आतंकवाद ने पूरी दुनिया को अपनी जद में ले लिया हुआ है. इस्लामिक देशों से आतंकवाद निकल कर पूरी दुनिया में अपनी जड़ें फैला ली है. अमेरिका, फ्रांस, भारत और अन्य कई देश आतंकवाद की आग में झुलस रहे हैं! आतंकी हमलों के शिकार देशों में इराक,अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बाद भारत चौथे स्थान पर है.
अमेरिका की ‘नेशनल कॉन्सरशियम फॉर द स्टडी ऑफ टेररिज्म एंड रिस्पांस टू टेररिज्म’ नामक संस्था ने 2015 में हुए आतंकवादी हमलों की जो सूचनायें और आंकड़े जारी की हैं वह समूचे विश्व के लिए चिंता का विषय और आँख खोलने वाली हैं. 2015 में समूचे विश्व में 11774 हमले हुए हैं जिसमें 35320 घायलों के साथ-साथ 28 हजार से ज्यादा लोगों की जानें गयीं.
भारत में 2015 में 791 हमले हुए जिसमें से लगभग 340 हमले नक्सलवादियों ने किये. इन हमलों में मरने वालों की संख्या 289 थी. जिसमें सशस्त्र बल और आम नागरिक शामिल थे. यही नहीं भारत में 2015 में अगवा हुए लोगों की संख्या 862 थी, जिसमें से नक्सलवादियों के द्वारा 707 लोगों का अपहरण हुआ जो बेहद चौकाने वाले है! 2014 के आंकड़ों को देखते हुए 2015 में अपहरण किये गए लोगों की संख्या पांच गुना ज्यादा थी!
रिपोर्ट के अनुसार तालिबान, इस्लामिक स्टेट और बोको हराम दुनिया के तीन बड़े आतंकी संगठन हैं. भारत में प्रतिबंधित संगठन माओवादी (CPI) को इस रिपोर्ट के अनुसार चौथे स्थान पर रखा गया है. भारत में छत्तीसगढ़, मणिपुर, जम्मू कश्मीर और झारखंड सबसे ज्यादा आतंकवाद से पीड़ित हैं. इनमें से छत्तीसगढ़ सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है. छत्तीसगढ़ में एक साल के अंदर हमलों की संख्या दूगुनी से ज्यादा हो गयी. जहाँ 2014 में छत्तीसगढ़ में 76 हमले हुए जो बढ़कर 2015 में 167 हो,यानी दुगुने से भी ज्यादा. गृह मंत्रालय (भारत सरकार) के आंकड़ों के अनुसार साल 2010 से साल 2015 तक के आतंकवादी हमलों में 2162 आम भारतीय नागरिक जिनमें की अधिकांश आदिवासी थे और 802 सुरक्षाकर्मी मारे गए।
पिछले साल सबसे ज्यादा आतंकी हमले तालिबान ने किए, जिनमें 4512 लोग मारे गए। इस्लामिक स्टेट (ISIS) ने 2015 में 931 हमले किए जिनमें मरने वालों की संख्या 6050 थी. वहीं बोको हराम ने 491 आतंकी हमलों में 5450 लोगों को मौत के घाट उतारा.
यह सारे आंकड़े संकेत कर रहे हैं, किस तरह आतंकवाद पूरे संसार को अपनी गिरफ्त में लेते जा रहा है. जो बात सबसे ज्यादा सोचनीय है वह यह है कि एक साल के अंतराल में आतंकवादी हमलों की घटनाओं में कई गुना वृद्धि हुई है और संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) केवल हाथ पर हाथ धर कर फिर किसी 9/11, फ्रांस हमले या बांग्लादेश में हमले जैसी घटनाओं की राह देख रहा है.