कठुआ रेप और हत्या कांड में जहां नित नए खुलासे सामने आ रहे हैं, वहीं इस मामले को तूल देने वालों में शामिल एक्टिविस्टों और सेकुलर ब्रिगेड पत्रकारों के मुंह भी काले होने लगे हैं। अब इस मामले में अमेरिका के टेक्सस स्थित रहबर फाउंडेशन की संदिग्ध भूमिका सामने आ रही है। जांच में यह सामने आ रहा है कि रहबर फाउंडेशन ने एक स्थानीय मुसलिम नेता के साथ मिलकर देश-विदेश से फंड उगाहने के लिए कठुआ के पूरे षड्यंत्र को अंजाम दिया था। यही नहीं, इसमें दिल्ली के लुटियन पत्रकारों से लेकर जेएनयू एक्टिविस्ट शेहला राशिद तक को शामिल किया गया था, ताकि इसे ज्यादा हाइप देकर फंड बटोरा जा सके!
रहबर फाउंडेशन का #GoFundMe अभियान और 30 हजार डॉलर का ऑन लाइन हस्तांतरण!
आरोप है कि रहबर फाउंडेशन ने अपने इस षड़यंत्र में बच्ची का नकली पिता बनाकर मोहम्मद यूसुफ पुजवाला, कश्मीर के एक स्थानीय कांग्रेसी नेता, और पीडि़ता का वकील बनाकर तालिब हुसैन व दीपिका राजावत एवं एक स्थानीय ट्रेंड सेटर नजाकत खटाना को शामिल किया। रहबर फाउंडेशन ने इसे देश-विदेश तक इस मुद्दे को उठाने के लिए उपरोक्त लोगों के अलावा दिल्ली के लुटियन पत्रकारों और एक्टिविस्टों की मदद से #GoFundMe नामक अभियान चलाया और देखते ही देखते आन लाइन 30 हजार डॉलर उसके खाते में आ गये। इसमें शक का एक कोण हैदराबाद का एक बॉडी बिल्डर ईशा मिशरी की ओर भी मुड़ रहा है। ईशा ने तत्काल 50 हजार रुपये की रकम देने की घोषणा करते हुए रहबर फाउंडेशन और उसके द्वारा खड़े बच्ची के नकली पिता के बैंक खाता नंबर को पूरे शहर में वायरल कर दिया था। आशंका है कि ईशा ने 50 हजार का टोकन मनी लोगों को फंड के लिए उकसाने हेतु दिया हो, जिसमें वह या रहमत फाउंडेशन कामयाब रहा।
जनवरी की घटना को अप्रैल में उठाने के लिए रहमत फाउंडेशन ने चली बड़ी चाल!
ध्यान देने वाली बात यह है कि जनवरी 2018 में हुई इस घटना के लिए अभियान की शुरुआत रहबर फाउंडेशन के कार्यकारी अधिकारी अजहर पाशा ने 12 अप्रैल 2018 को शुरु किया था, और ताज्जुब देखिए कि इसके तीन दिन पहले से ही दिल्ली के लुटियन पत्रकारों ने इसके पक्ष ट्वीटर पर इसके पक्ष में माहौल बनाना शुरु कर दिया था! यदि ये पत्रकार निर्दोष होते तो घटना के बाद जनवरी में ही इसे ट्रेंड कराते, लेकिन चूंकि इनका ट्वीटर ट्रेंड रहबर फाउंडेशन के फंड अभियान के आसपास शुरु हुआ है, इसलिए ये संदेह से मुक्त नहीं हो सकते हैं। साफ-साफ आरोप है कि इन लुटियन पत्रकारों ने रहबर फाउंडेशन के हिसाब से कठुआ मामले को ट्रेंड कराना शुरु कर किया ताकि देश-विदेश में इसके खिलाफ माहौल बने और जब मामला पूरी तरह से पक जाए तो रहबर फाउंडेशन के खाते में नोटों और डॉलरों की बारिश हो जाए! ठीक यही हुआ।
शेखर गुप्ता, बरखा दत्त सहित अनेक लुटियन पत्रकार व सोशलाइट संदेह के घेरे में!
रहबर फाउंडेशन की साजिश और ट्वीटर ट्रेंड का पहला तार सबसे बड़े लुटियन पत्रकार शेखर गुप्ता और उनके वेब पोर्टल दप्रिंट से जुड़ रहा है। शेखर गुप्ता के दप्रिंट की ओर से सबसे पहले उसकी रिपोर्टर सानिया ढिंगरा ने 9 अप्रैल की रात 10 बजकर 57 मिनट पर पहला ट्वीट किया था। उसके इस ट्वीट को 825 बार री-ट्वीट कराया गया और 1060 लोगों से लाइक कराया गया। इसके कुछ देर बाद ही इसे बड़े ट्वीटर ट्रेंड के रूप में एक अन्य लुटियन पत्रकार और कश्मीरी आतंकवादियों की हमदर्द बरखा दत्त ने बदला। सानिया के ट्वीट करने के करीब दो घंटे बाद रात 1 बजकर 08 मिनट पर बरखा दत्त ने इसे लेकर ट्रेंड कराना शुरु किया। सोचिए, रात के एक बजे बरखा का ट्वीट 3018 लोगों ने री-ट्वीट किया और 4450 लोगों ने इसे लाइक किया! क्या यह संदेह पैदा नहीं करता? इसके बाद एक और लुटियन पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने रात 2 बजकर 25 मिनट पर इसे ट्रेंड कराया, जिस पर 1700 से अधिक री-ट्वीट हुआ। इसमें सोशलाइट शोभा-डे जैसे भी शामिल पाए गये।
नकली बाप ने अदालत में खोली रहबर फाउंडेशन की पोल!
असल में रहबर फाउंडेशन ने जिस मोहम्मद यूसुफ पूजवाला को कठुआ पीडि़ता का नकली बाप बनाकर चंदा का धंधा शुरु किया था, उसी पूजवाला ने अदालत में रहबर फाउंडेशन की पोल खोलकर रख दी है! पीड़िता के नकली बाप यूसुफ पुजवाला ने कोर्ट में रहबर फाउंडेश का सारा काला चिट्ठा खोल दिया है। उन्होंने बताया है कि यह जो धरना, विरोध प्रदर्शन और सड़क जाम किया गया, उसका मुख्य उद्देश्य यह था कि इस दौरान रहबर फाउंडेशन ट्रस्ट लोगों से चंदा के रूप में पैसे इकट्ठा कर सके। बचाव पक्ष के वकील एके साहनी ने बताया है कि रहबर फाउंडेशन ट्रस्ट ने पीड़िता के नकली बाप यानि यूसुफ का जम्मू-कश्मीर बैंक का वह खाता भी अपने पास रख लिया है जिसमें लोगों से पैसे डालने की अपील की गई थी।
रहबर फाउंडेशन के कार्यकारी अधिकारी अजहर पाशा ने भी तब मीडिया में यह बयान दिया था कि “पीडि़ता का पिता बेहद गरीब और डरा हुआ है। हमने उसे वित्तीय रूप से मदद पहुंचाने का आश्वासन दिया है ताकि वह बिजनस शुरु कर सके और इस सदमे से उबर सके।” अब जब यह स्पष्ट हो गया है कि उस बच्ची का पिता ही नकली है तो इस आशंका को बल मिलता है कि रहबर फाउंडेशन, स्थानीय कांग्रेसी नेता सलमान निजामी, शेहला राशिद जैसे जेएनयू के हाईप्रोफाइल एक्टिविस्ट और घटना के तीन महीने बाद रहमत फाउंडेशन के टाइम-टेबल से इसे ट्वीटर पर ट्रेंड कराने पर लुटियन पत्रकार, पूरी तरह से इस साजिश में शामिल थे।
वह स्थानीय नेता कहीं कांग्रेस से तो नहीं?
यूसुफ ने अदालत में यह भी बताया कि इस सबके पीछे जम्मू-कश्मीर का एक स्थानीय नेता है। यूसुफ ने कोर्ट में यह भी खुलासा किया है जम्मू कश्मीर के जिस नेता ने उसे ऐसा करने के लिए कहा था उसका अपना चरित्र ही काफी दागदार है। उसने यह सारा नाटक पैसे बनाने के लिए किया था। उस नेता के खिलाफ पहले से ही चार मामले दर्ज हैं। उसकी अपनी पत्नी और बच्चों ने ही शांबा पुलिस थाने में उसके खिलाफ पैसे मांगने का मामला दर्ज करा रखा है।
आरोप है कि यह स्थानीय नेता कहीं कांग्रेस का तो नहीं है? क्योंकि उस समय उस कांग्रेसी नेता की सक्रियता काफी बढ़ गयी थी और उसने तब पीडि़ता के परिवार को बसने के लिए जमीन देने की घोषणा तक कर दी थी। अब जब पता चल रहा है कि पीडि़ता का तो कोई पिता है ही नहीं, तो यह शक पैदा होता है कि केवल मीडिया हाईप बनाने के लिए कहीं उस कांग्रेसी नेता ने यह चाल तो नहीं चली थी?
और कांग्रेस पर संदेह इसलिए भी बढ़ जाता है कि उसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी आधी रात को दिल्ली के इंडिया गेट पर कठुआ पीडि़ता के लिए रैली निकालने पहुंच गये थे! क्या यह सब स्वतःस्फूर्त था? यदि हां तो फिर राहुल-प्रियंका की आत्मा जनवरी में क्यों नहीं जगी, जब यह घटना हुई थी? और इसके बाद मंदसौर में भी तो एक बच्ची के साथ सामूहिम बलात्कार हुआ था और वह भी नृशंस तरीके से! आखिर कठुआ के बाद मंससौर या उस जैसी अन्य बलात्कार की घटनाओं पर राहुल-प्रियंका घरों से क्यों नहीं निकले?
कठुआ का नया सच, अमेरिकन रहबर फाउंडेशन और उसके इंडियन सिंडिकेट ने रचा सारा षडयंत्र!
इस मामले में अभी तक जितने खुलासे हुए हैं इससे तो यह स्पष्ट है कि कांग्रेस अध्यक्ष या फिर जितने तथाकथित सेकुलर पत्रकार हों या शेहला राशिद जैसी जेएनयू एक्टिविस्ट हों किसी का भी लगाव न उस बच्ची की पीड़ा से था न ही उसे इंसाफ दिलाना था। बस सभी की मंशा इस घटना का शोषण कर किसी तरह पैसे कमाना था और इसी बहाने देश और हिंदुओं को बदनाम करना था! हो सकता है जल्द ही यह भी खुलासा हो कि पीड़ित बच्ची के नाम पर इकट्ठे किए गए पैसे का कुछ भाग दिल्ली के लुटियन पत्रकारों के पास भी पहुंचे हैं!
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URL: How the Rahbar Foundation organized conspiracy of the Kathua rape case? Read this report
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