अमेरिका में किसी रिलीजियस ग्रुप से नहीं जुड़े रहने वाले युवकों की संख्या में नाटकीय बदलाव आया है। हाल के कुछ वर्षों में अमेरिका में गॉड के अस्तित्व को नहीं मानने वाले युवकों की संख्या काफी बढ़ गई है। pew research के पिछले साल यानि 2017 के दिसंबर में आयोजित सर्वे में यह खुलासा हुआ है। यह तथ्य सामने आने के बाद भारत में उन लोगों को सचेत हो जाना चाहिए, जो क्रिश्चिनिटी में कन्वर्ट हो रहे हैं! जब ईसाई मत के लोग ही ईसा को नहीं मानते तो आप दूसरों का छोड़ा हुआ जूठन लपकने को क्यों आतुर हैं?
न्यू प्यू रिसर्च रिपोर्ट से जो बात सामने आई है उसके मुताबिक अमेरिका की अधिसंख्य आबादी यानि करीब 90 प्रतिशत लोग किसी न किसी प्रकार की अदृश्य शक्ति में विश्वास करते हैं। इनमें से 56 प्रतिशत लोग बाइबल के गॉड में विश्वास करते हैं जबकि 33 प्रतिशत लोगों का विश्वास बाइबिल के गॉड से अधिक किसी अदृश्य ताकत में है। यानी बाइबल के गॉड में इन 33 प्रतिशत लोगों का भरोसा नहीं है और इन्हें लगता है कि इनके सवालों का पूर्ण जवाब बाइबल में नहीं है।
वहीं अमेरिका में क्रिश्चियन समुदाय के 99 प्रतिशत लोग गॉड या फिर किसी ऊपरी ताकत में विश्वास करते हैं। इनमें से 80 प्रतिशत लोगों ने माना है कि उसका विश्वास बाइबल के गॉड में है। क्रिश्चियन समुदाय में से भी 19 प्रतिशत का भरोसा बाइबल के गॉड से उठ गया है। क्रिश्चिन की ही तरह अमेरिन यहूदी समुदाय के लोगों में से 11 प्रतिशत का भरोसा अपने ओल्ट टेस्टामेंट के गॉड से उठा है। वैसे अमेरिकन-यहूदी समुदाय के 89 प्रतिशत यहूदी अभी भी ओल्ड टेस्टामेंट में भरोसा करते हैं।
इस सबके बीच सबसे घबराने वाला जो तथ्य है वह है अमेरिका के युवा वर्ग को लेकर। अमेरिका के युवा वर्ग की करीब आधी (48 प्रतिशत) आबादी ये मानती है कि उनके जीवन में जो होता है उसका निर्धारण गॉड ही करते हैं, लेकिन आधी युवा पीढ़ी का भरोसा बाइबल के उस गॉड में नहीं है, जिसे सेंट पॉल ने अपने दिमाग से विकसित किया है। दस में से करीब आठ अमेरिकी युवक ये मानते हैं कि उनकी रक्षा कोई ऊपरी ताकत कर रही है। दो तिहाई लोग मानते हैं कि उनका जीवन उसी सर्वशक्तिमान का दिया हुआ है।
इस मामले में अमेरिका के दोनों मुख्य राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों का गॉड पर विश्वास विल्कुल अलग तरह से सामने आया है। डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं तथा उससे जुड़े लोगों (45%) से कहीं अधिक रिपब्लिकन नेताओं और उनके लोगों (70%) का विश्वास बाइबल के गॉड में है। वहीं किसी ऊपरी शक्ति में विश्वास की बात कहने वाले रिपब्लिकन से कहीं ज्यादा डेमोक्रेट्स है। अगर प्रतिशत में देखे तो जहां 39 प्रतिशत डेमोक्रेट्स ऊपरी ताकत में विश्वास करते हैं वहीं महज 23 प्रतिशत रिपब्लिकन ही ऐसा विश्वास रखते हैं।
उपसंहार
इस प्रकार अमेरिकन युवाओं में बाइबल और उसमें वर्णित गॉड के प्रति विश्वास घट रहा है और भारत का उपनिषद जिस अदृश्य शक्ति को परब्रह्म कहती है, उस अदृश्य ब्रह्म के प्रति आस्था बढ़ रही है। रूस और जर्मनी में तो चर्च के चर्च खाली हो रहे हैं। चर्चों में पब, बार और रेस्तरां खोला जा रहा है। यही कारण है कि वेटिकन से लेकर अमेरिकन क्रिश्चिन मिशनरी ने कन्वर्जन के लिए भारत को अपने टारगेट में रखा है। भारत की भोली-भाली अनुसचित जाति व जनजाति के लोगों को चर्च लोभ, लालच, भय और सेवा के नाम पर क्रिश्चियनिटी में कन्वर्ट कर रही है।
मोदी सरकार के आने के बाद से कन्वर्जन के लिए बाहर से आ रही संदिग्ध फंडिंग और एनजीओ पर प्रतिबंध लगा है। 2014 तब ऐसे करीब 17 हजार करोड़ प्रति वर्ष का संदिग्ध फंडिंग आता था, जो मोदी सरकार के आने के बाद से घट कर 6 हजार करोड़ प्रति वर्ष रह गया है। यही नहीं, खुद प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक लेकर संदिग्ध फंडिंग को पूरी तरह से रोकने का निर्देश दिया है। यही वजह है कि दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, नागालैंड, मिजोरम आदि के चर्च और पादरी खुलकर 2019 में मोदी सरकार को हराने के लिए पत्र जारी करने से लेकर प्रार्थना तक कर रहे हैं।
क्रिश्चियनिटी के वजूद पर संकट मंडरा रहा है, इसलिए भारतीय सचेत हो जाएं और अपनी आस्था उस अज्ञात ईश्वर में लगाएं, जिसकी व्याख्या वेद से लेकर उपनिषदों तक में की गयी है।
URL: pew research survey says Biblical God is declining to believe in american
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