लगता है कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल एयरक्राफ्ट सौदे के लेकर मोदी सरकार की बजाए अपनी ही पार्टी की कब्र खोदने में लगे हैं। तभी तो जो मामला रक्षा मंत्रालय के दस्तावेज बाहर आने के बाद शांत हो जाना चाहिए उसे वे बार-बार गलत तथ्य के साथ उछालकर पार्टी और अपनी भद पिटवा रहे हैं। राहुल गांधी पिछले पांच महीने में चार बार राफेल एयरक्राफ्ट की कीमत बदल चुके हैं। इसी सार अप्रैल महीने में जब उन्होंने इस मामले को उठाया था तब राफेल एयरक्राफ्ट का दाम 700 करोड़ रुपये बताया था, लेकिन अगस्त आते-आते उन्होंने इसकी कीमत तीन बार बदल चुके हैं। देश की रक्षा जैसे संवेदनशील मामले में इस प्रकार की हल्की बात करने से उन पर ही संदेह गहराने लगा है।
मुख्य बिंदु
* राहुल गांधी ने अप्रैल में जब राफेल का मुद्दा उठाया था तब उसकी कीमत 700 करोड़ बताई थी जो अगस्त आते आते 526 करोड़ रुपये कर दी
* लगता है राफेल एयरक्राफ्ट सौदे को लेकर राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी की ही कब्र खोदने में लगे हैं
Why the price of Rafale is fluctuating ?
According Rahul Gandhi
29 April – ₹ 700 crore
20 July – ₹ 520 crore
11 Aug – ₹ 540 crore
13 Aug – ₹ 526 crore
In last 5 months
Four different price of Rafale
Daal me jaroor kuch kaala hai
Par yahan poori daal hi kaali hai
— Mahesh Vikram Hegde (@mvmeet) August 22, 2018
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार को घेरने के लिए जिस प्रकार राफेल डील के मुद्दे को उठाया उससे शुरू में लगा कि कहीं मोदी सरकार भी भ्रष्टाचारी न साबित हो जाए। लेकिन समय बीतने के साथ जिस प्रकार वे इस मामले में अलग-अलग बयान देने लगे तो मामला हलका पड़ने लगा। मोदी सरकार के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव पर संसद में बोलने के दौरान उन्होंने इस मामले को ही एक प्रकार से खत्म कर दिया। संसद में उनके लगाए आरोपों के जिस प्रकार रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामण ने तथ्यात्मक जवाब दिए उससे यह मामला वहीं खत्म भी हो गया। उनके बयान के उलट फ्रांस सरकार की तरफ से स्पष्टीकरण आ गया। इससे भी वह झूठे साबित हुए। इसके बाद भी राहुल गांधी मानने को तैयार नहीं हैं।
उन्होंने एक बार फिर मोदी सरकार को घेरने के लिए राफेल डील का मुद्दा उठाया है। अपने नए आरोप में उन्होंने कहा है मोदी सरकार ने राफेल एयरक्राफ्ट का सौदा 526 करोड़ में किया है। ध्यान रहे कि राहुल गांधी ने 29 अप्रैल को अपने पहले बयान में कहा था कि यह सौदा 700 करोड़ में हुआ है। बाद 20 जुलाई को उन्होंने यह 520 करोड़ में होने की बात कही थी। उनकी यह कीमत 11 अगस्त आते-आते 540 करोड़ रुपये हो गई। और 13 अगस्त को उन्होंने जो राफेल एयरक्राफ्ट की कीमत बताई वह 526 करोड़ है।
सवाल उठता है कि आखिर राफेल एयरक्राफ्ट को लेकर उनके बयान में इतनी विविधता क्यों है? अगर राहुल गांधी को गड़े मुर्दों को उछालना ही है तो अपने आदमियों से कुछ बेहतर रिसर्च करने को तो कहें। कोई नए तथ्य के साथ सामने आए। ऐसे उल-जुलूल तथ्य से अब उनका तो कुछ नहीं बिगड़ने वाला है लेकिन हां पार्टी का बेड़ा गर्क होना तय है। हालांकि इसका श्रेय राहुल गांधी को ही जाता है कि लोगों को यूपीए सरकार और एनडीए सरकार की कार्यशैली जानने और समझने का मौका मिला। अगर राहुल गांधी इस मामले को नहीं उठाते तो लोगों को दोनों सरकारों की तुलना करने का मौका नहीं मिलता।
जब से राहुल गांधी ने राफेल डील पर मोदी सरकार पर हमला किया है तब से उसकी सच्चाई परत दर परत खुलती जा रही है। रक्षा मंत्रालय से मिले दस्तावेज के मुताबिक मोदी सरकार ने फ्रांस से राफेल डील के तहत यूपीए सरकार की तुलना में 59 करोड़ रुपये प्रति एयरक्राफ्ट कम में सौदा पक्का किया है। उस दस्तावेज से एक और खुलासा हुआ है। राफेल को लेकर जो डील यूपीए सरकार ने की थी वही डील अगर मोदी सरकार करती तो देश को 255 करोड़ रुपये बच जाते। कहने का मतलब वह डील 255 करोड़ रुपये कम में होती।
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URL: Rahul Gandhi has changed four times the cost of Rafale Aircraft in five months
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