आज सुबह से ही मेरे पैरों में दर्द था पिछले महीने ही एक्सीडेंट हुआ था लेकिन उस समय दर्द को नज़रअंदाज़ कर गया बिलकुल उसी तरह जैसे मोदी सरकार द्वारा सवर्णो की उपेक्षा, खैर शाम होते होते दर्द में और थोड़ा इज़ाफ़ा हुआ तो मुझे डॉक्टर शरणम गच्छामि के अलावा और कोई रास्ता ना सूझा तो निकल पड़ा मैं डॉक्टर साब से मिलने। घर से कुछ दूर निकलने पर पूरी सड़क लोगों की भीड़ से अटी हुई मिली और किसी नेता जी के कॉपीराइट क्रांतिकारी भाषण से मेरी यात्रा का शुभारंभ हुआ, पूछने पर पता चला कि कोई निषाद के हितैषी नेताजी का आगमन हुआ है और वही ये क्रांति की ज्वाला को अपनी वाणी द्वारा और नेताओं की तरह प्रज्वलित करने की चेष्टा कर रहे थे। खैर जिज्ञासु मन मेरा उस क्रांति वचन को सुनने को मचल गया सो मैं भी अपनी बाइक रोक सुनने लगा कि आखिर ये नेताजी कह क्या रहे है?
थोड़ी देर भाषण सुनने के बाद एहसास हुआ कि सच में हिंदुत्व खतरे में है क्योंकि जब कोई नेता ही जातिगत राजनीति को हवा दे किसी जाति विशेष को यह एहसास दिलाये की वो सबसे दबी कुचली है और आरक्षण के दम पर ही उनका उद्धार हो सकता है तो आखिर उस जाति का मनोबल कैसे सुदृढ़ होगा और वो अपने उत्थान के लिए आरक्षण के अलावा खुद के कर्मों पर कैसे भरोसा करेगी भले ही उनका काम मेहनत का है और वो उस मेहनत और मेहनताना के लिए सक्षम भी है लेकिन जब आरक्षण रूपी बैशाखी उनके पास आ गयी तो क्या सच में वो अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा का उपयोग अपने उत्थान में लगाएगी या फिर भरोसे बैठेगी? खैर सवाल ढेरों उपजे मेरे मन मस्तिष्क में लेकिन होना क्या है जनता भेड़ है और वो सिर्फ अनुसरण करना जानती है चाहे गलत हो या सही और यही लोग गच्चा खा जाते हैं और ये नही सोचते कि वो सिर्फ और सिर्फ हिन्दू हैं एक सनातनी, तो अब मैं कैसे कहूँ की दोषी वो नेता है या फिर जनता जो अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को सुनना छोड़ किसी के झूठे वादों में आ जाती है और ये मर्ज आज का नही 70 साल पुराना है की हमें जातियों में तोड़ा गया और हम टूटते गए सिर्फ किसी के स्वार्थ की पूर्ति हेतु।
खैर मेरे पैरों का दर्द बढ़ता जा रहा था बिल्कुल उपेक्षित सवर्णो के आक्रोश और आंदोलन की ही तरह तो फिर मैं निकल पड़ा अपने गंतव्य की ओर लेकिन दिमाग में वही सवाल घूम रहे थे और जवाब भी कि क्या सच में हिंदुत्व को किसी और से खतरा है जब इसी को मनाने वाले लोग इसे तोड़ने में लगे हैं।
URL: Hindutva is not threat to anyone else, but its followers
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