दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल की हालत दिन बर दिन खराब होती जा रही है। ताजमहल की खूबसूरती ऐसी बिगड़ती जा रही है जैसे खाज हो गया हो। तभी तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इसे संभालो नहीं तो ढहा दो। लेकिन इसके पीछे जो महत्वपूर्ण कारण है उस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी ध्यान नहीं दिया है। ताजमहल के इस हालात के लिए जो महत्वपूर्ण कारक है वह है उसके निर्माण की असली तारीख। क्योंकि किसी भी इमारत का संरक्षण बेहतर ढंग से तभी हो सकता है जब उसके निर्माण की असली तारीख पता चले। ताजमहल के निर्माण काल पर विवाद काफी पुराना है। लेकिन उसके एक पक्ष को जानबूझ कर उपेक्षित रखा गया है।
मुख्य बिंदु
* ताजमहल के इस बुरे हाल के लिए कहीं उसका वास्तविक निर्माणकाल तो जिम्मेदार नहीं
* सुप्रीम कोर्ट ने कहा इसे संरक्षित करो वरना इसे बंद कर देंगे या फिर इस ढहाने का आदेश दे देंगे
हाल ही में अमेरिका के प्रसिद्ध पुरातत्वविद हार्विन मिल्स ने अपने शोधपत्र में कहा है कि यह इमारत मुगलकालीन नहीं बल्कि सातवीं सदी निर्मित है। अगर यह सच है तो इसका रखरखाव मुगलकालीन यानी 16वीं सदी के अनुरूप करना ताजमहल के साथ अन्याय नहीं तो और क्या है? लेकिन आज तक किसी सरकार ने इसके निर्माण काल का आंकलन करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। कार्बन -14 या थर्मो-लुमिनिस्कनेस के उपयोग से तुरंत ही इसके निर्माण काल का पता लगाया जा सकता है। लेकिन सरकार ने तो ताजमहल में विद्वानों और विशेषज्ञ दलों का प्रवेश ही वर्जित कर रखा है। क्योंकि सरकार डरती है कि कहीं उसके वास्तविक निर्माण काल से कोई विवाद न खड़ा हो जाए।
हमारे देश में अभी तक कमाल की सरकारें रही हैं। हमारे देश एक ऐसी धरोहर जो दुनिया के सात अजूबों में शामिल है लेकिन उसकी सच्चाई को सामने लाने के डर से उसे बर्बाद करने पर तुली है। भले ही ताज बर्बाद हो जाए लेकिन उस पर लग रहे खाज को मिटाने को तैयार नहीं है। तभी तो सुप्रीम कोर्ट नेताजमहल के संरक्षण को लेकर केंद्र और यूपी सरकार के साथ आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को आड़े हाथों लिया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की एक बेंच ने कहा है कि इस ऐतिहासिक इमारत के संरक्षण को लेकर कोई उम्मीद नजर नहीं आती है। बेंच ने कहा है कि या तो इसे बंद करें, ध्वस्त करें या फिर इसे संरक्षित करें। बेंच के न्यायधीशों ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वार ताज महल की सुरक्षा और उसके संरक्षण को लेकर विजन डॉक्यूमेंट नहीं लाने पर नाराजगी जताई। उन्होंने केंद्र सरकार से इस महत्वपूर्ण इमारत के संरक्षण के लिए उठाए गए कदम, आवश्यक कार्रवाई की विस्तृत जानकारी देने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भले ही टिप्पणी करने से बचनी चाहिए लेकिन सलाह तो दी ही जा सकती है। जब सरकार उसके असली निर्माणकाल पर चुप्पी साध रखी है तो सुप्रीम कोर्ट स्वतःसंज्ञान लेकर इस मामले में निर्देश क्यों नही जारी करता है? जबकि इस मामले में कई ऐतिहासिक साक्ष्य सामने आ चुके हैं। यह इसलिए जरूरी है कि अगर ताजमहल की असली निर्माणकाल सातवीं शताब्दी हो उसका संरक्षण मुगलकालीन के हिसाब से किया जाए तो वह ताज की सेहत के लिए अनुपयुक्त ही होगा।
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URL: directive of supreme Court on pathetic state of Taj Mahal
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