केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर के खिलाफ पहले तो एक-एक कर दर्जनों महिलाएं यौन शोषण का आरोप लगाना शुरू किया, फिर उसके बाद इसे बढ़ा चढ़ाकर वामी-कांगी पत्रकारों और मीडिया हाउस ने उसे प्रचारित करना शुरू किया। और अब महिला पत्रकारों के मामले को उठाने वाले संगठन ‘इंडिया’ ने अंग्रेजी महिला पत्रकारों के हस्ताक्षरयुक्त पत्र देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजा है। अपने इस पत्र में कई मांग की है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण मांग है कि एमजे अकबर प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि का मामला वापस ले। इन घटनाओं को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि ये वामी-कांगी महिला पत्रकार बस यही चाहते हैं कि “चित भी मेरी पट भी मेरी, अंटा तेरे बाप का”।
इन लोगों के इस प्रकार के सुनियोजित अभियान को देखते हुए यही पता चलता है कि यह खेल अंग्रेजी व लेफ्ट पत्रकारों ने पीएम मोदी और उनके समर्थकों को घेरने के लिए खेला है। इतना ही नहीं इन लोगों ने इस मामले में फेक न्यूज भी प्रचारित करना शुरू कर दिया है। तथाकथित पीड़ित पक्ष ने यह प्रचार करना शुरु कर दिया है कि एमजे अकबर ने पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का केस लड़ने के लिए 97 वकीलों की पूरी फौज उतार दी है, जबकि सच्चाई यह है कि उनके इस केस को महज छह वकील हैंडल करेंगे।
मुख्य बिंदु
* एमजे अकबर के खिलाफ राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से अन्यायपूर्ण मांग निरंकुश अराजकतावाद को बढ़ावा देना है
* एक खास वर्ग की महिलाओं द्वारा खास वर्ग के लोगों को टारगेट करने से साफ है कि यह एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा है
महिला पत्रकारों की जो मंडली देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविद तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जो मांग की है उसे न्याय शास्त्र के किसी भी दृष्टि से न्यायोचित नहीं कहा जा सकता है। इससे तो अच्छा होता कि वे राष्ट्रपति से एमजे अकबर को बिना बिना किसी जांच और मुकदमा चलाए सूली पर चढा देने की मांग कर लेतीं। ध्यान रहे, न्यायरहित मांगों को मान लेना न केवल अन्याय कहलाता है, बल्कि निरंकुश अराजकता का बीजारोपण भी होता है। और हमारे देश में वामपंथी कुछ अंग्रेजीदां महिलाओं के माध्यम से देश को निरंकुश अराजकता की ओर ढकेलना चाहते हैं।
आखिर क्या है उनकी अन्यायपूर्ण मांग
क्या आपने कभी सुना है कि जिस पर आरोप लगाया हो उसे महज आरोप के विना पर हाथ-पैर बांधकर कोर्ट ले जाकर कहा हो कि ये लो मी लार्ड.. मेरे आरोप भर से यह गुनहगार साबित हो चुका है अब तो आप इसे सजा सुना दो। अकबर पर आरोप लगाने वाली महिला पत्रकार और उनके समर्थन में जुटी महिलाएं राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से यही तो मांग की है.. शुक्र है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से यह नहीं मांग की कि आरोपियों को अपना पक्ष रखने का अधिकार ही छीन लिया जाए। उन्होंने मांग की है कि अबकर के पास यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला पत्रकार के खिलाफ कोई भी कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार न हो।
चूंकि आधा दर्जन महिलाओं ने गैंग बनाकर उनके खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाया है इसीलिए बिना किसी स्पष्टीकरण के ही उन्हें मंत्री पद से तत्कार बर्खास्त कर दिया जाए। इस मामले की जांच उनके कहे अनुसार किसी स्वतंत्र जांच आयोग से कराई जाए। नीरा राडिया टेप मामले में फंसी टाइम्स नाउ की मैनेजिंग एडिटर नविका कुमार एमजे अकबर पर लगे यौन शोषण के आरोप पर नैतिकता सिखा रही हैं। लेकिन नीरा राडिया टेप मामले में उनकी नैतिकता कहां गई थीं? क्या उन्हें यह नहीं पता कि यह लोकतंत्र है, मीडिया तंत्र नहीं कि कुछ लोगों ने जो कहा उसे सच कर किसी को सूली पर चढ़ा दे? यदि किसी ने किसी का मीडिया ट्रायल किया है तो वह कानूनी ट्रायल से भी गुजरे! उसके बाद ही सच-झूठ का फैसला हो। आरोपों पर इस्तीफा होने लगे तो अराजकता आ जाएगी।
In a sexual harassment case (in this case 14 testimonies ) against a member of the Council of Ministers, is everything about legality? Is propriety dead? What about value systems? #MJAkbar
— navika kumar (@navikakumar) October 16, 2018
एमजे अकबर के खिलाफ फेक न्यूज
एमजे अकबर पर लगे यौन शोषण को कितना तूल दिया जा रहा है इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि वामी-कांगी पत्रकारों ने अब फेक नरेशन स्थापित करना शुरू कर दिया है। उन्होंने फेक न्यूज के तहत यह प्रकाशित करना शुरू कर दिया है कि प्रिया रमानी के खिलाफ अकबर ने 97 वकीलों की पूरी फौज उतार दी है। ये पीडी पत्रकार अपने फेक न्यूज के माध्यम से लोगों को भ्रमित करना शुरू कर दिया है। जबकि सच्चाई यह है कि एमजे अकबर ने प्रिया रमानी के खिलाफ जो मानहानि का मुकदमा किया है उसे सिर्फ छह वकील ही लड़ेंगे।
लेकिन 97 वकीलों की फोज वाली फेक न्यज वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त भी फैला रही है। जब ऐसे लोग किसी गलत न्यूज को तूल देना शुरू कर दें तो समझ जाना चाहिए कि यह एक महज स्त्री को न्याय दिलाने का मामला नहीं है। क्योंकि ये वही बरखा दत्त हैं जिन्होंने एनडीटीवी में एक लड़की के साथ हुए यौन शोषण को दवा दिया था। यह आरोप पीडि़ता लड़की ने ही लगाया है। इससे यह धारणा और मजबूत हो जाता है कि यह मोदी सरकार को घेरने का षड्यंत्र है
97 lawyers against one woman @priyaramani . Then they talk of due process #MeToo #MJAkbar.
— barkha dutt (@BDUTT) October 15, 2018
#ModiGovt has provided 97 lawyers to MJ Akbar to fight a case against one woman.
What a powerful and caring Govt it is !
— Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) October 15, 2018
आखिर क्यों है मोदी के खिलाफ यह अभियान?
डॉ. गौरव प्रधान ने अपने ट्वीटर हैंडल से जो कुछ तथ्य ट्वीट किए हैं वे यही संकेत भी दे रहे हैं। उन्होंने ट्वीट के माध्यम से जो तथ्य दिए है उसे देखते हुए यही लगता है कि अपवाद को छोड़ दें जिन पर भी यौन शोषण का आरोप लगा है वे या तो हिंदू हैं या फिर मोदी समर्थक हैं। उनके इस ट्वीट के मुताबिक यौन शोषण के अभी तक सारी पीड़ीत या तो पत्रकारिता क्षेत्र से हैं या फिर बॉलीवुड से। यौन शोषण की पीडिता पहली बार अपने ऊपर हुए शारीरिक उत्पीड़न को सार्वजनिक किया है। लेकिन लगता है कि उनसे यह कराया गया है। जितने लोगों पर आरोप लगाए गए हैं वे सब सार्वजनिक जीवन से जुड़े नामचीन लोग हैं। यौन शोषण के आरोप लगाने वाली सारी पीड़िता अनाम रही हैं। इससे स्पष्ट होता है कि देश में इस वक्त मी टू अभियान चलाना एक सोची समझी रणनीति लगती है।
Think
1 All #MeToo victims are either from Journalism or Bollywood
2 All #MeToo accused are Hindus or support Modi
3 All #MeToo victims go public first
4 All #MeToo accused are ppl in public life & have achievement
5 All #MeToo victims were unknown ppl before the allegation
— #GauravPradhan ?? (@DrGPradhan) October 15, 2018
किसी भी मामले को उठाए जाने को लेकर समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। जिस प्रकार मी टू अभियान चलाया गया है और जिस प्रकार एक खास वर्ग के लोगों को टारगेट किया गया है इससे साफ हो जाता है कि यह अभियान भी राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। क्योंकि लोकसभा चुनाव का समय नजदीक आ चुका है, पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इसलिए इस मामले को लेकर मोदी सरकार को घेऱने के लिए यह मामला उठाया गया है।
URL: Me Too- The case against Ms Ramani be dropped by Mr Akbar
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