya”, a biography of Shri Ashutosh Maharaj Ji (Founder & Head of Divya Jyoti Jagrati Sansthan), written and complied by Sandeep Deo| simhastha kumbh mela 2016