लता मंगेशकर का स्वर सदा से ही अलौकिक रहा है। उसमे न कुछ बढ़ा है और न कुछ घटा है। ये ईश्वर प्रदत्त आवाज़ आठ दशकों से उन्हें भारत की ‘स्वर कोकिला’ बनाए हुए है। उनके विलक्षण स्वर की बराबरी तो दूर कोई उसकी नकल करने का प्रयास करे तो संगीत की दुनिया में ये बड़ा अपराध ही माना जाएगा। सलमान खान की कृपा से भारतीय फिल्म उद्योग में समकालीन भारतीय गायकों का काम छीनने वाले पाकिस्तानी गायक आतिफ असलम ने लता जी के एक गीत की नकल करने की हिमाकत की है।
एक बार लंदन के मशहूर रॉयल अल्बर्ट हॉल ने कंप्यूटर की मदद से लता मंगेशकर की आवाज़ का एक ग्राफ तैयार किया। दुनिया के प्रसिद्ध गायकों से तुलना करने पर पाया गया कि लता जी की आवाज़ ‘संसार की सबसे परफेक्ट आवाज़’ है। पाकिस्तानी गायक आतिफ असलम ने लता जी के नायाब गीत ‘चलते-चलते यूँ ही कोई मिल गया था’ को रिमिक्स कर अपनी आवाज़ में गाया है। गीत बनाने वालों का दुःसाहस कि वे लता जी से पूछ रहे हैं गाना कैसा लगा? क्रोधित लता जी ने स्पष्ट कह दिया कि वे ये गीत कभी सुनना नहीं चाहेगी। सत्तर के दशक की ख़ामोशी में रचा गया ये कर्णप्रिय गीत दोहराया नहीं जा सकता या ये कहना उचित होगा कि दोहराना नहीं चाहिए।
जिन संगीतकारों ने सीमित संसाधनों में संगीत प्रेमियों को एक से बढ़कर एक गीत दिए, उनके गीतों को इतना तो सम्मान मिले कि कोई ऐरा-गैर पाकी गायक उनका घटिया रिमिक्स न बना सके। दुर्भाग्य से रिमिक्स पर रोक के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया है। अब तक पुराने सैकड़ों गीत रिमिक्स किये जा चुके हैं। इस रिमिक्स से गीत का सत्यानाश होता है साथ ही संगीतकार किसी दूसरे का सृजन मुफ्त में अपने नाम कर लेता है।
आतिफ असलम छोड़िये, संसार में कोई ऐसा गायक नहीं है जो लता जी के गीतों को उस भाव से गा सके। हाल ही में अलका याग्निक का एक गीत ‘दिलबर-दिलबर’ रिमिक्स किया गया। इस गीत के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने करारा जवाब देते हुए कहा ‘वो लोग खुद कोई नया गाना क्यों नहीं बनाते जो आगे चलकर सुपरहिट हो। ऐसा गाना लेने की क्या जरूरत है जो पहले से ही हिट हो। उसमें हेर-फेर करके रिलीज करते हैं और फिर कहते हैं देखो यह कितना हिट हुआ है।’
लता दीदी ठीक ही कहती हैं ‘गाने को बनाने वाले ऑरिजिनल कंपोजर और गीतकारों ने जो भी लिखा और बनाया था, वह उनकी अपनी कलाकारी थी। किसी को अधिकार नहीं कि उनकी कलाकारी को बदले।’ उन्होंने इस चलन से दुखी होकर कुछ दिन पहले एक खुला पत्र भी लिखा था। आतिफ असलम को चाहिए कि वे लता जी का सम्मान करते हुए ये गीत उस फिल्म से निकाल दे। हालांकि उन्होंने अब तक ऐसा कुछ करने का संकेत नहीं दिया है। ये संगीतकार और गायक पुरानी धुनों को रिमिक्स करने के बजाय खुद ऐसा गीत क्यों नहीं बनाते जो सत्तर के दशक के संगीत को टक्कर दे सके।
आतिफ असलम पुरे कॅरियर में एक भी ऐसा गीत नहीं बना सकेंगे। वे कालजयी गीत हृदय से फूटते थे और गायकों के बोलों से झरते थे। उनके पास कंप्यूटर जनित संगीत नहीं था। उनके पास कट-पेस्ट की सुविधा नहीं थी। बावजूद इसके उन्होंने इतिहास रच दिया। उन अमृतमयी गीतों की चोरी ‘रिमिक्स’ कहकर की जा रही है। आने वाले समय में युवा पीढ़ी जानेगी कि ‘पाकीजा’ के गीत नौशाद ने नहीं बल्कि पाकिस्तानी आतिफ असलम ने रचे थे।
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