दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल जी आम आदमी पार्टी के द्वारा जिस स्वप्निल अंदाज में भारतीय राजनीति के दरवाजे पर दस्तक दी थी लगने लगा था कि राजनीति के दिन फिरने वाले हैं ! किन्तु बड़े धमाके वाले बम समझ कर दिल्ली कि जनता ने जिसे पलकों पर बिठाया था वह फट तो रहा है लेकिन जनता से किये वादों के लिए नहीं वरन पूर्ण रूप से केंद्र की मोदी सरकार का विरोध करने के लिए। पिछले दो सालों में केजरीवाल जी सड़कों पर धरना देने के लिए जितनी प्रसिद्धि पा चुके हैं उतना ही जनता का उन पर से विश्वास कम होता जा रहा है! केंद्र से उनके गतिरोध को देख कर लगता है कि केजरी वाल दिल्ली की सत्ता में नहीं हैं बल्कि केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्ष में बैठे हैं!
सडकों पर उतर कर जनता की भावनाओं से खेल कर आप कौन सी राजनीति करने जा रहे थोड़ा बहुत जनता समझने लगी है! कहीं आप केंद्र पर निशाना साध कर पंजाब की जनता को भ्रमित करने की राजनीति तो शुरू नहीं कर रहे है! ‘हमें केंद्र सरकार काम नहीं करने दे रही है’ का रोना रोने से अब काम बनता नहीं दिख रहा है! दिल्ली विधान सभा के उपचुनाव के परिणाम उसका प्रमाण है वहां के नतीजों ने कम से कम यह तो आपको जता ही दिया है ! आम आदमी पार्टी की आगे की राह उतनी आसान नहीं जितना आप समझ रहे थे! इस तरह का असंवैधानिक आचरण कर आप अपना कद और रुतबा दोनों को घटा रहे हैं! केजरीवाल जी पंजाब दिल्ली से ज्यादा दूर नहीं है! दिल्ली की जनता की सुगबुगाहट पंजाब पहुँच गयी तो आपके और आम आदमी पार्टी लिए कहीं शोर न बन जाए ! कहीं आम आदमी पार्टी के द्वारा की जा रही सारी तैयारियों पर रायता न फ़ैल जाए !
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की जनता को चासनी में डुबो के वादों का जो रसगुल्ला दिया था केजरीवाल जी उसमें कड़वाहट आनी शुरू हो गयी है! आपके द्वारा को जनता को दिए वादों की लिस्ट लम्बी है! जनता आपकी और मुंह ताके खड़ी है, आपको धरना और केंद्र सरकार की नीतियों पर बवाल करने से पहले अपनी नीतियों पर अमल करना ही होगा ! आप जानते हैं ही हैं जनता जितना तेज़ी से आसमान पर बिठाती है उससे कहीं ज्यादा तेज धरती पर गिरा भी देती है। रही बात धरने पर बैठने की तो कोई न कोई किसी न किसी पर मुद्दे पर रोज धरने पर बैठ ही जाता है, धरने का काम जनता पर छोड़ दीजिये और आप वह कीजिये जिसके लिए आपको जनता ने मुख्यमंत्री बनाया है, और विधान सभा भेजा है अगर आपको मोदी जी से कोई विशेष लगाव है तो आप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दीजिये और बैठ जाइये धरने पर ! वो क्या हैं न दिल्ली में जंतर-मंतर धरने के लिए एक जगह बिलकुल सही जगह है।