650 दिन में केजरी सरकार ने 650 शराब के ठेका का लाइसेंस जारी किया, जिसमें 400 शराब की दुकान और 250 बीयर बार का लाइसेंस है। भाजपा प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय का आरोप है कि केजरीवाल सरकार ने शराब के ठेके के हर लाइसेंस के लिए 5 करोड़ रुपये की रिश्वत ली है।
पंजाब को नशा मुक्त कराने के एजेंडे के साथ केजरीवाल ने पंजाब में अपने चुनाव अभियान की शुरुवात की थी। दिल्ली में नए शराब लाइसेंस जारी कर पंजाब को नशा मुक्त कराने का दावा करने वाले केजरीवाल के पर आखिर लोग विश्वास करें भी तो कैसे? दिल्ली में शराब के नए लाइसेंस जारी करने के खिलाफ पूर्व आम आदमी के सदस्य और स्वराज अभियान के संस्थापक योगेंद्र यादव ने भी अगस्त 2016 को केजरीवाल के नाम खुला पत्र लिख कर जवाब माँगा और अलग-अलग RTI के तहत नयी शराब की दुकान खोलने के आंकड़े माँगे! स्वराज अभियान जनहित याचिका के बदले में जो आंकड़े प्राप्त हुए वह सचमुच हैरान करने वाले थे। आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपने कार्यकाल में लगभग हर एक दिन शराब की एक नयी दुकान खुलवाई।
केजरीवाल के ही पूर्व सहयोगी प्रशांत भूषण ने भी केजरीवाल सरकार पर कुछ इसी तरह के आरोपी लगते हुए कहा था कि भ्रस्टाचार और नशे के खिलाफ खड़ी पार्टी ने स्वयं अपनी नींव नशे को बढ़ावा देते हुए मजबूत की। जनता की रायशुमारी से काम करने करने के लिए प्रतिबद्व आप सरकार ने रोज नए शराब के लाइसेंस जारी किये। प्रशांत भूषण ने दावा किया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने किये गए वादों से पलट गए तथा नशे के कारोबार को बढ़ावा देने में लगे रहे। भूषण ने कहा कि केजरीवाल पंजाब को नशामुक्त कराने का वादा तो कर रहे हैं लेकिन दिल्ली में उनकी सरकार के आने के बाद शराब की बिक्री दोगुनी हो चुकी है।
पंजाब को नशा मुक्त कराने के नारे को बुलंद करते हुए केजरीवाल यदि यह सोच कर पंजाब के चुनावी समर में कूदे हैं कि उनके झूठे वादों पर विश्वास कर लोग उनको पंजाब का भाग्य विधाता बना देंगे। लगता है कि वह भ्रम पाले बैठे हैं! क्योंकि “झूठ की हंडिया सिर्फ एक बार चढ़ती है!”