पिछले सात साल से एनडीटीवी मानहानि के एक मुकदमे को दिल्ली हाईकोर्ट से बार-बार माफी मांगकर लटकाए हुए है। दिल्ली हाईकोर्ट जब भी सुनवाई के दौरान साक्ष्य रखने की बात कहती है,एनडीटीवी कोर्ट से माफी मांगकर सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध करती आ रही है। इससे न सिर्फ कोर्ट का समय बर्बाद होता है बल्कि कोर्ट की अवमानना भी हो रही है। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ की एकल बेंच ने अपने फैसले में कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए एनडीटीवी को लताड़ लगाई है।
मुख्य बिंदु
* यूपीए सरकार के समय 2011 में सनडे गार्जियन और संपादक एमजे अकबर के खिलाफ दर्ज किया था मानहानि का मामला
* अब मानहानि के झूठे मुकदमे में खुद फंस जाने के भय से NDTV मामले को लटकाने की कर रही है चालाकी
वरिष्ठ पत्रकार और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर व उनके अखबार सनडे गार्जियन के खिलाफ सात साल पहले मानहानि के मुकदमे को जानबूझ कर लटकाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने एनडीटीवी को लताड़ लगाई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने एनडीटी पर अपने ही मामले को जानबूझ कर लटकाए रखने की चालाकी के तहत कोर्ट का समय बर्बाद करने की बात कही है।
एनडीटीवी ने यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान साल 2011 में सनडे गार्जियन और उसके संपादक एमजे अकबर समेत कई लोगों के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। दरअसल सनडे गार्जियन में एमजे अकबर ने एनडीटीवी द्वारा टैक्स चोरी और आर्थिक घपला आधारित आलेख प्रकाशित किया था। इस मामले को दायर हुए सात साल हो गए लेकिन एनडीटीवी चालाकी से कोर्ट में इस मसले को लटकाए बैठी है। कोर्ट ने कहा है कि एनटीवी पिछले सात साल से कोर्ट का समय बर्बाद कर रही है।
एनडीटीवी ने सात साल पहले 2011 में जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी तभी सनडे गार्जियन में अपने खिलाफ प्रकाशित आलेख के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मालूम हो कि प्रकाशित आलेख में नियम के खिलाफ एनडीटीवी चैनल को मिला आर्थिक लाभ तथा टैक्स चोरी का जिक्र किया गया था। एनडीटीवी ने दिल्ली हाईकोर्ट में सनडे गार्जियन और उसके संपादक एमजे अकबर के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराते हुए उनसे 25 करोड़ रुपये हर्जाने की मांग की थी। दिल्ली हाईकोर्ट का कहना है कि मामले तो दर्ज हो गए लेकिन तब से लेकर आज तक एनडीटीवी प्रबंधन कोर्ट से स्थगन आदेश ही लेती रही है। एनडीटीवी इस मामले में कोई भी जरूरी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाई है। एनडीटीवी की इस चालाकी भरी हरकत से कोर्ट का कीमती समय बर्बाद हो रहा है।
दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजीव सहाय की एकल बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि एनडीटीवी को इस केस के संदर्भ में 11 बार साक्ष्य प्रस्तुत करने का मौका मिला लेकिन हर बार देरी के लिए कोर्ट से माफी मांगते हुए स्थगन आदेश का अनुरोध किया है। इस मामले में बचाव पक्ष भी कम दोषी नहीं हैं। कई बार बचाव पक्ष के पास साक्ष्य नहीं होने की सूरत में संयुक्त रजिष्ट्रार को सुनवाई स्थगित करनी पड़ी है।
न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि इस मामले में बचाव पक्ष कम सुस्त नहीं है। उन्होंने आज तक न तो कोर्ट में यह कहा कि इस मामले में बचाव पक्ष को साक्ष्य देने की कोई जरूरत नहीं है इसलिए इस मामले को निरस्त करने की सूची में शामिल कर लेना चाहिए, न ही 29 जनवरी 2016 के बाद आगे कोई कदम ही बढ़ाया है।
बेंच ने कहा है कि पिछले पांच साल से देखा जा रहा है कि इस मामले में एनडीटीवी और बचाव पक्ष खानापूर्ति कर रहे हैं। एक सुनवाई के बाद अगली सुनवाई की सिर्फ तारीख ही याद रखते हैं। लेकिन इसके लिए न तो कोई तैयारी करते हैं न ही फैसले के बारे में सोचते हैं। अगली तारीख पर सिर्फ उपस्थित हो जाते हैं, और फिर कोर्ट से माफी मांग सुनवाई को अगली तारीख तक के लिए स्थगित करने का अनुरोध करते हैं।
URL: Delhi High Court scolded NDTV to waste court time for seven years
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