कल तक मोदीजी और योगीजी को खुलेआम अपशब्द कहने वाले, 2002 के दंगे को गुजरात सरकार प्रायोजित दंगा कहने वाले और अखिलेश यादव को महान नेता बताने वाले गौरव भाटिया अब योगीजी और मोदीजी का गुणगान कर रहे हैं! पहले दिनभर राहुल गांधी का गुणगान करने और 2002 के दंगों की बात करने वाले तहसीन और शहजाद पूनावाला बंधू अब एक दूसरे के खिलाफ जहर उगल रहे हैं! लेकिन सूत्र बताते हैं कि दोनों भाई अभी भी एक ही फ्लैट में साथ-2 रहते हैं, एक साथ नाश्ता और भोजन करते हैं और एक ही गाड़ी में चैनल पर आते हैं और यह चैनल वालों को भी पता है!
मीडिया को टीआरपी चाहिए इसलिए यह सब नूराकुश्ती चलता है। यह बदल सकता है यदि आप आज से नूरा-कुश्ती वाले चैनलों को देखना बंद कर दें! मीडिया और नेता मिलकर असली मुद्दों से जनता का ध्यान हटा रहे हैं! समाचार चैनलों पर जो गरमा-गरम बहस होती है वह भी एक दिखावा है। योगीजी को बुरा-भला कहने वाले दिग्विजय सिंह अकेले में उनका पैर छूते हैं! रामदेवजी को अपशब्द कहने वाले ओवैसी अकेले में उनका पैर छूते हैं! बहस शुरू होने से पहले सभी नेता एक साथ चाय पीते हैं और बाद में गले मिलकर एक-दूसरे को बधाई देते हैं! असली मुद्दों पर बहस की बजाय मीडिया आमजनता के सामने रोज कम से कम 10 झूठ परोस देती है। आखिर निम्न बिंदुओं पर कभी क्यों बहस नहीं होती?
* देश में 3.5 करोड़ मुकदमें पेंडिंग हैं, लेकिन इस पर कभी बहस नहीं होती हैं!
* भारत में प्रतिदिन चीन से तीन गुना बच्चे पैदा होते हैं, लेकिन इस पर बहस नहीं होती है!
* ईमानदार देशों की सूची में भारत 81वें स्थान पर है, लेकिन इस पर चर्चा नहीं होती है!
* भारत में प्रतिदिन लाखों गरीबों का मतांतरण हो रहा है, लेकिन इस पर बहस नहीं होती है!
* भारत में कट्टरवाद अलगाववाद जातिवाद वंशवाद बढ़ रहा है, लेकिन इस पर बहस नहीं होती है!
* वोटबैंक राजनीती के कारण 25% संविधान अभी तक पेंडिंग है, लेकिन इसपर कभी बहस नहीं होती हैं!
* समान शिक्षा, समान चिकित्सा और समान नागरिक संहिता पर कोई भी चैनल बहस नहीं करता है!
इंडिया स्पीक्स ने तो आपको सच बता दिया! मानना या न मानना आपकी मर्जी है। यदि सहमत हैं तो इन मीडिया चैनलों को असली मुद्दे पर बहस करने के लिए बाध्य करें। मीडिया तभी बदलेगी, जब आप-हम उसे बाध्य करेंगे, उसे टीआरपी के रसातल पर पहुंचा देंगे। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का प्रयोग करें, देश के असली मुद्दे उठाएं! धन्यवाद!
URL: It is bitter but true, it is necessary to tell this in the countryside
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