उत्तर प्रदेश के दादरी में भीड़ द्वारा मारे गए अख़लाक़ की हत्या ने कल एक नया मोड़ ले लिया जब मथुरा स्थित फॉरेन्सिक लैब ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इखलाक के घर से मिला मांस गौ-वंश का था।
पिछले साल २८ सितंबर की रात को कुछ लोगों ने अख़लाक़ की गौमांस खाने के शक पर पीट पीट कर हत्या कर दी गयी थी। घटना स्थल से मिले मांस की जाँच के बाद आई रिपोर्ट से पुष्टि हुई थी कि मांस गौवंश का नहीं है,उसके बाद जो हुआ वह हम सब जानते हैं।
भारतीय बिकाऊ मीडिया के कुछ तथाकथित चहरे जो कभी भी कही भी भ्रम फ़ैलाने से नहीं चूकते और झूठी टी.आर.पी के चक्कर में यह भूल जाते हैं हमारे द्वारा चलाई गयी खबर का क्या असर पड़ेगा? अखलाख की घटना को पूरे भारत में फैलाने का श्रेय इन्ही बिकाऊ मीडिया को जाता है ! न्यूज़ चॅनेल्स पर सिर्फ इसी एक घटना की चर्चा, देश की हर बड़े अखबारों के पन्ने सिर्फ दादरी हादसे की खबरों से भरे थे।
बीबीसी ने तो निष्कर्ष भी निकल लिया की दादरी की घटना का सन्देश मुसलमानों के लिए क्या है? इस तरह की ख़बरों से समाज में किस तरह का सन्देश देना चाह रहे थे ? इस तरह की ख़बरों के पीछे क्या मंशा रही होगी? यह विचारनीय विषय है! पढ़िए किस तरह से बीबीसी ने खुद सारा निष्कर्ष निकाल लिया ।
http://www.bbc.com/hindi/india/2015/10/151001_apoorvanand_dadri_
उत्तर प्रदेश में २०१७ में चुनाव होने हैं! चुनावों से ठीक पहले अख़लाक़ सम्बंधित खबर का आना क्या एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा तो नहीं? अख़लाक़ हादसे की खबर को बिहार चुनाव में जिस तरह से भुनाया गया था वह आप देख ही चुके हैं. राजनैतिक दलों ने इस घटना के दौरान अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने में कोई कमी नहीं की थी ! माननीय केजरीवाल तथाकथित मुस्लिम हितैषी ओवेशी और युवराज राहुल गांधी ने घड़ियाली आंसू बहाकर खुद को सेक्युलर दिखाने की भरपूर कोशिश की !
एक बार फिर से इस घटना का जिन्न मथुरा फॉरेंसिक रिपोर्ट के रूप में बाहर आया है! यह आया है या इरादतन निकाला गया है यह विषय सोचनीय है।