वर्तमान कभी पूर्ण नहीं होता वह इतिहास और भविष्य का संधि स्थल होता है। जहां इतिहास उसे सबल बनता है वहीं अपने भविष्य की दिशा दिखाता है। जो पश्चिम का क्रिश्चियनिटी समुदाय आज नारी गरिमा और स्वतंत्रता की बात करता है उसका इतिहास ही बताता है कि वह कितना नारी विरोधी और पितृसतात्मक समर्थक रहा है। तभी तो कैथोलोकि धर्मशास्त्र में मदर मेरी को कभी वह स्थान नहीं दिया गया जो उन्हें मिलना चाहिए। वह आज भी जीसस की मां के नाम से जानी जाती है। मदर मेरी के स्वतंत्र अस्तित्व को कभी स्वीकार ही नहीं किया गया। जबकि सनातन हिंदू धर्म की आदि या यूं कहें प्रारंभ ही आदि शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा से होता है। हम उन्हें जगत जननी कहते हैं।
मुख्य बिंदु
* कैथोलिक धर्मशास्त्रों ने कभी भी मदर मेरी के अलग सस्तित्व को स्वीकार ही नहीं किया
* सनातन हिंदू धर्म में शक्तिपूंज ही नारी है, नर उनसे शक्ति पाते हैं इसलिए वह स्वयं सशक्त हैं
यानि एक की नहीं पूरे ब्रम्हांड की मां के रूप में स्वीकार करते हैं। इसलिए तो हमारा धर्मशास्त्र सबों से भिन्न और अद्वितीय व सर्वमान्य है। इसलिए हमे नारी गरिमा, उनकी स्वतंत्रता और सशक्तिकरण किसी दूसरे से सीखने की जरूरत ही नहीं। हमारी शक्तिपूंज ही नारी है, हम उनसे शक्ति पाते हैं, इसलिए वह स्वयं सशक्त हैं।
Mother Mary is not given respect in Christianity like Ma Durga in Hinduism. Mary's power is only through her son Jesus. Catholic theology does not afford her the power to create the universe. She is only called the Mother of Jesus, not the Mother of the Universe like Ma Durga.
— Dr David Frawley (@davidfrawleyved) October 15, 2018
यह बात अब धीरे-धीरे क्रिश्चियनिटी समुदाय के लोगों को भी समझ आने लगी है। तभी तो पद्म भूषण डैविड फ्रॉली ने मदर मेरी को वह स्थान नहीं मिलने के कारण दुख प्रकट किया है जो उन्हें मिलना चाहिए था। उन्होंने अपनी वेदना ट्वीट के सहारे प्रकट की है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि क्रिश्चियनिटी में मदर मेरी को वह आदर नहीं मिल पाया जो आदर मां दुर्गा को सनातन हिंदू धर्म में मिला है। मदर मेरी की शारी शक्ति उनके बेटे जीसस के होकर निकली है। कैथोलिक धर्मशास्त्र ने कभी भी मदर मेरी को ब्रह्मांड रचने की शक्ति दी ही नहीं। उन्हें सिर्फ जीसस की मा बनाकर छोड़ दिया। जबकि सनातन हिंदू धर्मशास्त्र ने मां दुर्गा को जगत जननी बनाया।
इसलिए अब क्रिश्चियनिटी के लोगों को भी यह बात समझ आने लगी है कि मेरी और जीसस दोनों महान हो सकते थे। दोनों का भिन्न और अपना अस्तित्व हो सकता था। लेकिन कैथोलिक धर्मशास्त्र ने एक अस्तित्व से दूसरे के अस्तित्व को बल दिया। जबकि मैरी और जीसस दोनों अपने-अपने अस्तित्व के साथ महान हो सकते थे, और दोनों को समान रूप से आदर मिल सकता था।
URL: Mother Mary is not given respect in Christianity like Ma Durga in Hinduism
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That’s why the whole world is turning to sanatan.