महान् सेक्यूलर पत्रकार राजदीप सरदेसाई दुखी हैं। उनके दुख का कारण कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और दाऊद इब्राहिम हैं। राजदीप सरदेसाई की नजर में राहुल गांधी और दाऊद इब्राहिम, दोनों सेक्यूलर हैं! सेक्यूलर राहुल गांधी का कम्युनल इमेज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रीमंडल के साथी बना रहे हैं तो दाऊद कम्युनल इसलिए बन गया, क्योंकि 1992 में बाबरी मसजिद को तोड़ दिया गया! अन्यथा, बकौल राजदीप सरदेसाई, बाबरी ध्वंश से पहले दाऊद इब्राहिम देशभक्त था और उसका अंडरवर्ल्ड गिरोह सेक्यूलर था! 1990 के दशक में भी राजदीप सरदेसाई दाऊद इब्राहिम को देशभक्त लिख चुके हैं। आखिर क्या कारण है कि पाकिस्तान में बैठे माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम को राजदीप सरदेसाई बार बार सेक्यूलरिज्म और देशभक्ति का सर्टिफिकेट देते रहते हैं?
राहुल गांधी कहे कांग्रेस मुसलिम पार्टी है तो दोषी नरेंद्र मोदी!
आइए राजदीप सरदेसाई की पहली तकलीफ का समाधान ढूंढ़ते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुसलिम बुद्धिजीवियों के साथ गुप्त बैठक की और उसमें साफ-साफ कहा कि ‘कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है।’ इसे उर्दू के एक बड़े अखबार ‘इनकलाब’ ने प्रमुखता से छापा, जिसके बाद पूरे देश को इसका पता चला। इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राहुल गांधी पर हमला किया और उनसे जवाब तलब किया। राजदीप सरदेसाई दुखी हैं कि राहुल गांधी पर पीएम मोदी और उनका मंत्रीमंडल हमला क्यों कर रहा है? राजदीप ने एक ट्वीट किया और राहुल गांधी के कथन को ही झुठला कर कांग्रेस के प्रति अपनी वफादारी साबित करने का प्रयास किया। राजदीप ने लिखा- राहुल का बयान कि ‘कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है’- अभी अपुष्ट है। यह बयान राहुल ने बंद दरवाजे के पीछे दिया था, जिसे लेकर उन्होंने इनकार किया है। लेकिन प्रधानमंत्री, कानून मंत्री, रक्षामंत्री ने इसे कम्युनल बनाकर पेश किया है और यह सब चुनावी वर्ष को देखते हुए किया जा रहा है। यह दुखद है!
So a unconfirmed remark ‘Congress is a party of Muslims’ which those at Rahul Gandhi closed door meeting are explicitly denying has become subject of national controversy which PM, Law Min and defence minister have joined!All to keep communal pot boiling in election year! Sad.
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) July 16, 2018
राजदीप पर उनकी कांग्रेसभक्ति इस कदर हावी है कि उन्होंने अपनी ओर से ही इसका खंडन कर दिया कि राहुल गांधी ने ऐसा बयान दिया है! आश्चर्य देखिए कि कांग्रेस के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रमुख नदीम जावेद ने इसकी पुष्टि की कि राहुलजी ने जो कहा, सही कहा। ‘इनकलाब’ अखबार ने नदीम जावेद का बयान छाप कर अपने खबर की सत्यता को प्रमाणित किया। और तो और, आज राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर इसकी पुष्टि की। उन्होंने इसका खंडन नहीं किया, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार किया कि उन्होंने जो कहा था, वह सही कहा था।
प्रधानमंत्री मोदी एवं उनके मंत्रीमंडल पर देश को सांप्रदायिकता में झोंकने का आरोप लगाने वाले राजदीप एक पत्रकार हैं। पत्रकारिता के लिहाज से वह ‘इनकलाब’ अखबार में इस खबर को छापने वाले संवाददाता को अपने इंडिया टुडे के शो में बुलाकर दूध का दूध और पानी का पानी कर सकते थे, जैसा कि अर्णव गोस्वामी ने मुमताब को रिपब्लिक में बुलाकर किया। याद रखिए कि राजदीप की पहुंच सीधे सोनिया गांधी तक है। वह जानते थे कि ‘इनकलाब’ के रिपोर्टर को शो पर लाते ही उनका और राहुल गांधी का झूठ खुल जाएगा, इसलिए उन्होंने पत्रकारिता की जगह प्रोपोगंडा का रास्ता चुना और पीएम मोदी व उनके मंत्रियों को सांप्रदायिक करार देते हुए राहुल गांधी व कांग्रेस को सेक्यूलर साबित करने का पाखंड किया।
I stand with the last person in the line. The exploited, marginalised and the persecuted. Their religion, caste or beliefs matter little to me.
I seek out those in pain and embrace them. I erase hatred and fear.
I love all living beings.
I am the Congress.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 17, 2018
अब राजदीप की दूसरी साजिश देखिए। उन्होंने इंडिया टुडे में एक शो किया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी को ही सांप्रदायिकता फैलाने का दोषी ठहराने का प्रयास किया। राजदीप ने अपने शो में कहा- देश में सांप्रदायिकात पैदा करना, ‘अच्छे दिन’ नहीं हो सकता है। वामपंथी चालाकी समझिए। राजदीप ने तीन तलाक, हलाला, बहुविवाह एवं शरिया अदालत के पक्ष में उतरे मुल्ले-मौलवी और मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड और ‘कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है’ की घोषणा करने वाले राहुल गांधी को देश में सांप्रदायिकता पैदा करने का दोषी नहीं ठहराया, बल्कि उनका आसान निशाना प्रधानमंत्री मोदी और पूरी मोदी सरकार थी। इसे गोल शिफ्टिंग कहते हैं, जिसमें प्रोपोगंडा जर्नलिस्ट बेहद एक्सपर्ट होते हैं, फिर राजदीप तो प्रोपोगंडा बिरादरी के प्रोफेसर ठहरे!
Promoting communal divides is not the 'achche din' we want.. my take! https://t.co/q7SA7h2PTZ
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) July 17, 2018
सेक्यूलर अंडरवर्ल्ड का देशभक्त दाऊद इब्राहिम!
अब दूसरे मुद्दे पर आते हैं। यह माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम से संबंधित है। राजदीप ने संजयदत्त की जीवनी पर बनी फिल्म ‘संजू’ देखने के बाद उन्होंने एक लेख लिखा। वामपंथी वेब स्क्रॉल पर उसका शीर्षक है- Was Sanjay Dutt a terrorist?: It’s grey, says Rajdeep Sardesai as he recalls Mumbai’s ’92-’93 trauma.
राजदीप ने लिखा- 1992 का मुंबई ब्लास्ट दिसंबर 1992 में तोड़े गये बाबरी मसजिद की प्रतिक्रिया थी, उससे पूर्व पूरा अंडरवर्ल्ड सेक्यूलर था। एक तरह से राजदीप सरदेसाई मुंबई दंगे में दाऊद एंड गिरोह के प्रति संवेदना जगाने के लिए क्रिया-प्रतिक्रिया थ्योरी के आधार पर उसे जस्टिफाई कर रहे हैं, जबकि गोधरा के साबरमती एक्सप्रेस की प्रतिक्रिया में गुजरात दंगे को वह हमेशा से सिरे से खारिज करने वालों में सबसे आगे रहे हैं।
राजदीप सरदेसाई की दाऊद इब्राहिम के बारे में सोच देखिए-
* The Mumbai blasts were a “reaction” to the totality of events in Ayodhya and Mumbai in December 1992 and January 1993.
* Pre-December 1992, Dawood was a much-feared gangster and gold smuggler but there is little evidence to show that he was a terrorist or, indeed, an ISI agent.
* It wasn’t just the Indian cricketers who were being wooed by the Dawood-led underworld in the early 1990s but even the film industry would happily attend his Dubai parties and even agree to dance at them.
* It is true that Sunil Dutt was threatened for his relief work during the riots by those who had split Mumbai into Hindu versus Muslim.
* While the Congress in Mumbai was on the retreat in 1992-’93, the Shiv Sena and Bal Thackeray were on the ascendant.
राजदीप की भाषा में साफ-साफ दाऊद को हिंदुओं द्वारा पीडि़त और देशभक्त कहने का प्रयास दिखता है। वैसे भी वह उस दौर में वह टाइम्स ऑफ इंडिया में लेख लिखकर दाउद का बचाव कर चुके हैं, इसलिए उनका दाऊद प्रेम और हिंदुओं से नफरत कोई नया नहीं है! जोगेश्वरी के स्लम बस्ती में हिंदू परिवारों पर हुए हमले को वह छोटी घटना करार देते हैं। वह लिखते हैं कि 1992 से पहले अंडरवर्ल्ड पूरी तरह से सेक्यूलर था, लेकिन जनवरी 1993 में वह हिंदू-मुसलमान में बंट गया। अब अंडरवर्ल्ड के लिए कोई ‘सेक्यूलर’ शब्द का प्रयोग करे, तो आप समझ सकते हैं उसकी मानसिक दशा? आज यदि ‘सेक्यूलर’ शब्द गाली बना गया है तो यह राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकारों की मेहरबानी है।
दाऊद के प्रति राजदीप का प्रेम देखिए। आगे राजदीप लिखते हैं- 1992 से पहले दाउद एक गैंगस्टर और सोना तस्कर था। उसके आतंकवादी या आईएसआई एजेंट होने का सबूत नगण्य था। राजदीप ने दाऊद को देशभक्त तक साबित करने का प्रयास किया है, और इसके लिए 1991 में भारत-पाकिस्तान के बीच खेले गये शारजाह मैच का जिक्र किया है कि दाऊद वीआईपी बॉक्स में बैठकर मैच देख रहा था, जहां तिरंगा मौजूद था! यहां दाऊद को देशभक्त साबित करने में आत्मग्लानि से उबरने के लिए राजदीप ने मुसलिम कार्ड खेला है और लिखा है कि बार-बार मुसलमानों को देशभक्ति का सबूत देना पड़ता है। राजदीप का लिखा पढि़ए, जिसमें साफ-साफ दाऊद और उसके गिरोह के प्रति सहानुभूति और बाबरी ध्वंश के लिए हिंदुओं के प्रति नफरत दिखेगा-
The 1992-’93 riots changed all that: from being a flag-waving patriot, Dawood was now a RDX-wielding Pakistan-sponsored terrorist targeting the city of his childhood; Tiger Memon was his chief henchman (Tiger’s travel agency office that was a cover for his criminal activities was attacked in the January riots) while Tiger’s brother Yakub, who was hanged in 2015, actually ran a successful chartered accountancy firm in Mumbai’s Mahim area with a Hindu partner, Chetan Mehta. Net-net: the 1993 blasts were a diabolical awful “Muslim” criminal conspiracy but whose origins lie once again in the tragic events of December 1992 and January 93.
एक गैंगस्टर, अपराधी है, कानून तोड़ने वाला है और यही काफी है कि वह देश के न्यायतंत्र में भरोसा नहीं करता है। यही देशद्रोह है। लेकिन राजदीप जैसों ने दाउद को तिरंगा लहराने पर देशभक्त साबित कर उस पर लगे आतंकवाद को पोंछने का प्रयास किया? इसकी जांच होनी चाहिए थी कि आखिर दाऊद के पक्ष में कोई पत्रकार 1992-93 से लगातार जब भी मौका मिलता है, क्यों लिख रहा है? राजदीप तो यह तक लिख गये कि मुंबई से दाऊद बहुत प्यार करता था।
अब आप खुद देखिए कि राहुल गांधी और दाऊद इब्राहिम का किया भी राजदीप सरदेसाई पोंछने का प्रयास कर रहे हैं और सारा दोष हिंदुओं और प्रधानमंत्री मोदी के सिर डाल दे रहे हैं! क्या इसे पत्रकारिता कहते हैं? मुंबई ब्लास्ट पर लिखने में वह यह कहीं नहीं लिखते कि 500 साल से अयोध्या के उस स्थान को लेकर विवाद चल रहा है या उसके लिए पिछले 500 साल में कितने लोगों ने अपनी जान दी है, वह तो लिखते हैं कि 500 साल पुराने एक मसजिद को हिंदुओं ने तोड़ दिया, जिसके कारण दाऊद जैसा देशभक्त आतंकवादी बन गया!
वह लिखते हैं कि राहुल गांधी ने ‘कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी’ जैसा कुछ नहीं कहा, यह तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्री हैं, जो चुनाव के मद्देनजर ध्रुवीकरण करने के लिए झूठ फैला रहे हैं! यह आदमी पत्रकार है? सोचिए, हमारी पत्रकारिता किस तरह से गांधी परिवार और पाक परस्त आतंकवादी, दोनों की कैद में है?
URL: Rajdeep Sardesai love to Rahul gandhi and Dawood Ibrahim
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