फिल्म: रेस-3
निर्देशक: रेमो डिसूजा
स्टार-कास्ट: सलमान खान, बॉबी देओल, जैकलीन फर्नांडिस, अनिल कपूर, डेजी शाह
फिल्म के ओपनिंग सीन का धूम-धड़ाका देखकर लगता है जैसे यहीं फिल्म का क्लाइमैक्स है। हथियारों के सौदागर के बेटी और बेटे चारों ओर से गोलियों की बौछार से घिर गए हैं। सिकंदर सिंह (सलमान खान) ‘विंगसूट’ पहनकर उड़ता हुआ आता है और उस बिल्डिंग का कांच तोड़ता हुआ सीधा दुश्मनों के सामने जाकर गिरता है/खड़ा हो जाता है। मात्र पांच सेकंड में वह विंगसूट जैसे जटिल आवरण को छोड़कर जमीन पर आ खड़ा होता है। और महान निर्देशक की डिटेलिंग देखिये। सिकंदर सिंह कांच तोड़कर आया है लेकिन उसने चकाचक इस्तरीबंद सूट और चमचमाते लेदर शूज पहन रखे हैं। हम समझ सकते हैं कि इस जगह पर ‘भाई’ की एंट्री होनी है लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि उसे एक एक्शन सीक्वेंस में टाई-कोट में प्रस्तुत किया जाए।
एक हथियारों का सौदागर गैंग वॉर के बाद एक आइलैंड खरीद लेता है और अपने परिवार समेत वहां से ऑपरेट करता है। कहानी मुखिया की वसीयत को लेकर बुनी गई है। कहानी में कोई दोष नहीं है लेकिन स्क्रीनप्ले और कहानी का प्रस्तुतिकरण बेहद बचकाने किस्म का है। हद ये है कि आप 150 करोड़ के मेगा बजट की फिल्म बनाते हैं और आधी स्टार कॉस्ट ऐसी लेते हैं जिन्हे अभिनय का ‘अ’ भी नहीं पता। डेजी शाह, शाकिब सलीम और फ्रेडी दारुवाला का अभिनय ‘रेस सीरीज’ के स्तर का नहीं है। अनिल कपूर और सलमान खान का किरदार संवारा ही नहीं गया। सलमान का किरदार बिना किसी ‘कैरेक्टर बिल्डिंग’ के खड़ा कर दिया गया।
सलमान खान का विजयी रथ सही मायने में ‘वांटेड’ से दौड़ना शुरू हुआ था और अब लग रहा है कि उनका ये रथ बेलगाम हो गया है। एक नीरस स्क्रीनप्ले से सजी फिल्म के सलमान की स्टार पॉवर से चल जाने की गलतफहमी पहले ही शो में दूर हो गई। सलमान के नाम पर आप दर्शक को कुछ भी नहीं दिखा सकते। अनिल कपूर जैसे महारथी के सामने डेजी शाह और शाकिब सलीम को खड़ा करने का हास्यापद प्रयास ही निर्देशक की समझ के बारे में कह देता है। कोई अपने किरदार में है ही नहीं। सलमान खान हर शॉट में ‘सलमान’ ही नजर आए हैं ‘सिकंदर’ नहीं।
सबसे ज्यादा उफ़ एक्शन सीक्वेंस पर ही निकलती है। एक बुलेट किसी चलते बाइकर को लग जाए तो बाइक समेत उसमे आग लग जाती है। सैकड़ों मुक्कों और हज़ारों गोलियों की बौछार में यदि गलती से सिकंदर को एक हाथ पड़ जाए तो उसके चेहरे के भाव ऐसे होते है ‘इंडस्ट्री के सबसे बड़े स्टार को तूने हाथ कैसे लगा लिया?’ रेस तो ‘अब्बास-मुस्तन’ ने बनाई थी। हर किरदार अपनी जगह परफेक्ट। चुंबकीय स्क्रीनप्ले और हर पल कहानी में नए मोड़ आना रेस की खासियत थी। रेमो डिसूजा ने तो रेस की आत्मा को ही मार डाला।
तो ईद पर जिस तरह से ‘ट्यूबलाइट’ बुझ गई थी, वैसे ही ‘रेस’ के ब्रेक फेल हो चुके हैं। सलमान को दर्शकों की ईदी शायद ही मिले क्योकि उनकी गाड़ी बहुत तेज़ गति से निकली है और बॉक्स ऑफिस की समझ में भी नहीं आई है। पहले तीन दिन सलमान के दोस्त इसे ब्लॉकबस्टर बताएंगे और सोमवार से एक चुप्पी छा जाएगी। यदि आप सलमान खान के भयंकर वाले प्रशंसक हैं तो ही ये फिल्म झेल सकेंगे। बाकी दर्शकों के लिए ये फिल्म देखना बहुत हानिकारक है। कहानी से बोर होकर संगीत पर ध्यान देंगे तो वहां भी सिर धुनने के सिवा कुछ हासिल नहीं होगा। रेस:3 हादसा है और संकेत भी देता है कि सलमान को मुख्य नायक के किरदारों से परहेज करना चाहिए। डाउनफॉल शुरू हो चुका है।
URL: Race-3 Movie review: salman khan cant get Eidi this year
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