गर्वित क्षण है भारत के लिए भारत के प्रत्येक व्यक्ति के लिए, जन गण मन की धुन कहीं भी बजे मेरे रोंगटे खड़े देती है। यदि विश्व पटल पर यह धुन बजे तो वाकई छाती चौड़ी हो जाती है। भारत की नारी शक्ति ने कॉमनवेल्थ खेलों में बेहतरीन प्रदर्शन करने के बाद एक बार पुनः ये क्षण भारतीयों को दिया है जो सदा के लिए इतिहास के पन्नो में दर्ज हो जायेगा। शाबाश शब्द शायद छोटा पड़ जाएगा असम की 18 वर्षीय एथलीट हिमा दास के लिए जिसने वह कर दिखाया जो आज तक भारतीय एथलेटिक्स के इतिहास में नहीं हुआ! फिनलैंड के टैम्पेयर शहर में हिमा द्वारा आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतना अपने आप में हिमा की मेहनत की कहानी कहता है।
देश के लिए मैडल लाना अपने आप में एक उपलब्धी है लेकिन पोडियम में अपने झंडे को धीरे धीरे राष्ट्र गान के साथ सबसे ऊपर देखने का फक्र जितना खिलाड़ी करता है उतना ही खेल प्रेमी भी करते हैं। काफी अरसे के बाद एक ऐसी दौड़ देखी तो 1960 की मिल्खा सिंह की उस रेस की याद ताज़ा हो गयी जिसमें मिल्खा सिंह ने लाहौर में पाकिस्तान के चोटी के धावक अब्दुल खालिद को बड़े अंतर से हराया था। और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति को यह कहने पर मजबूर कर दिया था कि ‘आज आप दौड़े नहीं उड़े हैं आज से लोग आपको उड़न सिख के नाम से जाने जायेंगे!’ मेरा महान मिल्खा सिंह से इस उभरती एथलीट की तुलना करने का कोई मकसद नहीं है। लेकिन जिस हिसाब से हिमा ने आखिरी क्षणों में तेजी पकड़ी और अपने प्रतिद्वंदियों से बढ़त बनाई, मुझे सचमुच मिल्खा सिंह की वह दौड़ याद आ गयी।
एक किसान परिवार की लड़की का एकदम से पूरी देश की बेटी हो जाना आसान काम नहीं है ये उनकी कड़ी परिश्रम का फल है हिमा असम के एक साधारण किसान की बेटी हैं, जो चावल की खेती करते हैं। वह बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ खेलों की 400 मीटर की स्पर्धा में हिमा दास छठे स्थान पर रही थीं। लेकिन इस बार वह अपनी कड़ी म्हणत के दम पर गोल्ड पर भारत झोली में डालकर देश की लाडली बन गयी गर्व है आप पर…
URL: hima das creates history to won gold in under20 athletics championship
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