विकास प्रीतम। अल्बर्ट आइन्स्टाइन ने महात्मा गांधी की महानता के सन्दर्भ में कहा था कि “आने वाली पीढ़ियाँ इस बात का यकीन नहीं करेंगी कि हाड़-मांस का ऐसा मानव इस पृथ्वी पर कभी चलता फिरता था” और इसी तरह का यकीन ज़ाकिर नाइक के लिए न केवल आने वाली पीढ़ियों बल्कि हमारी अपनी पीढ़ी को भी नहीं होगा कि ऐसा कोई व्यक्ति जो खुलेआम देश के खिलाफ युद्ध और जिहाद की वकालत करता हो, जो ओसामा बिन लादेन जैसे आंतक के सरगना का गुणगान करता हो कभी हमारे बीच में न केवल रहा होगा बल्कि खुलेआम अपने पाप के साम्राज्य को फैलाया होगा। यह अविश्वसनीय कारनामा इस देश में कांग्रेस राज में संभव हुआ है जब केंद्र और महाराष्ट्र दोनों जगह कांग्रेस की सरकारें सत्ता में थीं।
धर्म विशेष के तुष्टीकरण की राजनीति की चैंपियन कांग्रेस के लिए जाकिर नाइक किसी ट्रॉफी से कम नहीं था क्योंकि वह न केवल कांग्रेस के लिए वोट बैंक साधने का जरिया था बल्कि नोट उगाहने का भी जरिया बना और यह तथ्य भी रिकॉर्ड में दर्ज हैं कि जाकिर नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन से राजीव गांधी फाउंडेशन ने 50 लाख रूपये का चंदा लिया था।
गौरतलब है कि श्रीमती सोनिया गांधी स्वयं राजीव गांधी फाउंडेशन की चेयरपर्सन हैं लेकिन जब जुलाई में हुए ढाका हमले के गुनाहगारों को उनके इरादों और आतंकी सोच के लिए जाकिर नाइक से प्रेरित बताया गया तो कांग्रेस ने बदनामी के लपेटे से खुद को बचाने के लिए 2011 में लिया गया यह चंदा 2016 में वापस कर दिया, जबकि कांग्रेस पार्टी और उसके नेता जाकिर नाइक और उसके संगठन की असलियत से बखूबी वाकिफ थे। जिसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दिसम्बर 2012 में तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने संसद में दिए गए अपने वक्तव्य में कहा था कि जाकिर नाइक के स्वामित्व वाला पीस टीवी चैनल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है इसलिए इसको बैन किया गया है। क्या तब कांग्रेस को इस बात का ख़याल नहीं रहा कि आखिर वह कैसे एक राष्ट्र विरोधी संगठन से किसी प्रकार की आर्थिक मदद स्वीकार कर सकती है ? क्यों नहीं जाकिर नाइक से हासिल 50 लाख रूपये की मदद को उसी वक्त वापस कर दिया गया ?
यही नहीं कांग्रेस के एक दिग्गज नेता, राज्यसभा सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह 2012 में जाकिर नाइक के साथ मंच साझा करते हुए न केवल उसके कसीदे पढ़ते हैं बल्कि उसे ‘शांति का दूत’ करार देते हैं। यह भी गौरतलब है कि उस वक्त तक ब्रिटेन और कनाडा की सरकारें जाकिर नाइक के भड़काऊ और कट्टरपंथी भाषणों की वजह से उसके देश में प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा चुकी थीं। ऐसे में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह से आज यह पूछा जाना चाहिए कि उन्हें इस व्यक्ति में शान्ति और भाईचारे का दर्शन आखिर किस कोण से हो गया ? हाँ यह बात और है कि जाकिर नाइक और दिग्विजय सिंह दोनों के मन में ओसामा बिन लादेन के प्रति साझा सम्मान है। जहाँ जाकिर नाइक; लादेन को आतंकी ही नहीं मानता वहीँ दिग्विजय सिंह लादेन को ‘ओसामा जी’ कहकर भरपूर इज्जत बख्शते हैं।
जाकिर नाइक इस देश की सेकुलरी सरकारों के साए में पला-बढ़ा वह शख्स है जो इन्सानियत का दुश्मन है, जो अमन और तरक्की से नफ़रत करता है, जो दुनिया को जाहिलियत के दौर में धकेलना चाहता है। उसकी जिस सोच और विचारों को हमारे सेकुलर नेता शांति और सदभाव का प्रतीक कहते हैं वह निहायत ही घटिया और फ़िज़ूल हैं जिसके अनुसार इस्लाम के अलावा सभी धर्म गलत हैं, उनमें दी जाने वाले शिक्षएं गलत हैं, इसलिए दुनिया भर में कहीं भी मंदिर, चर्च तथा अन्य गैर इस्लामिक इबादतगाह नहीं बनने देना चाहिए। वह यहाँ तक कहता है कि सभी मुसलमानों को आतंकवादी होना चाहिए । क्या कोई भी सभ्य समाज इस प्रकार की वाहियात सोच और विचार रखने वाले व्यक्ति को सराहेगा, उसे स्वीकार करेगा?
जाकिर नाइक के ऐसे ही भड़काऊ बोल और नकारात्मक उपदेश ही ढाका के एक रेस्तरां में भयावह हमले का कारण बने। जहाँ नाइक के विचारों से प्रेरित कुछ कट्टरपंथी युवाओं ने उस रेस्तरां में मौजूद एक भारतीय नागरिक सहित कुल 20 विदेशी नागरिकों का बर्बर तरीके से क़त्ल कर दिया। इस घटना ने दुनिया को न केवल हिला कर रख दिया बल्कि यह सोचने के लिए भी मजबूर किया कि आखिर ऐसी पाशविक सोच आखिर किन हालातों में और किन लोगों की वजह से पनप रही है? ज़ाहिर है ऐसे प्रश्नों की तलाश जाकिर नाइक जैसे लोगों पर ही खत्म होती है।
अपने अनुयायियों को इस्लाम की शिक्षाओं के माध्यम से निर्भीक और बेख़ौफ़ बनने की शिक्षा देने वाला यह इंसान अब देश में अपनी संभावित गिरफ्तारी के डर से विदेशों में बचता फिर रहा है। दुनिया भर में अपने करोड़ों समर्थक होने और अपनी विद्वता का दम्भ भरने वाला जाकिर नाइक पिछले महीने अक्टूबर में अपने पिता के देहांत होने पर भी भारत नहीं लौटा। लेकिन अब देश में राज बदल गया है। जिसमें जाकिर जैसे लोगों का महिमामंडन नहीं होगा बल्कि उन्हें क़ानून के सवालों का सामना करना ही पड़ेगा। जाकिर नाइक पर क़ानून का शिकंजा कसने के उद्देश्य से अभी हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन तथा इससे जुड़े 10 ठिकानों पर छापा मारने की कारवाई की है तथा नफरत फैलाने एवं धार्मिक भेदभाव भड़काने के आरोप में एफआईआर भी दर्ज की है।
इसके पहले गृह मंत्रालय इस्लामिक रिसर्च पर पांच साल का प्रतिबन्ध और किसी भी प्रकार का विदेशी चंदा लेने की रोक लगा चुकी है। यह सरकार देश के दुश्मनों और गुनाहगारों को किसी भी हाल और किसी भी हद नहीं छोड़ेगी। आज नहीं तो कल जाकिर नाइक को देश के कानूनों का सामना करना ही होगा। दिल्ली में चंदा देकर गन्दा धंधा अब और नहीं चलेगा। जाकिर प्रकरण में देश उन लोगों के चेहरे से भी नकाब उतरते देखेगा जो लोग जाकिर का समर्थन करते रहे हैं और जिनके आगे भी ऐसा ही करने की उम्मीद है।