क्या आप जानते हैं कि देश के नामी मीडिया हाउस में शुमार The Times Of India, The Hindu, The Statesman, The Pioneer, The Navbharat Times, The NDTV News channel, FIRSTPOST, The Week, The Republic TV, The Deccan Chronical, The India TV, तथा The Indian Express को आज दिल्ली हाईकोर्ट ने किसलिए सजा दी है? यही मीडिया हाउस है जिन्होंने कठुआ की रेप पीड़िता की पहचान उजागर कर देश में दंगा फैलाने की कोशिश की थी। पीड़िता की पहचान उजागर करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने इन 12 मीडिया हाउस को दोषी हठराया है और प्रत्येक पर 10 लाख का जुर्माना लगाया है। मीडिया हाउस पर लगे जुर्माने की राशि जम्मू कश्मीर के पीडि़त मुआवजा फंड में भेजी जाएगी।
मुख्य बिंदु
* इन 12 मीडिया हाउसों की करतूतों से अधिक दंगा फैलाने की थी खतरनाक मंशा
* भारतीय दंड संहिता के तहत किसी पीड़िता की पहचान उजागर करना है दंडनीय अपराध
* इतने दिनों से इतने बड़े मीडिया हाउस चलाने वाले क्या इस कानून से थे अंजान?
वैसे भी देश के प्रमुख मीडिया हाउस सनसनी फैलाकर देश के दर्शकों और पाठकों को गुमराह करने के खेल में लिप्त हैं। अब उन्हें पत्रकारिता और पत्रकारिता के सिद्धांत से कोई लेना देना नहीं है। इसलिए अब समय आ गया है इन मुख्यधारा कहने वाले मीडिया हाउस को सबक सिखाने का। और इसे सबक पाठक और दर्शक ही सिखा सकते हैं। इसलिए आज से नहीं बल्कि अभी से इसका बहिष्कार करना शुरू कर दें, इनकी अक्ल ठिकाने आ जायेगी।
बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट की कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल तथा जस्टिस सी हरिशंकर की एक बेंच ने उन मीडिया हाउस पर 10 लाख का जुर्माना लगाया जो कठुआ की पीड़ित बच्ची की पहचान उजागर की। जुर्माना लगाने के साथ ही कहा कि जिन्होंने पहचान उजागर की है उन्हें जेल भी होगी। हालांकि शुरू में अदालत भारी जुर्माना लगाने के पक्ष में थी। लेकिन मौके पर ही मीडिया हाउस द्वारा माफी मांग लेने पर 10 लाख का ही जुर्माना लगाया।
ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी.हरि शंकर की पीठ ने प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रानिक मीडिया पत्रकारों द्वारा कठुआ रेप मामले में, हुई रिपोर्टिंग को देखने के बाद पूरे मामले को संज्ञान में लेते हुए मीडिया से जवाब मांगा था! अदालत ने कहा कि “इस मामले की रिपोर्टिंग जिस तरीके से की गई है इस लिहाज से उन पर कार्रवाई क्यों नहीं करनी चाहिए?
कोर्ट ने इस मामले में मीडिया घरानों को निर्देश दिया है कि आगे से इस प्रकार के मामले में पीड़िता का नाम, तस्वीर, स्कूल या उसकी पहचान जाहिर करने वाली कोई भी सूचना प्रकाशित प्रसारित करने से बचें। कोर्ट ने कहा कि पहचान उजागर करने वाली खबरों से जहां पीड़िता की निजता खत्म होता है वहीं उसका अपमान भी होता है। इसलिए ऐसी खबरें प्रकाशित प्रसारित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। भारती दंड संहिता के तहत इस प्रकार की खबर प्रकाशित और प्रसारित करना दंडनीय अपराध है।
पीड़िता के नाम पर पैसे उगाहने वालों पर भी हो कार्रवाई
कुछ लोग इतने असंवेदनशील होते हैं कि इतने संवेदनशील मामले में अपनी दुकान खोलकर बैठ जाते हैं। कोर्ट और सरकार को इस तरह की दुकानदारी पर संज्ञान लेना चाहिए और इसके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए! पीड़ितों के नाम पर धन उगाही के धंधे में सबसे पहले जेहन में जो नाम आता है वह है तीस्ता सीतलवाड़ का जिसने गुजरात दंगों में ध्वस्त हुई गुलबर्ग सोसाइटी को म्यूजियम बनाने के लिए करोड़ों की मलाई काटी और डकार भी नहीं ली!
आज जेएनयू की शहला राशिद भी तीस्ता की राह पर चलते हुए कठुआ मामले की पीड़िता के परिवार के नाम पर धन उगाही शुरू कर दी है! अब यह उगाही का पैसा पीड़िता के पास पहुंचता है या JNU के अधनंगे शरीर और नशे में लड़खड़ाते पैरों की अय्याशी का साधन, भविष्य ही बताएगा क्योंकि सब्सिडी से JNU में पल रहे अधेड़ छात्रों को हराम की खाने की लत जो लगी हुई है।
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