स्वीडिश एकेडमी की ओर से साहित्य के क्षेत्र मैं दिए जाने वाले नोबेल साहित्य पुरस्कार इस साल के लिए रद्द कर दिए गए हैं। साहित्य के लिए दिए जाने वाले पुरूस्कार के लिए गठित अकेडमी ने इसके लिए पिछले साल कुछ महिलाओं द्वारा चलाये गए अभियान #metoo को जिम्मेदार बताया है। याद दिला दूं की नवम्बर 2017 में कुछ महिलाओं ने अपने साथ हुए यौन अपराधों को बताने के लिए #metoo के नाम से एक अभियान चलाया था जिसके कारण विश्व की बहुत सारी महिला सेलिब्रिटी ने अपने साथ हुए यौन अपराधो की कहानी सोशल मीडिया पर साझा की थी।
#metoo अभियान के तहत ही 18 महिलाओं ने फ्रेंच फोटोग्राफर जीन क्लाउड अरनॉल्ट पर यौन उत्पीडन के अरोप लगाये थे। यौन उत्पीडन के आरोपी फ्रेंच फोटोग्राफर जीन क्लाउड अरनॉल्ट साहित्य के क्षेत्र दिए जाने वाली कमेटी के सदस्य थे। अब एकेडमी को यह फैसला करना था कि क्या वर्तमान परिस्थियों को देखते हुए इस साल साहित्य के लिए दिए जाने वाला नोबेल दिया जाना चाहिए कि नहीं! सर्वसम्मति से अकेडमी ने इस साल होने वाले पुरूस्कार वितरण को अगले साल तक के लिए टाल दिया है जिसकी मंजूरी नोबेल अकादमी ने मंजूरी भी दे दी है!
हालाँकि क्लाउड अरनॉल्ट ने इन सारे आरोपों को ख़ारिज किया है लेकिन अकादमी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है। एकेडमी की स्थायी सदस्य सारा डेनिअस ने कहा कि संस्थान ने कथित आरोपों के बाद अरनॉल्ट से पूरी तरह संबंध तोड़ लिया है। उन पर एकेडमी के कर्मचारी व सदस्यों के रिश्तेदारों के साथ अवांछित यौन संबंध बनाने के आरोप हैं। क्लाउड अरनॉल्ट ने पूर्व में इसी को एकेडमी की एक मेंबर से शादी की थी। क्लाउड की कारगुजारियों के कारण उनकी पत्नी को भी इस एकेडमी से निकलने का दवाब बनाया जा रहा है।
साहित्य के क्षेत्र दिया जाने वाला नोबेल पुरस्कार नहीं दिए जाने की यह दूसरी घटना होगी! इससे पहले नोबेल पुरस्कार साल 1943 में द्वितीय विश्व युद्ध की वजह से स्थगित किया गया था।
URL: Me Too Movement cancell Nobel Literature Award for 2018
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