कठुआ रेप कांड को लेकर वामी-कांगी पीडी पत्रकारों की मिलीभगत से रचे गए नाटक से अब पर्दा उठने लगा है। पीड़ित परिवार ने बलात्कारी तालिब हुसैन की सहयोगी वकील दीपिका सिंह राजावत को इस मामले से हटा दिया है। इतना ही नहीं पीड़ित परिवार ने जेएनयू एक्टिविस्ट शेहला राशिद के साथ मिलकर उगाही की गई दान राशि भी देने को कहा है। पीड़ित मासूम बच्ची की लाश पर उगाही गई दान राशि पर की गई अय्याशी का भी खुलासा होने लगा है। वैसे इंडिया स्पीक्स डेली वेबसाइट ने उगाही गई दान राशि पर शेहला राशिद की अय्यासी का खुलासा बहुत पहले कर चुकी है।
मुख्य बिंदु
* कठुआ रेप कांड को लेकर वामी-कांगी पीडी पत्रकारों की मिलीभगत से रचे गए नाटक से अब पर्दा उठने लगा है
* जेएनयू एक्टिविस्ट शेहला राशिद के साथ मिलकर उगाही की गई दान राशि भी देने को कहा है
#Kathua victim family has removed it's Lawyer from the case who is associate of Rapist Talib Hussain & she collected money with Shehla & now family is demanding donated money.
— प्रशान्त पटेल उमराव (@ippatel) November 14, 2018
इस मामले का ट्वीट के सहारे खुलासा करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत पटेल उमराव ने लिखा है कि कठुआ रेप कांड के पीड़ित परिवार ने बलात्कारी तालिब हुसैन की सहयोगी रही दीपिका सिंह राजावत को इस मामले से हटा दिया है। इसके साथ ही पीड़ित परिवार ने शेहला राशिद के साथ
मिलकर मदद करने के नाम एकत्रित की गई दान राशि की भी मांग की है।
Sara paisa hajam Kar liya https://t.co/LE9vqZhCic
— Keep Smiling (@upma23) November 14, 2018
कठुआ कांड की जिस स्वघोषित वकील दीपिका सिंह राजावत को इस केस से हटाया गया है उसका ध्येय कभी पीड़ित परिवार को न्याय दिलाना था ही नहीं। उसकी मंशा तो इस मामले के सहारे अपना यूएसपी बढ़ाना था। तभी तो इतने दिनों में उसने इस मामले में महज दो से तीन बार कोर्ट में हाजिर हुई हैं। उसे तो यह दिखाना था कि उसने कितना बड़ा जोखिम उठा लिया कि उसकी जान तक पर बन आई है? यह नाटक उसे काम भी आया। बलात्कारी तालिब हुसैन तथा फंड कलेक्टर शेहला राशिद के साथ उसे कई सम्मान और पुरस्कार तक मिले। जबकि पीड़ित परिवार को मृतक बच्ची के नाम पर उगाहे गए चंदा में से फूटी कौड़ी तक नहीं मिली। क्योंकि सारे पैसे तो ये लोग अपनी अय्याशी पर खर्च कर लिए और हजम कर गए।
लेकिन ताज्जुब की बात है कि जो कांगी-वामी पीडी पत्रकार उस समय हंगामा करने में आगे थे आज जब सही मायने में पीड़ित परिवार की मदद करने का समय है तो कहीं दिखाई तक नहीं देते। इस से साबित हो जाता है कि वे लोग सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक हित साधने के लिए हिंदुओं और उनके देवताओं को बदनाम करना चाहते थे। अगर मृतक बच्ची और पीड़ित परिवार की मदद करने का इरादा होता तो आज सामने आते।
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