पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने के लिए लिंगायत को अलग धर्म के रूप में मान्यता देने का जो प्रस्ताव भेजा था केंद्र सरकार ने उसे कर्नाटक सरकार को लौटा दिया। मोदी सरकार के इस कदम का पंचपीट के जगदगुरु ने भी स्वागत किया है। इस प्रकार केंद्र सरकार ने कांग्रेस के उस दांव को खत्म कर दिया जिससे वह देश के हिंदुओं को बांटना चाहता था। कांग्रेस राजनीतिक हित साधने के लिए किस कदर नीचे गिर सकती है यह उसके पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का नमूना था। मोदी सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए जगदगुरु ने कहा कि अब वीरशिवा और लिंगायत दोनों को साथ मिलकर इस समुदाय की बेहतरी के लिए काम करना चाहिए। और इसके लिए यही उचित समय भी है। केंद्र सरकार ने भी अगर यह कदम लिया है तो उसका भी उद्देश्य है।
मुख्य बिंदु
* पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने लिंगायत को अलग धर्म बनाने के लिए केंद्र को भेजा था प्रस्ताव
* विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक लाभ लेने के लिए कांग्रेस की सरकार ने चला था दांव
काशी पीठ परिषद के जगदगुरु डॉ चंद्रशेखर शिवाचार्य ने कहा है कि लिंगायत को अलग धर्म की मान्यता वाले प्रस्ताव को लौटा कर केंद्र सरकार ने सराहनीय काम किया है। उन्होंने कांग्रेस की फूट डालो और राज करो की नीति को देश के खिलाफ बताते हुए कहा कि वीर शैव और लिंगायत देश के अलग-अलग इलाकों में रहते हैं और वे सभी हिंदू संस्कृति के ही परिचायक है। इसलिए उनलोगों को अलग धर्म की मांग को छोड़कर अपने बच्चों की शिक्षा और रोजगार के लिए अलग से आरक्षण देने की मांग करनी चाहिए।
केंद्र सरकार से बहुत पहले ही प्रदेश की जनता कांग्रेस को सरकार से बाहर का रास्ता दिखाकर उसके प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया था। विधानसभा चुनाव परिणाम से यह साबित हो गया कि प्रदेश की जनता कांग्रेस के लिंगायत को अलग धर्म के रूप में मान्यता दिलाने के फैसले से खुश नहीं थी। मालूम हो कि इस चुनाव के दौरान जिन नेताओं ने कांग्रेस के इस प्रस्ताव का समर्थन किया उसे हार का मुंह देखना पड़ा़ है। यह चुनाव आगे के लिए भी यह संकेत दे गया है कि जो भी लिंगायत को अलग धर्म के रूप में मान्यता देने का प्रयास करेगा उसकी भी यही गत होने वाली है, जो इस चुनाव में कांग्रेस की हुई है।
उज्जैन पीठ के जगदगुरु सिदालिंगा शिवआचार्य ने भी केंद्र सरकार के इस कदम की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि चुनाव को देखते हुए कुछ लोगों के प्रभाव में आकर कांग्रेस ने जल्दबाजी में लिंगायत को अलग धर्म के रूप में मान्यता का प्रस्ताव भेज दिया था। इसका खामियाजा उसे चुनाव में भी भुगतना पड़ा। लेकिन जिस प्रकार से केंद्र सरकार ने उचित समय में इस प्रस्ताव को लौटाया है इससे हिंदू संस्कृति और मजबूत होगी।
गौरतलब है कि मार्च 2018 में सिद्धारमैया के नेतृत्व में कर्नाटक सरकार ने सात सदस्यीय समिति द्वारा लिंगायत को अलग अल्पसंख्यक धर्म का दर्जा देने वाले प्रस्ताव को मंजूर कर लिया था। इसके साथ ही कर्नाटक सरकार ने वह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भी भेज दिया। लेकिन प्रदेश की जनता जान चुकी थी कांग्रेस लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा दिलाने के लिए नहीं बल्कि इसके सहारे वोट पाने के लिए यह कदम उठाया है। सरकार की मंशा को भांपकर ही प्रदेश की जनता खासकर लिंगायतों ने कांग्रेस के खिलाफ जमकर वोट किया। परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस का यह दांव उलटा पड़ गया और वह सरकार से बाहर हो गई।
URL: Central government returned the siddaramiah proposal to make Lingayat a separate religion
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