दिल्ली में इस समय नगर निगम चुनाव का उफान जोड़ों पर है। एक दावे के अनुसार आम आदमी पार्टी के इंटरनल सर्वे में भाजपा 202 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत से जीत हासिल करती हुई दिख रही है। इसकी वजह से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं में भाजपा में आने के लिए भगदड़ मची है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली सहित बड़ी संख्या में कांग्रेसी नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं। कुछ समय पूर्व कांग्रेस के पश्चिमी दिल्ली से पूर्व सांसद महाबल मिश्रा का एक कथित ऑडियो टेप सामने आया था, जिसमें वो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के लिए अपशब्दों का प्रयोग करते हुए सुनाई दे रहे थे। कांग्रेस के अंदर यह चर्चा है कि महाबल मिश्रा ने जानबूझ कर यह कथित ऑडियो टेप सर्कुलेट कराया था, ताकि भाजपा में शामिल होने का उनका रास्ता साफ हो सके। कांग्रेस के बड़े नेताओं द्वारा भाजपा का दामन थामने की मची होड़ से इस कयासबाजी को और बल ही मिलता है।
वह ऑडियो टेप जिसमें कथित तौर पर महाबल मिश्रा द्वारा गांधी परिवार को गाली देने का आरोप है।
ज्ञात हो कि अभी कुछ समय पूर्व सोशल मीडिया पर एक ऑडियो टेप चल रहा था, जिसमें आरोप था कि कांग्रेस के पूर्व सांसद महाबल मिश्रा की कथित आवाज है। उसमें वह बक्करवाला क्षेत्र के एक कांग्रेसी टिकटार्थी ब्रहमप्रकाश नामक नेता से सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लिए अपशब्द कहते हुए सुने गए थे। इस ऑडियो की सत्यता की अभी जांच नहीं हुई है और न ही इंडिया स्पीक्स डेली का ऐसा दावा ही है। लेकिन कांग्रेस के अंदर चर्चा शुरु हो गई है कि इस ऑडियो टेप को महाबल मिश्रा ने जानबूझ कर जारी कराया था। दिल्ली सहित देश भर में कांग्रेस की हो रही दुर्गती और बड़े कांग्रेसी नेताओं द्वारा भाजपा का दामन थामने की मची होड़ को देखते हुए महाबल मिश्रा भी शायद भाजपा में अपना करियर तलाश रहे हैं!
इसकी पुष्टि तो नहीं हुई है, लेकिन ऐसी सूचना है कि कांग्रेस के कई बड़े नेताओं की इस मामले को लेकर बैठक हुई, जिसमें इस पर चर्चा भी हुई। लेकिन उसमें निर्णय लिया गया कि शायद महाबल मिश्रा इस उम्मीद में हैं कि कांग्रेस आलाकमान उन पर कार्रवाई कर सकता है ताकि भाजपा में उनके जाने का रास्ता आसान बन सके। यही देखते हुए कांग्रेस आलाकमान ने उन पर फिलहाल कार्रवाई न करने का संकेत दिया है। इस ऑडियो टेप के आने के बाद दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन और मिश्रा साथ देखे गए थे। यह शायद इसी बात का संकेत था!
वैसे भाजपा कार्यकर्ताओं के अंदर महाबल मिश्रा के आने की सूचना मात्र से बेचैनी है। कांग्रेस से अरविंदर सिंह लवली, शिव कुमार सौंधी, अमित मलिक, राजू रावल हाल में भाजपा में शामिल हुए हैं, लेकिन इनमें से किसी पर भी कभी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है। वहीं महाबल मिश्रा पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार का आरोप लगा चुके हैं। अरविंद केजरीवाल ने राजनीति में उतरते ही शुरुआती दौर में जिन 19 भ्रष्ट नेताओं की पहली सूची जारी की थी, उसमें दिल्ली से कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल और महाबल मिश्रा का नाम शामिल था। ऐसे में यदि भाजपा महाबल मिश्रा को पार्टी में शामिल करती है तो भाजपा का भ्रष्टाचार से लड़ने का दावा खोखला ही साबित होगा!
भाजपा के कार्यकर्ता यह आरोप भी लगाते हैं कि कि महाबल मिश्रा सेना में मामूली ड्राइवर रैंक पर थे, लेकिन कांग्रेस में आने के बाद 1997 से उनकी सपत्ति में लगातार वृद्धि हुई है। उनके व उनके परिवार के पास दिल्ली सहित अन्य शहरों में बड़े पैमाने पर मकान, जमीन और संपत्ति होने की सूचना आती रही है। प्रधानमंत्री मोदी और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री आदियत्यनाथ योगी जहां भाजपा नेताओं व मंत्रियों से अपनी संपत्ति की घोषणा करने को कहते रहे हैं, ऐसे में मामूली ड्राइवर से करोड़पति बने महाबल मिश्रा भाजपा की राजनीति में किस प्रकार फिट बैठेंगे, यह सोचने वाली बात होगी।
इसके अलावा भाजपा कार्यकर्ता यह भी कह रहे हैं कि भाजपा में आए अन्य कांग्रेसी नेता, जहां अपनी राजनीति करते रहे हैं, वहीं महाबल मिश्रा दिल्ली मंे गांधी परिवार के बाद वंशवादी राजनीति के सबसे बड़े वृक्ष हैं। महाबल मिश्रा के परिवार से महाबल मिश्रा, उनके बेटे विनय मिश्रा, रिश्तेदार तिलोतमा चौधरी, भाई हीरा मिश्रा की पत्नी विमला मिश्रा- सभी कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि महाबल मिश्रा दिल्ली की राजनीति में वंशवादी राजनीति के सबसे बड़े प्रतीक हैं। ऐसे में यदि वह भाजपा में शामिल होते हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमितशाह के उस दावे का क्या होगा, जिसमें वह वंशवादी राजनीति से मुक्त देश की राजनीति का आश्वासन देश की जनता को समय-समय पर देते रहे हैं।
तीसरी चर्चा यह है कि जो महाबल मिश्रा अब अपने मोहल्ले की बूथ तक पर चुनाव नहीं जीत सकते, उन्हें भाजपा लेकर आखिर कौन सा तीर मार लेगी? वैसे तो महाबल मिश्रा 1997 में पहली बार पार्षद बने थे। उसके बाद 1998, 2003 और 2008 में विधायक रह चुके हैं। इसके बाद वह 2009 में सांसद बने। लेकिन इसके बाद उनके राजनीतिक करयिर में ढलान आना शुरु हो गया। 2013 में उन्होंने पालम से अपने बेटे विनय मिश्रा को चुनाव लड़ाया था, लेकिन महाबल उसकी जमानत भी नहीं बचा सके। महाबल मिश्रा वैशाली में जिस मोहल्ले में रहते हैं, वहां के बूथ संख्या- 4 एवं 5 पर कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही थी। उसके बाद से उनके परिवार से जो भी चुनाव लड़ा है उसे करारी हार ही मिली है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस में जमानत तक न बचाने वाले पूर्व कांग्रेसी सांसद को भाजपा अपने यहां शामिल करके क्या संदेश देना चाहेगी?