भारत में हिन्दू खुद को कमजोर समझते हैं,जबकि ऐसा होना नहीं चाहिए. एकेडमिक हिन्दूफोबिया पुस्तक के अनावरण के बाद बोले विख्यात शोधकर्ता और लेखक राजीव मल्होत्रा. राजीव मल्होत्रा अपनी नयी पुस्तक अकेडमिक हिन्दूफोबिया के अनावरण के बाद राजीव उपाध्याय को दिए गए साक्षात्कार में बोले कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर दोहरा मापदंड अपनाया जाता है और भारतीय मीडिया कई हद तक इसके लिए जिम्मेदार है.
भारत में अभिव्यक्ति के नाम पर हिन्दुओं से सम्बंधित देवी देवताओं धर्मगुरुओं और धार्मिक पुस्तकों को कोई भी कुछ कह सकता है. उसके खिलाफ न क़ानून कुछ कहता है और न मीडिया, यही हिंदुफोबिया है. भारत में हिन्दुओं के डर से सम्बंधित बहुत सारी ऐसी बातों को राजीव मल्होत्रा ने अपनी पुस्तक में जगह दी है. वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने एकादमिक हिंदुफोबिया पुस्तक के बारे में कहा कि गीता और रामायण के जैसे इस पुस्तक को भी हर घर में होना चाहिए.
राजीव जी ने कहा, बांग्लादेश में लगातार हो रही हत्याओं के खिलाफ कोई सामने नहीं आ रहा है. वैसे तो अमेरिका ह्यूमन राइट्स के नाम पर दूसरे देशों में हस्तक्षेप करती है लेकिन बांग्लादेश में हो रही घटनाओं के नाम पर सब चुप बैठे हैं ? भारत सरकार UNO में अपना पक्ष रख सकती हैं और बांग्लादेश से उसकी जवाबदेही के बारे में पूछ सकती है!
राजीव जी ने 18 से 35 साल के लोगों से कहा भारत में मीडिया बहुत सशक्त हो चुकी है. यहाँ तक, वो नेताओं से भी ज्यादा ताकतवर है उनकी मनमानी के खिलाफ सरकार कुछ नहीं कर पा रही है. सोशल मीडिया से भारत का युवा वर्ग उन पर लगाम लगा सकता है, भारत में युवा वर्ग को सोशल मीडिया पर और अधिक जागरूक होने के आवश्यकता है ताकि मीडिया के इस छद्म आवरण को तोड़ा जा सके.
राजीव मल्होत्रा की यह पांचवी पुस्तक है,जो अभी केवल अंग्रेजी में आई है लेकिन जल्द ही हिंदी और अन्य भाषाओँ में इस पुस्तक का अनुवाद कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने की योजना है. राजीव जी को एकेडमिक हिंदूफोबिया के लिए हार्दिक शुभकामनायें.