जिस प्रकार राफेल डील का विरोध कुछ मुट्ठी भर लोग कर रहे हैं उसे देखते हुए इसकी आशंका पहले से लगाई जा रही थी कि हो न हो इसमें कोई बड़ा षड्यंत्र हो। और अब इसका खुलासा भी हो गया है कि किस प्रकार हथियार बनाने वाली अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के इशारे पर न केवल कांग्रेस बल्कि अन्य राजनीतिक दल भी नाच रहे हैं? अंतरराष्ट्रीय हथियार कंपनियों, आर्म्स डीलर तथा दो राजनीतिक पार्टियों के नेता अपने लाभ के लिए राफेल डील को खत्म करने में लगे हुए है। ये लोग एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के तहत मोदी सरकार को बदनाम करने में जुटे हैं ताकि यह सरकार राफेल डील को निरस्त कर दे। इंडिया स्पीक्स ने पहले ही यह आशंका जाहिर करते हुए लिखी थी-अगस्ता वेस्टलैंड में गर्दन फंसता देख राहुल गांधी और उनके इंटरनेशनल साथियों ने राफेल सौदे पर खड़ा किया एक और ‘फेक बवंडर’!
इसी षड्यंत्र के तहत दो राजनीतिक दलों के पांच नेताओं का राहुल गांधी के दो दिन के जर्मनी दौरे के दौरान एक बड़े हथियार निर्माता तथा आर्म्स डीलर के साथ बैठक होने का खुलासा हुआ है। इस बैठक में पूर्ववर्ती सरकार के दो पूर्व कैबिनेट मंत्री के शामिल होने का खुलासा हुआ है। इस बैठक के बारे में जो जानकारी बाहर आई है उसके मुताबिक एक निष्कासित नेता भी शामिल था। इस खुलासे से आप खुद भी अंदाजा लगा सकते हैं वह निष्कासित नेता कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस के वरिष्ठ बड़बोला नेता मणिशंकर अय्यऱ था।
मुख्य बिंदु
* राफेल डील को निरस्त कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र का फूटा भांडा, इमेज बनाने के लिए राहुल गांधी को बनाया अगुआ
* राफेल डील निरस्त होने की सूरत में हथियार बनाने वाली अंतरराष्ट्रीय कंपनी, आर्म्स डीलर और राजनीतिक पार्टी फायदा उठाने की फिराक में
Sales Director of a big company of fighter aircraft's met five senior leaders of two diffrent parties to raise the Rafale issue to malign the image of govt & @narendramodi so that both company/weapon dealer & political party is benefited if the deal gets cancelled.plz find out pic.twitter.com/i5X2hkD9KT
— Vikas Bhadauria ABP (@vikasbha) September 28, 2018
राफेल डील निरस्त कराने के पीछे कांग्रेस विशेषकर राहुल गांधी की मंशा दूसरे बड़े हथियार निर्माता से डील कराना ताकि आर्म्स डीलर के माध्यम से उन्हें फायदा हो। राफेल डील के विरोध से इतना तो पहले ही साफ हो चुका है कि इस डील में किसी को दलाली खाने का मौका नहीं मिल पाया है। जिसकी जिंदगी ही दलाली खाने पर बीती हो अगर उसे दलाली नहीं मिले तो उसकी बौखलाहट आसानी से समझी जा सकती है।
Sources: Hamburg (germany), where first meeting took place in last week of august this year.
Sales Director of fighter aircraft company & senior leader, accompanied by two others,met for hours to raise Rafale issue as a scam. https://t.co/dVFaNWUfZ7
— Vikas Bhadauria ABP (@vikasbha) September 29, 2018
ABP न्यूज के पत्रकार विकास भदौरिया ने अपने तीन लगातार ट्वीट में इसका खुलासा किया है। जानकारी के मुताबिक इन दो राजनीतिक दलों के पांच नेताओं के साथ हथियार निर्माता तथा आर्म्स डीलर की बैठक अगस्त के अंतिम सप्ताह के दौरान जर्मनी के हमबर्ग में हुई थी। ध्यान रहे कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का जर्मनी दौरान उसी समय में हुआ था। जैसा कि राहुल गांधी ने खुद ट्वीट कर जानकारी दी थी कि 21 और 22 अगस्त को वे जर्मनी के हमबर्ग में रहेंगे। इसी दौरान इन लोगों की घंटों चली बैठक में राफेल डील को निरस्त कराने के लिए मोदी सरकार को बदनाम करने की रणनीति बनी।
इसी बैठक में यह भी तय किया गया कि राफेल डील को घोटाले के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। जबकि इसमें कोई घोटाला नहीं हुआ है, ये बात ये लोग भी जानते हैं लेकिन बदनाम करने के लिए इसे जानबूझ कर घोटाला बनाने की रणनीति बनाई गई। इसमें यह भी तय किया गया कि इसके लिए राहुल गांधी को आगे किया जाए इससे उनकी छवि भी निखरेगी और मामला भी दूर तलक जाएगा। तभी तो राहुल गांधी 30 अगस्त को फ्रांस में कहते हैं कि यहां पर भ्रष्टाचार का एक बड़ा बम फूटने वाला है। उन्होंने 30 अगस्त को यह बयान दिया और फिर उसके कुछ ही दिन बाद फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के बयान के हवाले से ये स्टोरी प्रकाशित की जाती है कि मोदी सरकार ने ही रिलायंस का नाम सुझाया था। यहां पाठकों को ध्यान रहे कि ओलांद ने ऐसा कोई बयान दिया नहीं है बल्कि एक पत्रिका ने उसके बयान के हवाले से दावा किया है।
Four leaders of different political parties including two ex-central minister,one is main strategist of a party,an expelled leader & sales director of aircraft company met again on 2nd week of September in Delhi to accelerate the Rafale issue as scam. https://t.co/v7slHc7VM5
— Vikas Bhadauria ABP (@vikasbha) September 30, 2018
जर्मनी में अगस्त के अंतिम सप्ताह में हुई मुलाकात के बाद सितंबर में दिल्ली में भी उन लोगों की बैठक हुई। सितंबर के दूसरे सप्ताह में हुइ इस बैठक में अलग-अलग राजनीतिक दलों के चार नेताओं ने शिरकत की। इस बैठक में एक बार फिर पूर्व दो कैबिनेट मंत्री और एक निष्कासित नेता शामिल थे। बताया गया है कि इन दो पूर्व कैबिनेट मंत्रियों में से एक, कांग्रेस के बड़े रणनीतिकार हैं। ये लोग एक एयरक्राफ्ट कंपनी के सेल डायरेक्टर से दिल्ली में मिले। इस बैठक में यह फैसला किया गया कि राफेल को एक घोटाले के रूप में बड़े स्तर पर उठाना है। तभी तो ओलांद को सामने लाया गया, ताकि राफेल डील पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मोदी सरकार को बदनाम किया जा सके।
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने ट्वीट कर खुद ही यह जानकारी दी थी कि वे जर्मनी के हमबर्ग में 22 और 23 अगस्त 2018 को रहने वाले हैं। अब सवाल उठता है कि कैसे उन्होंने फ्रांस में इस मामले को लेकर एक बड़ा बम फूटने का खुलासा किया था? इससे सहज ही सवाल उठता है कि क्या जर्मनी में राहुल गांधी की हथियार निर्माता तथा आर्म्स डीलर से भेंट हुई थी? अगर नहीं तो फिर उन्हें यह जानकारी कहां से मिली?
I began my 2 day visit to Germany with a speech at the Bucerius Summer School in Hamburg, yesterday. Today, I am in Berlin to meet members of the German Bundestag, NGO’s & Business Leaders. I will also be addressing a public meeting organised by the Indian Overseas Congress. pic.twitter.com/11omr91GI3
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 23, 2018
मालूम हो कि राहुल गांधी की इस भविष्यपरक घोषणा पर केंद्र सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी आश्चर्य जताया था, साथ ही सवाल भी उठाया था। जेटली के सवाल और राहुल गांधी के जर्मनी दौरा से यह तो साफ हो गया है कि राहुल गांधी ने हथियार निर्माता तथा आर्म्स डीलर से मिले थे तभी इस बारे में उन्हे इतनी पुख्ता जानकारी थी। सूत्रों के अनुसार भारतीय जांच एजेंसियों के पास राफेल डील निरस्त कराने तथा मोदी सरकार को बदनाम करने को लेकर दिल्ली में हुई बैठक का पूरा विवरण मौजूद है। इससे साफ हो जाता है कि आने वाले समय में राहुल गांधी द्वारा राफेल डील के खिलाफ षड्यंत्र का खुलासा हो सकता है।
Truth on Rafale to be out soon:
Truth1: US & other European companies who wanted MMRCA contract paid huge sums to MahaGathBandhan of lawyers/journos/ netas to sabotage deal
Fact 2:Meetings in US,London,Germany,etc
Fact 3:Foreign spin doctors hired for managing intl press & netas pic.twitter.com/a46R5qCDcV
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) 30 September 2018
कांग्रेस पार्टी के ही निष्कासित नेता शहजाद पूनावाला ने कहा है कि यह सच है कि राफेल डील को निरस्त कराने की कोशिश में कई अमेरिकी तथा यूरोपियन एयरक्राफ्ट बनाने वाली कंपनी भी शामिल हैं। उनका कहना है कि भारत से यह समझौता पाने के लिए उन्होंने वकीलों, पत्रकारों तथा नेताओं के महागठबंधन पर काफी पैसे खर्च किए हैं, ताकि राफेल डील को निरस्त कराया जा सके। उन्होंने कहा है कि इस सच्चाई का तथ्य है कि उन लोगों ने लंदन से लेकर अमेरिका और जर्मनी तक में बैठकें की हैं। ये लोग किसी प्रकार राफेल डील को खत्म कर किसी अन्य कंपनी से डील कराना चाहते हैं ताकि सभी को अपना-अपना हिस्सा मिल सके, भले ही देश की सुरक्षा जाए भाड़ में।
Keywords: Rahul Gandhi and his international colleagues creates another false narrative on Rafael Deal-2
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