समाज और मीडिया में धड़ल्ले से हो रहे दलित शब्द के उपयोग पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से मीडिया को दिशानिर्देश जारी कर शीघ्र ही ‘दलित’ शब्द का उपयोग बंद करने को कहा है। इसके बाद सरकार को इस शब्द के उपयोग के खिलाफ सरकारी अधिकारियों से एक सर्कुलर जारी करने को कहा है। हाईकोर्ट का यह कदम वाकई सराहनीय है। कुछ पत्रकारों और लोगों ने इस शब्द का बेजा इस्तेमाल कर नकली आंदोलन चला रखा था।
मुख्य बिंदु
* बॉम्बे हाईकोर्ट ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से कहा कि मीडिया में बंद करवाएं ‘दलित’ शब्द का उपयोग
* हाईकोर्ट ने सरकारी अधिकारियों को भी इस शब्द से परहेज करने के लिए सर्कुलर जारी करने को कहा
पंकज मेशराम द्वारा दायर जनहित याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर शाखा ने आज सुनवाई की। पंकज ने अपनी याचिका में सरकार के सभी दस्तावेजों तथा संचार माध्यमों से दलित शब्द हटाने की मांग की। उनकी इस मांग पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी तथा न्यायमूर्ति जे ए हक ने कहा “केंद्र सरकार ने अपने अधिकारियों को उचित निर्देश दे दिया है, हम समझते हैं कि कानून के अनुरूप वह प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया तथा मीडिया को भी इस शब्द से परहेज करने के लिए उचित निर्देश दे सकते हैं।”
मेशराम के वकील ने कोर्ट को आज बताया कि सामाजिक न्याय तथा सशक्तिकरण केंद्रीय मंत्रालय ने 15 मार्च को ही केंद्रीय और सभी राज्य सरकारों को ‘दलित’ शब्द के उपयोग से परहेज करने के लिए सर्कुलर जारी कर दिया था। मंत्रालय ने ‘दलित’ शब्द की जगह ‘अनुसूचित जाति से संबंधित व्यक्ति’ का उपयोग करने को कहा है।
हाईकोर्ट में महाराष्ट्र सरकार की ओर से वकील के रूप डीपी ठाकरे पेश हुए थे। उन्होंने न्यायधीशों से कहा कि राज्य सरकार इस संदर्भ में पहले से ही निर्णय लेने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। इस जनहित याचिका की सुनवाई बंद करने से पहले कोर्ट ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को इस मुद्दे पर विचार करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले में छह सप्ताह के भीतर मीडिया में दलित शब्द का उपयोग बंद करने का आदेश दिया।
URL: Consider asking media not to use term ‘Dalit’: Bombay HC
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