देश में जहां तीन तलाक, बहुविवाह और खतना जैसी कुप्रथाओं पर प्रतिबंध लगाने पर बहस चल रही है वहीं कांग्रेस मुसलिम मजहब के नाम पर इनको बढ़ावा देने पर तुली है। वैसे तो कांग्रेस पहले ही देश के हर जिले में मुसलिम पसर्नल लॉ बोर्ड द्वारा शरिया अदालत स्थापित करने के पक्ष में है। मुसलिम समाज में मजहब के नाम पर खतना जैसी अमानवीय कुरीति को बंद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पूछा है कि आखिर किसी के शरीर के साथ हिंसक छेड़छाड़ क्यों होनी चाहिए? मजहब के नाम पर रिवाज के तहत किसी के जननांग को छूने की इजाजत कैसे दी जा सकती है?
मुख्य बिंदु
* कांग्रेस के सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने इसलाम का खास रिवाज बताते हुए मुसिलम महिला के खतना के बताया वाजिब
* कांग्रेस पहले ही मुसलिम पसर्नल लॉ बोर्ड द्वारा देश के हर जिले में शरिया अदालत स्थापित करने का पक्ष ले रही है
मुसलिम समुदाय में हर कुरीतियों का पक्षधर बनकर सामने आ रही है कांग्रेस
कोर्ट के इन सवालों का जवाब दाउदी बोहरा के धर्मगुरु की तरफ से कांग्रेस के सांसद व वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दिया है। सिंघवी ने कोर्ट से कहा है कि इसलाम में खतना एक जरूरी रिवाज है। इस्लामिक दुनिया में हर पुरुष खतना कराते हैं, ऐसे में मुसलिम महिलाओं के लिए खतना प्रतिबंधित क्यों? ज्ञात हो कि कपिल सिब्बल मुल्ले-मौलवियों के द्वारा औरतों के शोषण का हथियार बन चुके तीन तलाक के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में दलील देते रहे हैं।
जब अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बज जैसे कांग्रेसी सांसद वकील सुप्रीम कोर्ट में ऐसे मध्ययुगीन और बर्बरतापूर्ण इसलामी रिवाजों के पक्ष में तर्क देते हों तो यह मान लिया जाना चाहिए कि पूरी कांग्रेस पार्टी मुसलिम तुष्टिकरण और वोट बैंक के लालच में मुसलमानों के कट्टर सोच की पोषक है।
बर्बतापूर्ण अमानवीय कृत्य है खतना जिसे तत्काल बंद होना चाहिए: मोदी सरकार
गौरतलब है कि मुसलिमों में खतना जैसे व्याप्त अमानवीय रिवाज को खत्म करने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट में एक याजिका दी गई है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस रिवाज के अमानवीय पक्ष के बारे में केंद्र से कुछ सवाल पूछे हैं। केंद्र ने अपने जवाब में कहा है कि निश्चित रूप से यह बेहद ही बर्बतापूर्ण अमानवीय कृत्य है जिसे तत्काल बंद होना चाहिए। केंद्र सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि वैसे भी अधिकांश मुसलिम देशों ने भी अपने यहां इस बर्बर रिवाज को बंद कर रखा है। इसलिए भारत में भी बंद होना चाहिए, वैसे भी यह पूरी तरह असुरक्षित है। लेकिन कांग्रेस इसके बचाव में उतर आई है।
PIL in #SC on #femalegenitalmutilation SC asks why should bodily integrity be violated? How can any practice allow touching of genitals of a person? #AG tells SC practice is banned in several countries. Should be banned in India. FGM different from Male circumcision @TimesNow
— Aneesha Mathur (@AneeshaMathur) July 9, 2018
बोहरा मुसलिम समुदाय में 6 से 8 साल की बच्चियों का कर दिया जाता है खतना
महिलाओं में खतना प्रथा का चलन दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में सबसे अधिक देखा जाता है। दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय, शिया मुसलमानों माने जाते हैं। यह समुदाय मुस्लिम महिलाओँ के खतना को एक धार्मिक परंपरा मानता है। दुनिया में इनकी संख्या लगभग 25 लाख से कुछ अधिक है| आमतौर पर ये काफी समृद्ध, संभ्रांत और पढ़ा-लिखा समुदाय है, जो मुख्यतः व्यापारिक कौम है।
भारत में दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय के लोग गुजरात के सूरत, अहमदाबाद, जामनगर, राजकोट, दाहोद, और महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे व नागपुर, राजस्थान के उदयपुर व भीलवाड़ा और मध्य प्रदेश के उज्जैन, इन्दौर, शाजापुर, जैसे शहरों और कोलकाता व चैन्नै में बसते हैं। पाकिस्तान के सिंध प्रांत के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, दुबई, ईराक, यमन व सऊदी अरब में भी उनकी अच्छी तादाद है। मुंबई में इनका पहला आगमन करीब ढाई सौ वर्ष पहले हुआ। बोहरा समुदाय में लड़कियों की बेहद छोटी उम्र जैसे 6 से 8 साल के बीच ही खतना करा दिया जाता है। इसके अंतर्गत क्लिटरिस के बाहरी हिस्से में कट लगाना या बाहरी हिस्से की त्वचा को निकाल दिया जाना शामिल होता है। खतना के बाद हल्दी, गर्म पानी और छोटे-मोटे मरहम लगाकर लड़कियों के दर्द को कम करने का प्रयास किया जाता है।
कैसे होता है महिलाओं का खतना?
खतना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें स्त्री जननांग के ऊपरी भाग को काटकर निकाल दिया जाता है। इस प्रक्रिया में अत्यधिक रक्तस्राव होता है और इसके बाद महिलाओं में पेशाब की समस्या होने लगती है। कई तरह के संक्रमण और प्रसव के दौरान जटिलताएं भी उभर आती हैं, जिसके कारण कई बार नवजात की मौत भी हो जाती है। जब लड़की छोटी होती है तभी उसके साथ इस तरह की क्रिया को अंजाम दिया जाता है।
खतना की प्रक्रिया चार चरणों में पूरी होती है। पहली चरण में मादा जननांग के बाहरी भाग (clitoris) को पूरी तरह या आंशिक रूप से काटकर हटा दिया जाता है। दूसरे चरण में योनि की आंतरिक परतों को भी काटकर हटाया जाता है। तीसरा चरण इन्फ्यूब्यूलेशन का होता है, जिसमें योनि द्वार को बांधकर छोटा कर दिया जाता है। इससे प्रक्रिया का दुष्परिणाम सेक्स के दौरान और प्रसव के दौरान भी नजर आता है।
मुसलमानों में परंपराओं के नाम पर महिलाओं का शोषण होता है। तीन तलाक, बहुविवाह और हलाला की तरह स्त्री जननांग का खतना भी महिलाओं के साथ इसलामी बर्बरता का प्रतीक है। खतना के जरिये ना सिर्फ महिलाओं की सेक्स इच्छा को नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है, बल्कि उसे कई तरह की यातना झेलने को भी मजबूर किया जाता है। माहवारी और प्रसव के दौरान उसे कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
बीबीसी से बात करते हुए बोहरा मुस्लिम समुदाय से संबंधित एक महिला के अनुसार क्लिटरिस को बोहरा समाज में हराम की बोटी कहा जाता है। बोहरा समुदाय में यह भी माना जाता है कि इसकी मौजूदगी से लड़की की यौन इच्छा बढ़ती है और इसे रोकना चाहिये। ऐसा माना जाता है कि क्लिटरिस हटा देने से लड़की की यौन इच्छा कम हो जाती है और वो शादी से पहले यौन संबंध नहीं बनाएगी।
URL: congress is in favour female genital mutilation of muslim women
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