फ़ारूख अली। रोज निर्दोषों को हत्यायें करते हैं नक्सली! बुद्धिजीवी, समाज सेवी संगठन इन घटनाओं पर ख़ामोश रहते हैं बस्तर को नक्सली रोज जला कर हाथ सेंकते हैं। मानवा-अधिकार कार्यकर्ता और लीगल एड वाले! इन घटनाओं पर इनके मुंह से एक शब्द नहीं फूटता! 17 अगस्त 2018 को दंतेवाड़ा ज़िला भाँसी थाना क्षेत्र मे नक्सलियों ने एक बस को आग लगा दी थी, उसमें एक व्यक्ति जल कर मर गया! जो व्यक्ति जलकर मरा उसका नाम सतीश यादव था। वह जगदलपुर का निवासी था मिस्त्री काम करने वाला था, जब नक्सलियों ने बस रोका था तब ये भी उसमें सवार था।
जब नक्सलियों ने बस को जलाने की बात कही तब ग़रीब मिस्त्री सतीश यादव ने इस बात का विरोध किया कि क्यों लोगों को परेशान कर रहे हो?नक्सलियों को ये बात नागवार गुज़री कि उन्होंने कहा हम कुछ भी कर सकते तुमने हमारा विरोध करने कि हिम्मत कैसे की? ऐसा कह उन्होंने उस ग़रीब को मार मार के बेहोश कर बस की पिछली सीट पर फेंक दिया। उसके बाद उन्होंने बस को आग लगा दी! ग़रीब मिस्त्री सतीश यादव ज़िंदा जल गया।
किसी मानवाधिकार कार्यकर्ता ने इस पर आवाज़ नही उठाई न कोई तथाकथित समाज सेवी संगठन यहाँ आया? रोज़ न जाने कितने ग़रीब आदिवासियों को नक्सली मुखबिरी का आरोप लगाकर मौत के घाट उतार देते हैं। बस्तर में न जाने कितने आदिवासियों को आये दिन गाँव, ज़मीन घर से बेदख़ल करके भगा देते हैं।
दूसरी घटना 3 जुलाई 2018 की है! कपूरचंद राजपूत ठेकेदार को नक्सलियों ने सुकमा ज़िला दोपहर को टेटराई इलाक़े से अगवा करके देर रात उसकी निर्ममता से हत्याकर उसका शव जगरगुंडा मार्ग पर फेंक दिया! उसका क़सूर ये था कि उसने सड़क का ठेका लिया। इनकी हत्या पर कोई मानवाधिकार के झंदाबदार अपनी आवाज नहीं उठाता! वहीं दूसरी तरफ नक्सलियों कि जब भी मुठभेड़ में मौत होती है तब अचानक से जाग जाते हैं हैं नक्सलियो के हिमायती सोनी सोढ़ी, बेला भाटिया और नंदनी सुंदर।
सवाल ये है कि रोज़ बेगुनाहों को नक्सली मौत के घाट उतार देते हैं और कभी न नंदनी सुंदर आती है न बेला भाटिया न सोनी सोढ़ी?
साभार: फ़ारूख अली (नक्सल विरोधी विचारक,पत्रकार,समाजसेवी दक्षिण बस्तर सुकमा (छत्तीसगढ़)
URL: Naxalites and their supporter urban Naxals
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