न्यायपालिका के खिलाफ अनाप शनाप बयान देने तथा अनर्गल आरोप लगाने की वजह से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के साथ दो राष्ट्रीय न्यूज चैनलों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गई है। जिन दो चैनलों के खिलाफ याचिका दायर की गई है उसमें एक आजतक है और दूसरा टाइम्स नाउ। याद हो कि यही चैनल है और यही प्रशांत भूषण हैं जो सुप्रीम कोर्ट के चार जजों के मीडिया के सामने आने पर नरेंद्र मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया था।
प्रशांत भूषण ने मोदी सरकार पर न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खत्म करने तक का आरोप लगाया था। यही प्रशांत भूषण हैं जिसके बारे में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के प्रतिष्ठित वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि इसके खिलाफ अवमानना का मामला चलना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जजों को चाहिए कि उसे कोर्ट रूम से धक्के देकर बाहर निकाल दे। यही प्रशांत भूषण है जिसे कोर्ट फिक्सर कहा गया था। इनके खिलाफ लखनऊ के प्रतिष्ठित पांच वकीलों ने अवमानना की याचिका दायर की है।
मुख्य बिंदु
* आज-तक तथा टाइम्स नाऊ जैसे न्यूज चैनलों के खिलाफ भी दायर की है अवमानना याचिका
* मनोनुकुल फैसले नही आने पर जज से लेकर कोर्ट तक को अपमान करने की है आदत
लखनऊ के इन पांच वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के दो फैसलों पर प्रशांत भूषण के बयान को काफी अपमानजनक बताया है। प्रशांत भूषण के बयान को लोगों की नजर में न्यायपालिका की छवि को धूमिल करने वाला बताया है। प्रशांत भूषण ने सहारा-बिरला देनदारी के मामले तथा जज लोया मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपमानजनक टिप्पणी की थी। कोर्ट फिक्सर कहे जाने वाले प्रशांत भूषण दूसरों से गाली खाने और पिटने का आदि हो चुका है। देश की अस्मिता को चोट पहुंचाने के लिए उसकी कई बार पिटाई हो चुकी है, गाली खाने की तो उसकी आदत है।
अवमानना याचिका में लिखा है कि मनोनकुल फैसले नहीं आने पर माननीय न्यायाधीश से लेकर न्यायपालिका जैसी संस्था तक को बदनाम करना प्रशांत भूषण की आदत सी बन गई है। आवेदकों ने उदाहारण देते हुए बताया है कि जब सहारा-बिरला देनदारी मामले का फैसला आया था तब उसने सुप्रीम कोर्ट के इतिहास का सबसे काला दिन बताया था। ध्यान रहे कि इस मामले में लोकहित याचिका प्रशांत भूषण ने ही दायर की थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि सिर्फ एक डायरी में लिखी बात को सबूत नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से नाराज प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ दबाव में काम करने का आरोप लगा दिया था।
इसी प्रकार जज लोया के मामले में फिर से सुनवाई करने तथा इसकी जांच सीबीआई से कराने के आदेश देने के मामले में प्रशांत भूषण ने सारी मर्यादाओं को ताक पर रखकर सुप्रीम कोर्ट पर अनर्गल आरोप लगाया था। इस मामले में प्रशांत भूषण की गतिविधियों से नाराज होकर ही जज ने उसे कोर्ट फिक्सर तक कह दिया था। उसके बेतुके बयान से नाराज होकर प्रतिष्ठित वकील हरीश साल्वे ने बहुत ही कड़े शब्दों में इसकी निंदा की थी। उन्होंने तो यहां तक देना चाहिए कि ऐसे लोगों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना करने का मामला चलना चाहिए।
शायद लखनऊ के वकीलों ने हरीश साल्वे की बात सुन ली। तभी तो पांच वकीलों ने प्रशांत भूषण को लखनवी शराफत सिखाने की ठान ली है।
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