पिछले कुछ दिनों में हर मामले में सुप्रीम कोर्ट से ही मुंह की खाने के बाद एक बार फिर सूडो सेकुलर पत्रकारों और वकीलों का गैंग लामबंद हो गया है। इस बार यह गैंग जस्टिस केएम जोसेफ के पक्ष में लामबंद हुआ है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं जताई है। इसके उलट सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन काउंसिल ऑफ बार एसोसिएशन की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें इस मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की गई थी।
गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने तीन महीने पहले केंद्र सरकार के पास सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा तथा उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट के जज के रुप में नियुक्ति करने की संस्तुति भेजी थी। कानून मंत्रालय ने इंदू मल्होत्रा की फाइल को आगे बढ़ाते हुए आईबी के पास भेज दी जबकि जोसेफ की फाइल रोक ली गई। सवाल उठता है कि अगर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने संस्तुति भेजी थी तो फिर किसी प्रकार की अड़चन पर आपत्ति भी तो वही उठा सकता है। कानून मंत्रालय के फैसले पर कॉलेजियम ने तो कोई आपत्ति नहीं की है लेकिन एम के वेणु, राजदीप सरदेसाई सरीखे सूडो सेकुलर पत्रकारों ने ट्विटर पर जस्टिस जोसेफ के पक्ष में झंडा बुलंद कर रखा है।
यहां पर भी वही पुराना षड्यंत्र नए रूप में रचने की कोशिश होने लगी है। यहां भी सांप्रदायिकता का कार्ड खेलकर केंद्र सरकार को बदनाम करने की कोशिश हो रही है। इस मामले में द वायर के संस्थापक संपादक एम के वेणु ने तो ट्वीट फाली नरीमन तथा सोली सोराबजी जैसे वरिष्ठ वकीलों को बोलने के लिए उकसाने की कोशिश की है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि फाली नरीमन और सोली सोराबजी जैसे वरिष्ठ वकीलों को बोलना चाहिए कि आखिर सरकार ने दो तरह की नीति क्यों अपनाई है। सरकार ने वरिष्ठ वकील इंदू मल्होत्रा की फाइल तो आगे बढ़ा दी लेकिन जोसेफ की फाइल क्यों रोक ली। सवाल उठता है कि क्या सरकार इन लोगों से पूछकर कोई कार्यकारी फैसला लेगी?
URL: Indu Malhotra Takes Oath As Supreme Court Judge
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