केंद्र सरकार के फैसले के बाद कुम्मानम राजशेखरन ने निर्भय शर्मा की जगह मिजोरम के राज्यपाल का दायित्व संभाल लिया है। लेकिन मिजोरम में उग्र हिंदू राज्यपाल के नाम पर उन्हें वहां से भगाने का अभियान भी शुरू हो गया है। उन्होंने विरोध प्रदर्शन के बीच ही अपना दायित्व संभाला है। भ्रष्टाचार विरोधी संगठन से एक राजनीतिक पार्टी बना पीपुल्स रिप्रेंजेंटेशन फॉर आइडेंटिटी एंड स्टेटस ऑफ मिजोरम (प्रिज्म) इस अभियान की अगुवाई कर रहा है। प्रिज्म ने चर्च समेत सभी क्रिश्चियन संगठनों, राजनीतिक दलों, एनजीओ तथा आम लोगों से राज्यपाल को प्रदेश से बाहर निकालने के लिए इस अभियान से जुड़ने का आह्वान किया है।
मुख्य बिंदु
* आरएसएस के प्रचारक रहे राजशेखरन को मिजोरम का राज्यपाल बनाने का क्रिश्चियन संगठन कर रहा विरोध
* केंद्र सरकार ने निर्भय शर्मा की जगह कुम्मानम राजशेखरन को मिजोरम का राज्यपाल बनाया है
इस संदर्भ में प्रिज्म के मुखिया वनलाल्रूता तथा महासचिव लाल्रिंजुआला ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि हम सब जानते हैं कि कुम्मानम राजशेखरन ने हाल में ही राज्य के राज्यपाल के रूप में पदभार ग्रहण किया है। इसके साथ ही वे सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने के लिए भी विख्यात हैं जो भारतीय संविधान के खिलाफ है। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, तता हिंदू ऐक्य वेदी (जो विशेषकर क्रिश्चियन मिशनरी के खिलाफ होने के लिए जाने जाते हैं) जैसे हिंदू सगंठनों के कट्टर सदस्य रहे हैं। इसके अलावा वे निलकाल एक्सन काउंसिल के संयोजक होने के साथ ही 1983 में निलकाल में हिंदू-क्रिश्चियन के बीच हुए संघर्ष में सक्रिय थे।
इसके साथ ही प्रिज्म के मुखिया ने अपने बयान में कहा है कि अमेरिकन क्रिश्चियन मिशनरी जोसेफ कूपर पर हुए हमले के मुख्य आरोपी के रूप में राजशेखरन का ही नाम आया था। उन्होंने कहा कि राजशेखरन सिर्फ इसी मामले में आरोपी नहीं थे बल्कि उन 50 क्रिश्चियन मिशनरियों को भी यहां से भगाने के प्रयास में संलिप्त थे जिनकी सूची उन्होंने 2003 में बना रखी थी। उन्होंने कहा कि राजशेखरन वही शख्स हैं जिन्होंने केरल के राज्यपाल से तत्कालीन मुख्य सचिव के खिलाफ इसलिए कार्रवाई करने की मांग की थी, क्योंकि उन्होंने साल 2015 में एक पारंपरिक चर्च में आयोजित समारोह में ‘गॉड'(‘words of god’) की बात कह दी थी।
उन्होंने कहा कि अब जब मिजोरम में चुनाव होने वाले हैं ऐसे में राजशेखरन जैसे शख्स को यहां के लोग राज्यपाल के रूप में बर्दाश्त नहीं कर सकते। प्रिज्म के अध्यक्ष ने इस संदर्भ में चर्च के संगठनों, राजनीतिक दलों तथा एनजीओ से ऐसे कदम उठाने का अनुरोध किया है ताकि जितना जल्दी हो वे यहां से चले जाएं।
राजशेखरन के शपथ समारोह से पहले ही उनकी नियुक्ति के खिलाफ दो संगठनों, प्रिज्म और ग्लोबल काउंसिल ऑफ इंडिया, ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए विरोध प्रदर्शन किया था। उनका कहना है कि हमारा क्रिश्चियन राज्य है और वे आरएसएस के स्वयंसेवक है जो विभिन्न हिंदू संगठनों से जुड़े हैं। ऐसे में हम उन्हें कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं?
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