मुझे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी बहुत कम मौका देते है, जब मैं उनकी अलोचना कर सकूं। लेकिन पिछले दिनों से एक ऐसे हादसे की पुनरावृत्ति हो रही, जिस पर मोदी जी के मौन ने मेरा धैर्य तोड़ दिया है।
मैं मोदी जी को, पिछले कई वर्षों से, बराबर गांधी जी के गुणगान करते हुये देखता और सुनता रहा हूँ। मैं उनकी हर बात पर सहमत होते हुये भी, गांधी जी के प्रति उनके इस प्रचुर मात्रा में किये समर्पण पर कभी भी सहमत नही हो पाया हूँ। मैंने हमेशा यह मान कर संतोष किया है कि शायद मैंने गांधी जी को समग्रता में नही समझा है यह इसी का परिणाम है और मोदी जी का गांधी जी के प्रति आस्था और समर्पण पूर्ण है।
लेकिन मोदी जी मुझ को यह दुःख से कहना पड़ रहा है कि जहां आपने गांधी जी के आचार, विचार, चरखा और आश्रम का बड़ा ख्याल रखा है, वही गांधी जी की बकरी को आपने अनाथ छोड़ दिया है। एक तरफ आपसे पूरे भारत का सिक्युलर वर्ग इसी बात पर आक्रोशित है कि आपने एक एक करके सेक्युलर्स के प्रतीकों को उनसे छीन लिया है वही पर आपने इतनी बड़ी गलती की कि आपने गांधी जी बकरी को सेक्युलर्स के हवाले छोड़ दिया?
अब देखिये क्या हो रहा है बकरी के साथ?
कुछ समय से अखबारों में बकरी बलात्कार की घटनाये पर्याप्त जगह घेरने लगी है। यदि बकरी के साथ मुहल्ले के बकरे ने किया होता तो कोई बात नही थी क्योंकि यह बलात्कार, बकरी के घरवालों को कुर्बानी के लिये तैयार बकरे की उम्मीद देता है लेकिन यह बकरी का बलात्कार घर के और मुहल्ले के आदमजातों द्वारा किया गया है, मोदी जी! पहले तो बकरी के साथ बलात्कार करते लोग पकड़े जाते थे लेकिन अब तो निर्भया के तर्ज पर बकरियों की बलात्कार करने के बाद हत्या भी की जाने लगी है!
आज गांधी जी की बकरी के साथ आदमियों द्वारा किये जारहे इस घृणित व विच्छिप्त कार्य पर भारत का सारा सिक्युलर वर्ग मौन है। अब क्योंकि गांधी जी की बकरी पर यह इस्मत दारी धर्म सम्मत बताई जारही है इसलिये इसके विरोध में, गांधी जी की बकरी के हक में बोलना भारत के सेक्युलर्स वर्ग के लिये यह गंगा जमुनी तहजीब के खिलाफ है।
मोदी जी, गांधी जी भी आपके ही तरह फकीर थे और बकरी के लिये बिना वसीयत कुछ किये ही हे राम हो गये थे। आज बकरी इतनी असहाय है कि वो बॉलीवुड की बकरियों को #JusticeForBakri का प्लेकार्ड पकड़ा कर उनका फोटोशूट भी नही करा सकती है। बकरी के दुःख दर्द की कहानी यही तक सीमित नही है, बुर्का दत्त, सागरिका गोश्त, राँड अयूब, शहला रगड़घिस इत्यादि लुट्येन्स ब्रीड की बकरियां उसको इसी काबिल मान कर उससे दूरी बना रक्खी है!
मोदी जी, आज गांधी जी की बकरियां आप से इंसाफ मांग रही है। उनकी आपसे मांग है कि कानून में फिर एक बदलाव कीजिये और इनकी इस्मत को तार तार करने वालो को फांसी की सज़ा का प्रवधान कीजिये। यदि यह नही हुआ तो वह दिन दूर नही है कि बकरी तो बकरी, कोई भी चौपाया, मजहबी किताब के आशीर्वाद से किसी भी छोटे भाई के पायजामे से बचेगा नही।
मोदी जी, गांधी जी की बकरी ने चंद लाइनें आपको भेजी है और उम्मीद की है इन लाइनों को ‘मन की बात’ में स्थान देंगे और आदमजातों में ह्रदय परिवर्तन की एक और कोशिश करेंगे।
हे बकरी तेरी हाय, यही कहानी
थन में दूध, और आंखों में पानी।
बेटे जो जने, वो बन गया कुर्बानी
हवस मिटाय मिंयाँ की, वो जिस्मानी।
घर की हव्वा बुर्के में छिप, कहे कहानी
तू आदम की लौंडी, बिन बुर्के की दुखयारी।
साभार: पुष्कर अवस्थी के फेसबुक वाल से
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