कठुआ बलात्कार मामला और बार एसोसिएशन के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट से कुछ तथ्य बड़ी-बड़ी न्यूज एजेंसियों के साथ कई मीडिया हाउस को भेजे गए। लेकिन सभी ने एकतरफा विमर्श रखने के उद्देश्य से इसे छापने से इनकार कर दिया। ये तथ्य हमारे पास भी सुप्रीम कोर्ट से चलकर आए हैं। लेकिन हमने इसे परत दर परत आपके सामने रखने का फैसला किया है। इस तथ्य को जानने के बाद आप खुद भी जान जाएंगे कि मुख्यधारा की मीडिया अपने देश के लोगों के साथ कौन सा खेल खेल रहा है! अगर आप इससे भी ज्यादा जानकारी हांसिल करना चाहते हैं तो सबसे नीचे जम्मू-कश्मीर स्टडी सेंटर का पता दिया गया है। आप वहां से असली और सच्ची जानकारी हांसिल कर सकते हैं। क्योंकि अब हमारा मीडिया तथ्यों से परे एक तरफा और झूठी रिपोर्टिंग कर रहा है!
जांच पर सवाल: आखिर बार एसोसिएशन ने जांच पर क्यों उंगली उठाई?
* क्यों 20 दिनों में तीन जांच एजेंसियां बदली गईं ?
* आखिर क्यों जम्मू क्राइम ब्रांच को बाइपास किया गया ?
* क्यों जम्मू की दो जांच टीमों को हटाकर दागी अधिकारियों को लेकर नई एसआईटी गठित की गई?
* क्राइम ब्रांच की जांच टीम में शामिल इरफान वानी जैसे अधिकारी गो तस्करी से लेकर बलात्कार और हत्या जैसे मामलों के आरोपी हैं।
* आखिर क्यों उन अधिकारी को एसआईटी में शामिल किया गया है जिनपर अपनी कस्टडी में एक नाबालिग हिंदू लड़की की हत्या और उनकी बहन के साथ बलात्कार का मामला चल रहा है? क्या वे हुरियत गैंग के नजदीकी हैं?
जम्मू संभाग की सीबीआई जांच की मांग
* पहले भी इस प्रकार के कई मामलों को सीबीआई के हवाले किया गया है।
* शिमला बलात्कार का मामला सीबीआई के पास है
* गुड़गांव के प्रद्युम्न हत्या मामला भी हरियाणा पुलिस से छीनकर सीबीआी को सौंप दिया गया ?
* हाल ही में यूपी के उन्नाव बलात्कार हत्या मामले को भी एक से दो दिन में आसानी से सीबीआई के हवाले कर दिया है
* अगर इतने मामले सीबीआई को दिए जा चुके हैं तो फिर कठुआ बलात्कार मामले को सीबीआई के हवाले करने में क्या समस्या है?
जिस प्रकार एक छोटी बच्ची के शव पर कश्मीरी नेतृत्व राजनीति कर रहा है वह स्पष्ट रूप से साल 2009 में शोपियां में बलात्कार के बाद दो महिलाओं की हत्या मामले को प्रदर्शित करता है। शोपियां की दो महिलाओं की दुर्घटनावश नदी में गिरने से मौत हो गई थी, जबकि भारतीय सुरक्षाबलों पर बलात्कार के बाद उनकी हत्या करने का आरोप मढ़ दिया गया। बाद में हुई सीबीआई जांच से सच्चाई का खुलासा हुआ। भारत विरोधी प्रदर्शन को उग्र करने के लिए अलगाववादी नेताओं ने डॉक्टर से साठगांठ कर गलत मेडिकल रिपोर्ट बनवाई थी।
11 अप्रैल को बार एसोसिएश कठुआ (बीएके) ने शांतिपूर्ण तरीके से कठुआ बंद का आयोजन करने के लिए वहां के लोगों को धन्यवाद दिया था। इस बंद की घोषणा बार एसोसिएशन ने 7 अप्रैल को ही कर दी थी। निम्नलिखित मांगों के लिए बंद का आयोजन किया था।
* राज्य से रोहिंग्या मुसलमानों को निष्कासित करने के लिए
* आदिवासी मंत्रालय की रिपोर्ट वापस लेने के लिए
* तथा नौशेरा, राजौरी और सुंदरबानी को जिला घोषित करने के लिए।
इस सबके अलावा बार एसोसिएशन ने कहा कि हमलोग उस मासूम बच्ची को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ेंगे, जिनकी बेरहमी से बलात्कार कर हत्या कर दी गई।
* 7 अप्रैल को बार एसोसिएशन ने 11 अप्रैल को जम्मू बंद करने का आह्वान किया।
* लेकिन अपराध शाखा हरबरी में बिना किसी तैयारी के चालान के लिए कोर्ट में पेश हो गई।
* शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने के बावजूद हमलोगों ने उनसे 11 अप्रैल तक इंतजार करने का अनुरोध किया
* स्थानीय पुलिस हथियारों और लाठियों से लैश करीब डेढ़ सौ पुलिसकर्मियों के दस्ते के साथ कोर्ट परिसर में घुस गई।
* जब उनसे उन्हें बुलाने के बारे में पूछा तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। न्यायिक अधिकारियों से जब पूछा कि क्या आपने पुलिस दस्ते को बुलाया है तो उन्होंने भी नकारात्मक जवाब ही दिया।
* पुलिस दस्ते से शांतिपूर्ण विरोध होने का हवाला देकर वहां से चले जाने का अनुरोध किया। लेकिन स्थानीय पुलिस ने एसोसिएश के सदस्यों को तीतर-बितर करना शुरू कर दिया। जिन सदस्यों ने विरोध किया उन्हें लाठी दिखाते हुए धक्का देकर बाहर कर दिया।
* उपलब्ध विडियो क्लिप में अपनी-अपनी वर्दी में स्थानीय पुलिस और बार एसोसिएशन के सदस्यों के बीच चल रहा संघर्ष स्पष्ट दिखता है।
* इस विडियो क्लिप में एक भी शॉट ऐसा नहीं है जिसमें कोई बार मेंबर अपराध शाखा के किसी भी सदस्यों को रोकते या बाधा पहुंचाते दिखे हों।
* जिस समय पुलिस बार मेंबर को निकाल रही थी उस समय अपराध शाखा के अधिकारी सीजेएम कठुआ के चैंबर में चार्जशीट दाखिल करने में व्यस्त थे।
अपराध शाखा को कोई बाधा नहीं पहुंचाई
* बार एसोसिएशन कठुआ के किसी भी सदस्य ने 9 अप्रैल को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने के दौरान अपराध शाखा के सामने कोई बाधा नहीं खड़ी की
* आरोपी को रिमांड पर लेने के लिए या गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए अपराध शाखा ने आरोपियों के साथ कई बार कोर्ट में पेश हुई, हरेक बार उन्होंने कोर्ट परिसर में अपने वाहन पार्क किए, पैदल कोर्टरूम तक गए तथा मजिस्ट्रेट के सामने अपना आवेदन पेश किया। कभी कोई दिक्कत नहीं हुई।
* इन सभी प्रक्रियाओं के दौरान किसी भी बार सदस्य ने उनके खिलाफ कभी प्रदर्शन नहीं किया। उनकी प्रक्रिया में कभी बाधा नहीं पहूंची और कभी सदस्यों ने कोई नारेबाजी नहीं की।
* सच्चाई तो ये है कि बार सदस्य अपनी उन चार मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, जिनमें से एक मांग आशिफा हत्या मामले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर थी।
सोशल और राष्ट्रीय मीडिया पर गलत विमर्श
कश्मीर के अलगाववादियों तथा राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित लोगों ने सोशल मीडिया तथा ट्विटर पर गलत विमर्श चला रखा है। कुछ राष्ट्रीय मीडिया भी इस प्रकार के विमर्श को चला रहै हैं। उन्होंने अपने इस अभियान में हमारे विचारों को नहीं शामिल किया है। बार एसोसिएशन कठुआ का ‘हिंदू एकता मंच’ से परोक्ष या अपरोक्ष रुप से कोई संबंध नहीं है।
* एसोसिएशन सीबीआई जांच के लिए महज कानूनी विकल्प खोजेगा कि असली गुनहगार को दंड मिल सके, इससे ज्यादा नहीं।
* एसोसिएश हमेशा ही बिना किसी भेदभादव तथा सम्मानित जीवंत बहस के लिए उपलब्ध है।
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