विकास प्रीतम। ममता बनर्जी सरकार का आदेश है कि इस वर्ष तीस सितंबर और एक अक्टूबर को मोहर्रम के दौरान दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं होगा । मोहर्रम मनाने से किसी को कोई आपत्ति नहीं है पर ऐसे दुस्साहसी क़दमों से वो पश्चिम बंगाल को कहाँ ले जाना चाहती है और क्या साबित करना चाहती है । ये बातें आज किसी से छुपी नहीं है और जनता भी ऐसे कारनामों पर प्रतिक्रिया देने में पीछे नहीं रहती है। पिछले वर्ष उनके ऐसे ही फैसले को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने ‘मनमाना’ और ‘एक समुदाय के तुष्टिकरण’ का प्रयास बताते हुए निरस्त कर दिया था ।
लेकिन ममता बनर्जी की मानसिकता और दुस्साहस देखिये वे न केवल बंगाल और देश भर की भावनाओं को ठेस पहुंचाने और उन्हें नीचा दिखाने का सुनियोजित षड्यंत्र रच रही हैं बल्कि कानून को भी ठेंगा दिखाने से बाज़ नहीं आ रही हैं।