वामपंथियों के झूठे अभियान चलाने के लिए कुख्यात वेबसाइट ‘The Wire’ को एक बार फिर आपराधिक मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। द वायर पर पहले से ही भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय साह की छवि बदनाम करने के लिए सौ करोड़ रुपये का आपराधिक मानहानि का केस चल रहा है। इसके बावजूदद The Wire झूठ फैला कर किसी की छवि को धूमिल करने की अपनी प्रवृत्ति से बाज नहीं आया। एक बार फिर से उसने रेलवे मंत्री पीयूष गोयल के साथ पीरामल ग्रुप की कंपनी की छवि धूमिल करने के लिए अपनी वेबसाइट में आलेख छापा है। उसके इस आलेख से आहत पिरामल ग्रुप ने भी उसे कानूनी सबक सिखाने का ठान लिया है। उसने भी ‘The Wire’ के खिलाफ सौ करोड़ रुपये के आपराधिक मानहानि का मुकदमा करने का फैसला किया है।
मुख्य बिंदु
* परिमल ग्रुप ने पीयूष गोयल को बदनाम करने की द वायर की साजिश का पहले ही कर दिया था खुलासा
* झूठ फैलाकर कंपनी को बदनाम करने के खिलाफ परिमल ग्रुप अब द वायर को सिखाएगा कानून सबक
* पीयूष गोयल को बदनाम करने का उसका अभियान पहले भी एक बार हो चुका है असफल
लगता है The Wire ने अपने वामपंथी आकाओं के इशारे पर केंद्र सरकार को बदनाम करने के लिए उनसे जुड़े लोगों की छवि धूमिल करने को ही अपना उद्देश्य बना लिया है । पूरे झूठे या फिर अर्द्ध सत्य आधारित तथ्यों और मनगढंत कहानियों के सहारे आघात करना उसकी प्रवृत्ति बन गई है। तभी तो एक बार फिर उसने केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्री पीयूष गोयल पर दोबारा निशाना साधा है। कैबिनेट मिनिस्टर बनने से पहले भी गोयल के प्रोफेशनल और व्यावसायिक गतिविधियों को लेकर हमला हुआ था। दोनों बार पीयूष गोयल पर द वायर के हमले की साजिश की हिदायत opindia.com ने पहले ही दे दी थी। The Wire की एक और साचिश को लेकर opindia.com की भविष्यवाणी सही निकली है। इस बार उसने पीयूष गोयल के साथ ही पीरामल कंपनी पर प्रहार किया है।
वायर का तथ्य व कांग्रेस का आरोप दोनों गलत
कांग्रेस तो पहले से ही पीयूष गोयल को लेकर बौखलाई हुई है। The Wire के पहले हमले को मुख्यधारा के मीडिया ने जब कोई तवज्जों नहीं दिया तो कांग्रेस ने मोर्चा संभाल लिया। कांग्रेस ने बिल्कुल द वायर के स्टाइल में ही पीयूष गोयल के पेशागत और व्यावसायिक क्रिया-कलापों पर केंद्रित प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐसे हमला किया जैसे वो उनकी किसी कारगुजारियों को उजागर कर रही हो। लेकिन कांग्रेस के सारे हमले बेकार गए क्योंकि वो सारे गलत तथ्य द वायर ने ही उसे उपलब्ध कराए थे। जबकि सच्चाई ये थी कि मंत्री पद की शपथ लेने से पहले गोयल और उनकी पत्नी ने पहले के सारे पदों से इस्तीफा दे दिया था।
सच नहीं हुई लेखक की काल्पनिक कहानी
हाल ही में ‘The Wire’ में रोहिनी सिंह द्वारा लिखी एक ‘काल्पनिक कहानी’ में पीयूष गोयल पर यह आरोप लगाया है कि उन्होंने अपनी कंपनी फ्लैशनेट के सारे शेयर प्रधानमंत्री कार्यालय को अंधेरे में रखकर बेचा है। The Wire के मुताबिक गोयल ने मंत्री बनने के बाद अपनी कंपनी के शेयर 2014 के सितंबर में बेचे हैं। जबकि opindia.com के शोध के मुताबिक शेयर बेचने के सारे काम 25 जुलाई 2014 को की गई घोषणा के पहले पूरे हो चुके थे। एक स्वतंत्र सीए ने भी इसकी पुष्टि की है कि यह काम पूरी पारदर्शिता और साफ सुथरे तरीके से हुए हैं।
रोहिनी सिंह ने अपनी कहानी में आरोप लगाया है कि जब उस कंपनी का मूल्य महज 10 करोड़ था तो फिर उसे 48 करोड़ में कैसे बेचा गया? यह प्रश्न अपने आप में कमाल का है। पहले ही बता चुका हूं कि इस कंपनी के मूल्य का निर्धारण निष्पक्ष किसी तीसरी पार्टी ने निर्धारित किया है। अब किसी पत्रकार का यह सवाल करना कि अमुक कंपनी इतने में क्यों, इतने में क्यों नहीं बिकी? उनके सवाल पर ही सवाल खड़ा होता खासकर तब जब इसका निर्धारण किसी विशेषज्ञ ने किया हो।
The Wire वेबसाइट में प्रकाशित इस प्रकार के अनर्गल रिपोर्ट को पिरामल ग्रुप ने काफी गंभीरता से लिया है। ग्रुप ने तो इस संदर्भ में कांग्रेस समर्थित इस साइट को कानूनी सबक सिखाने पर विचार कर रहा है। पिरामल ग्रुप ने वेबसाइट द्वारा लगाए गए सारे आरोपों के संदर्भ एक प्रेस रिलीज जारी कर अपना आधिकारिक बयान दिया है। ग्रुप ने अपने बयान में सारे आरोपों को बेबुनियाद तथा सत्य से परे बताया है। साथ ही उन्होंने वेबसाइट के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज करने की धमकी दी है।
URL: Piramal Group contemplated legal action against ‘The Wire’ for pressing wrong facts
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