मुख्य बिंदु
* दो-दो बार नाम जाने के बावजूद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जस्टिस चंद्रशेखर धर्माधिकारी को नहीं बनने दिया सुप्रीम कोर्ट का न्यायधीश
* आपातकाल के खिलाफ निर्णय देने की कीमत जस्टिस धर्माधिकारी को सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश नहीं बनने के रूप में चुकानी पड़ी
यह घटना आपातकाल के दौरान की है। आपातकाल के खिलाफ फैसला देने की कीमत क्या चुकानी पड़ सकती है यह महाराष्ट्र हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायधीश चंद्रशेखर धर्माधिकारी से बेहतर और कौन जा सकता है? क्योंकि वे इसके भुक्तभोगी हैं। जी-24 तास को दिए साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि आपातकाल के खिलाफ फैसला देने की उन्हें कितनी भारी कीमत चुकानी पड़ी? उन्होंने कहा कि इस फैसले के कारण ही कांग्रेस ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायधीश नहीं बनने दिया। धर्माधिकारी ने कहा कि उनका नाम दो बार सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश बनने के लिए भेजा गया, इसके बावजूद उनके नाम पर मुहर नहीं लग सकी।
जब उन्होंने इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायधीश से बात की तो उन्होंने बताया कि कांग्रेस सरकार को आप जैसे स्वतंत्र विचार वाले न्यायधीश नहीं चाहिए। उन्हें तो उनका हित साधने वाला व्यक्ति चाहिए। उन्होंने कहा कि आपके बारे में कहा जाता है कि आप कुछ ज्यादा ही स्वतंत्र विचार वाले हैं। इसलिए आपके नाम पर सहमति नहीं बन पाई।
जहां न्यायधीश का स्वतंत्र होना पहली शर्त होनी चाहिए वहां कांग्रेस को अपना हित साधने वाला कोई व्यक्ति उस पद के लिए चाहिए था। कांग्रेस को ऐसे न्यायधीश चाहिए थे जो उनकी अपेक्षाओं को पूरी कर सके। धर्माधिकारी ने कहा कि आपातकाल के खिलाफ फैसला देने की कीमत मुझे सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश न बनने के रूप में चुकानी पड़ी। उन्होंने कहा कि लेकिन जिस वजह से मुझे सुप्रीम कोर्ट का न्यायधीश नहीं बनने दिया गया वही हमारे मूल्य और प्रतिबद्धता के लिए प्रमाणपत्र था।
जिस कांग्रेस का विगत इतिहास मैला और दामन दागदार हो वही कांग्रेस और उसके अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार की ईमानदारी और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठा रहे हैं।
Keywords: Justice Dharmadhikari, congress and judiciary, emergency, supreme court, judicial independence, न्यायमूर्ति धर्माधिकारी, कांग्रेस और न्यायपालिका, आपातकाल, सर्वोच्च न्यायालय,