कश्मीर विवाद पर शेख अब्दुल्ला को सरदार पटेल की धमकी
कश्मीर मसले पर पंडित नेहरू शेख अब्दुल्ला की हर नाजायज मांगों को मान रहे थे और शेख संसद के अंदर खुलेआम धमकी की भाषा बोल रहे थे। सरदार चुप थे, क्योंकि नेहरू ने उन्हें कश्मीर मसले पर अलग रहने को कहा था। एक दिन शेख अब्दुल्ला ने जब संसद के अंदर देश तोड़ने की धमकी देते हुए संसद की अवहेलना करनी चाही तो सरदार ने संसद के अंदर ही उन्हें चुनौती देकर कहा, ‘शेख संसद से बाहर तो जा सकते हैं, किंतु दिल्ली से बाहर आप नहीं निकल पाएंगे।’ यह सुनना था कि शेख सहम कर बैठ गए।
शेख अब्दुल्ला को पता था कि यदि कश्मीर के मुददे पर सरदार ने हस्तक्षेप किया तो उसका भी वही हाल होगा जो हैदराबाद व जूनागढ़ का हुआ था। वह भारत में मिला लिया जाएगा। इसलिए शेख ने नेहरू से कह कर धारा-370 को न केवल थोपा, बल्कि भारत की सेना के अलावा अपनी अलग सेना रखने की सहूलियत भी ली। नेहरू, शेख अब्दुल्ला और गोपालस्वामी अयंगर ने मिलकर धारा-370 की रूपरेखा तैयार की थी।
नेहरू यही नहीं रुके। शेख को मदद देने के लिए उन्होंने बड़े पैमाने पर कश्मीर में हथियार उतरवाए। संयोग से उसमें अधिकांश हथियार लूट लिए गए। नेहरू ने इस लूट का आरोप Rashtriya Swayamsevak Sangh : RSS पर लगाते हुए सरदार पटेल को पत्र लिखा कि संघ के स्वयंसेवकों ने हथियार लूट लिया है। सरदार ने जांच करवाने के बाद फौरन नेहरू को पत्र लिखा कि हथियार लूटने में संघ के किसी स्वयंसेवक की भूमिका स्पष्ट नहीं है और न ही ऐसा कोई सबूत है।
प्रभात प्रकाशन द्वारा शीघ्र प्रकाशित मेरी पुस्तक- ‘गुरु गोलवलकर: संघ के वास्तविक सारथी’ में तिथिवार नेहरू और पटेल के बीच उस पत्राचार का जिक्र है, जिसमें नेहरू की पूरी गतिविधि भारत के खिलाफ और शेख अब्दुल्ला के पक्ष में थी, जबकि सरदार लगातार देश को एक करने की कोशिश में जुटे थे।
आपको यह सारा इतिहास मेरी पुस्तक में मिलेगा। सही मायने में जिन्ना के अलावा नेहरू ने भी देश को तोड़ने का कुचक्र रचा, जिसका विरोध जिसने भी किया उस पर भगवा रंग का आरोप मढ़ दिया गया। भगवा अर्थात त्याग और नेहरू-गांधी अर्थात सत्ता- विरोध तो होना ही है! डॉ राममानोहर लोहिया ने भी पंडित नेहरू के लिए लिखा है, पंडित नेहरू ने एक दिन उनसे कहा कि पूर्वी बंगाल का हिस्सा यदि पाकिस्तान को दे ही देंगे तो कौन सा पहाड़ टूट जाएगा? यह दलदली व मच्छरों वाली जमीन लेकर हम क्या करेंगे? लोहिया ने कहा, यह केवल जमीन नहीं, देश का हिस्सा है! अर्थात कश्मीर हो या पूर्वी बंगाल- पंडित नेहरू को देश की एकजुटता से अधिक सत्ता की लालसा थी।