महान कूटनीतिज्ञ चाणक्य ने कहा था ‘जो अपना इतिहास भूल जाते हैं, उनका भूगोल बदल जाता है।’ आज ये उक्ति भारत पर ही चरितार्थ हो रही है। स्वतंत्रता के बाद साल दर साल हम अपने गौरवशाली इतिहास से दूर होते चले गए हैं। झूठे इतिहास ने संस्कृति को इतना नुकसान पहुँचाया कि हिन्दुओं के सर्व स्वीकृत आराध्य श्री राम की वास्तविकता पर संदेह किया जाने लगा। ‘अर्बन नक्सल्स’ किताब लिखकर वामियों की नाक में दम करने वाले ख्यात लेखक विवेक अग्निहोत्री ने देश को नए इतिहास से रूबरू करवाने का बीड़ा उठाया है। वे 250 करोड़ की लागत से तीन फिल्मों की सीरीज बनाने जा रहे हैं। ये मेगा प्रोजेक्ट खोई हुई हिन्दू सभ्यता को सिल्वर स्क्रीन पर जीवित करने जा रहा है।
तीन भागों में बनने जा रही इस ट्रिलॉजी में ‘ब्रम्हा से बुद्ध’ के इतिहास का प्रस्तुतिकरण किया जाएगा। 250 करोड़ के इस मेगा प्रोजेक्ट को साकार करने में लगभग पांच साल का समय लगेगा। विवेक के मुताबिक इस विषय पर फिल्म बनाने से पहले व्यापक शोध की जरूरत होगी। विवेक फिल्म बनाने से पहले एक रिसर्च पैनल बनाने जा रहे हैं। इस पैनल में बड़ी संख्या में स्कालर्स, इतिहासकार, पुरातत्ववेत्ता, खगोल शास्त्री और मानव विज्ञानी शामिल किये जाएंगे। विवेक का कहना है कि ये प्रोजेक्ट उनके जीवन का उद्देश्य बन गया है। वे बहुत जल्द ये प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहे हैं।
साफ़ है कि विवेक तीन फिल्मों की सीरीज वास्तविकता के आधार पर बनाना चाहते हैं। यदि आपको ब्रम्हा से बुद्ध तक के इतिहास को फिल्म में शामिल करना है तो ये बहुत थका देने वाला शोध कार्य साबित होगा। सबसे पहले अशुद्ध और झूठे इतिहास को पहचानकर दरकिनार करना होगा। इसके बाद जो बचेगा वह वास्तविक होगा। निश्चय ही विवेक अपनी टीम में ‘वामपंथी इतिहासकारों’ को शामिल करने से परहेज बरतेंगे। इसका शोध कार्य स्वयं में एक महान कार्य होगा क्योंकि इस काम में ही दो साल से अधिक का समय लग जाएगा।
विवेक कहते हैं कि वे माँ सरस्वती के भक्त हैं और उन्होंने चाहा तो ये काम जरूर पूरा होगा। पूरी दुनिया में सिर्फ एक ही ऐसी जगह है जहाँ ‘सरस्वती’ का प्राकट्य वैज्ञानिक आधार पर हुआ था। वे ये प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले एक बार मध्यप्रदेश के धार में प्राचीन भोजशाला अवश्य जाएं। इस पवित्र और महान उद्देश्य के लिए एक सरस्वती भक्त को भोजशाला सरस्वती मंदिर जाना चाहिए। यदि ये प्रोजेक्ट सटीक ढंग से आगे बढ़ा तो उनकी कहानियों में भोजशाला सरस्वती मंदिर अवश्य शामिल किया जाएगा।
विवेक अग्निहोत्री के मुताबिक फिल्म की कहानी का आधार में वेदों, रामायण, महाभारत, सिंधु घाटी की सभ्यता से मिली जानकारियां होंगी। चूँकि यहीं हिन्दू संस्कृति का केंद्र बिंदु है इसलिए शोध का क्षेत्र ये ग्रन्थ होंगे। इसके अलावा पुरातत्व से उनको बहुमूल्य जानकारियां मिलेंगी। ये एक ऐसा प्रोजेक्ट होगा जिस पर अब तक ऐसी शैली में काम नहीं किया गया है। यदि इसे आज शुरू किया जाए तो सन 2023 तक ये पूरा हो सकता है।
विवेक अग्निहोत्री और उनकी टीम को अपना सर्वस्व इसमें लगा देना होगा, तब कही जाकर भारत के लिए गर्व करने लायक फिल्म बन सकेगी। फिल्म के पहले भाग में ब्रम्हा से बुद्ध के अध्याय शामिल किये जाएंगे। इसके बाद वाले भाग में कहानी बुद्ध से ब्रिटिश राज तक जाएगी। इसके बाद आखिर हिस्से में कहानी ब्रिटिश राज से आज के बुलेट ट्रेन के युग तक आएगी। स्पष्ट है कि पौराणिक काल और मध्य युगीन इतिहास अलग भागों में दिखाए जाएंगे।
जब विवेक अग्निहोत्री अपनी किताब की लॉन्चिंग के लिए विदेश यात्रा पर थे, उस दौरान उनके मन में इस प्रोजेक्ट का बीज उग चुका था। बाद में उन्होंने उसी शिकागों में उसी जगह पर लोगों को सम्बोधित किया, जहाँ स्वामी विवेकानंद ने अपना विश्व प्रसिद्ध सम्बोधन दिया था। वह सम्बोधन था तो किताब के बारे में लेकिन उन क्षणों में वह ‘बीज’ फुट पड़ा था। ब्रम्हा से बुद्ध की कहानी के विचार ने बीज से पौधे का रूप ले लिया। ये एक संयोग था कि विवेकानंद के कर्म स्थल पर उनका विचार परिपूर्ण हुआ।
URL: From Brahma To budha: Vivek Agnihotri’s trio series Cover History Of Indic Civilisation
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