रंजन गोगोई ने मुख्य न्यायधीश की कुर्सी पर बैठते ही आज दो फैसले ऐसे दिए जिसके बाद से शहरी नक्सल स्तब्ध हैं! पहला फैसला उन्होंने रोहिंग्याओं की म्यांमार वापसी पर दिया और दूसरा फैसला निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के मामले में दिया है। पहले मामले में मुख्य न्यायधीश गोगोई ने ‘कोर्ट फिक्सर’ प्रशांत भूषण को कड़ी फटकार भी लगाई।
न्यायमूर्ति ने आज अपने पहले दिन ही बड़बोले और अर्बन नक्सल प्रशांत भूषण को औकात दिखाई। ध्यान रहे कि पूर्व मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने इसी प्रशांत भूषण को ‘कोर्ट फिक्सर’ कहा था। न्यायमूर्ति गोगोई ने रोहिंग्याओं को रोकने के लिए प्रशांत भूषण की दायर की हुई याचिका को एक झटके में खारिज कर दिया।
मुख्य बिंदु
* प्रशांत भूषण को जिम्मेदारी बताने पर भरी अदालत में लगाई फटकार, कहा हम हमारी जिम्मेदारी जानते हैं
* रोहिंग्याओं को रोकने के लिए याचिका देने वाले प्रशांत भूषण को पूर्व मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने बताया था ‘कोर्ट फिक्सर’
प्रशांत भूषण मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई से: यह अदालत की ज़िम्मेदारी है।
जस्टिस गोगोई: नहीं मिस्टर भूषण। आपको हमें हमारी ज़िम्मेदारी बताने की ज़रूरत नहीं है। हम अपनी ज़िम्मेदारी जानते हैं #Rohingya
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— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) October 4, 2018
न्यायमूर्ति गोगोई द्वारा याचिका खारिज किए जाने के साथ ही यह स्पष्ट हो गया कि भारत से म्यांमार भेज जा रहे सात रोहिंग्या अब किसी भी सूरत में भारत में नहीं रुक सकते। अब इन सातों रोहिंग्याओं को म्यांमार भेजना तय हो गया है। मालूम हो कि इन्ही रोहिंग्याओं को रोकने के लिए प्रशांत भूषण ने अपने खेमा के होने का भाव लेकर याचिका दायर की थी। लेकिन उसे एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी। सुनवाई के दौरान जब प्रशांत भूषण ने अपनी दलील के दौरान कहा कि यह कोर्ट की जिम्मेदारी है, तभी सीजेआई रंजन गोगोई ने झिड़कते हुए कहा कि मिस्टर प्रशांत भूषण हमें हमारी जिम्मेदारी बताने की जरूरत नहीं हम अपनी जिम्मेदारी बखूबी जानते हैं।
गुजरात के पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट की पुलिस हिरासत के खिलाफ उनकी पत्नी की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज। कहा दखल नहीं देंगे। अगर चाहें तो हाई कोर्ट जा सकते हैं।
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) October 4, 2018
वहीं दूसरे फैसले के तहत न्यायमूर्ति ने गुजरात के निलंबित आईपीएस संजीव भट्ट की पुलिस हिरासत के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका संजीब भट्ट की पत्नी ने दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हम इस मामले में दखल नहीं देंगे, आप चाहें तो हाईकोर्ट जा सकते हैं। ज्ञात हो कि संजीव भट्ट भी अरबन नक्सलियों की आँखों के तारे हैं!
गौरतलब है कि मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने पदभार संभालते ही पूरी कार्यकारिणी को बदल दिया। इसके साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की कुछ कार्यवाही में भी बदलाव किया है। जहां पहले जनहित याचिकाएं सिर्फ मुख्य न्यायधीश ही सुनते थे, वहीं अब दूसरे नंबर के वरिष्ठ न्यायधीश भी पीआईएल के मामले देखेंगे। गोगोई ने इसके लिए वरिष्ठ जज जस्टिस लोकुर को नामित किया है।
इसके साथ ही गोगोई ने तत्काल सुनवाई के विषयों को भी निर्धारित कर दिया है। उन्होंने सुबह के वक्त होने वाली तत्काल सुनवाई के तहत फांसी, बिल्डिंग गिराने और बेदखली जैसे विषय को रखा है। जबकि पूर्व मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा के समय में सुबह में 15-20 मिनट का समय तत्काल सुनवाई वाले विषयों पर चर्चा के लिए रखा गया था। यह ही वजह है कि न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने पहले ही दिन प्रशांत भूषण की तत्काल सुनवाई की मांग ठुकरा दी।
URL: Canceling two petitions first day CJI Gogoi gave blow to the leftist
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