अवधेश कुमार मिश्र। आज देश एक अजीब मोड़ पर खड़ा दिख रहा है। कुछ राजनीतिक पार्टियां और उनके नेता अपनी राजनीतिक जमीन खिसकती देख देश को ही बांटने के षडयंत्र में लग गए हैं। बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी व लालू यादव की फैमिली पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता रमई राम ने तो खुलेआम हरिजनिस्तान नाम से अलग देश की मांग की है। वहीं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की शह पर अब बंगाल को अलग मुगलिस्तान देश बनाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। बंगाल में हाल ही में हुए सांप्रदायिक दंगों से इसे समझा भी जा सकता है। बंगाल में चल रहे देश बांटों षड्यंत्र का खुलासा अमेरिकी पत्रकार जेनेट लेवी ने की है। उन्होंने अपने एक लेख में दावा किया है कि ममता बनर्जी के संरक्षण में बंगाल शीघ्र ही एक अलग इस्लामिक देश मुगलिस्तान बनने वाला है।
पश्चिम बंगाल में हाल में घटी सांप्रदायिक घटनाओं पर ध्यान दें तो लेवी का खुलासा बिल्कुल सही लगता है। बंगाल एक ऐसा राज्य बन गया है जहां हिंदू अपने सांस्कृतिक पर्व को खुल के नहीं मना पा रहे हैं। रामनवमी पर बंगाल के आसनसोल और रानीगंज में हुई सांप्रदायिक हिंसा इसी का उदाहरण है। मुस्लिम समुदाय को लोगों ने सरेआम हिंदू समुदाय के सैकड़ों लोगों को बेघर कर दिया। मुस्लिमों ने रामनवमी को रमजान बना दिया। कितने ही लोगों की रोजी-रोटी छीन ली। कहा तो यहां तक जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय को हिंदुओं पर अत्याचार करने के लिए खाड़ी देशों से फंडिंग की जा रही है। उनलोगों ने बेखौफ होकर कत्लेआम किया। उनका नंगा नाच देखकर लगता है कि प्रदेश की सत्ता दंगाई मुस्लिमों का संरक्षक बनी हुई है।
भारतीय संस्कृति का प्रतीक रहा बंगाल आज हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा का पनाहगाह बन चुका है। वैसे बंगाल में सांप्रदायिक हिंसा का इतिहास काफी पुराना है लेकिन अब तो हिंदुओं के पर्व त्योहार मनाए जाने पर भी रोक लगनी शुरू हो गई।
लेवी ने अपने लेख में दावा किया है कि ममता बनर्जी किसी कीमत पर अपनी सत्ता बचाने के लिए मुस्लिमों को मुगलिस्तान बनाने तक का समर्थन कर सकती है। कहा गया है कि उनकी सहमति पर ही तलवार के दम पर भारत का एक और विभाजन करने का खांका खीचा जा रहा है। हिंदुओं को मौत के घाट उतार कर बंगाल के मुस्लिम समुदाय बंगाल को अलग मुगलिस्तान देश बनाने की मांग करेंगे। अपने लेख में उन्होंने जो तथ्य दिए हैं उसे झुठलाया नहीं जा सकता।
देश जब आजाद हुआ था उस समय पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों की जो आबादी महज 12 प्रतिशत थी वो आज बढ़कर 27 फीसदी हो गई है। वहीं पाकिस्तान के हिस्से वाला पूर्वी बंगाल, जिसे आज बांग्लादेश कहते हैं, वहां हिंदुओं की आबादी 30 प्रतिशत थी जो घटकर आज 10 फीसद से भी कम आठ फीसदी रह गई है। इस तरह मुस्लिमों की बढ़ती और हिंदुओं की घटती आबादी अलग देश बनाने की मांग को पुख्ता करती है। मालूम हो कि जिस देश में मुस्लिमों की आबादी 27 प्रतिशत से अधिक हो जाती है वहां पर मुस्लिम समुदाय सरिया कानून की मांग के आधार पर अलग देश की मांग करने लगते हैं और फिर वहां हिंदुओं को सांप्रदायिक दंगों को झेलना पड़ता है। और धीरे-धीरे उसकी आबादी घटती चली जाती है।
लेवी ने बंगाल में लगातार हो रहे चुनाव में ममता बनर्जी की हो रही जीत को इसी नजरिए से दिखाने की कोशिश की है। उन्होंने अपने लेख में दावा किया है कि मुस्लिमों और ममता बनर्जी में लेन-देन का फंडा चलता है। मुस्लिम उन्हें वोट देकर जिताते हैं बदले में ममता बनर्जी मुस्लिमों को खुश करने के लिए उनके हित में नीतिया बनाती हैं।
खाड़ी के पैसों से चलते जिहाद को ममता का साथ
लेख में यह भी खुलासा किया गया है कि किस प्रकार सउदी अरब के पैसों से चलने वाले हजारों मदरसों को मान्यता देकर उनकी डिग्रियों को सरकारी नौकरी के लिए मान्यता दी जा रही है। उन मदरसो में बच्चों को कट्टरता की शिक्षा दी जाती है जहां खाड़ी देशों से धन आता है। ममता सरकार मस्जिदों के इमामों को हर सुविधा दे रही है, इतना ही नहीं सरकार ने तो बंगाल में इस्लामिक शहर बनाने का प्रोजेक्ट भी शुरू किया है। बंगाल भर में सरकार मुस्लिम समुदायों के लिए मेडिकल, टेक्निकल कॉलेजों के अलावा नर्सिंग स्कूल खोल रही है ताकि एक खास समुदाय को बेहतर और सस्ती शिक्षा मिले। सरकार की तरफ से मुस्लिम लड़कों को योजना के तहत लैपटॉप दिए जा रहे हैं लेकिन वहीं मुस्लिम समुदाय की लड़कियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। अपने लेख में लेवी ने दुनिया भर के ऐसे कई उदाहरण दिए हैं जहां मुस्लिम आबादी बढ़ने के साथ ही वहां आतंकवाद, कट्टरता और अपराध बढ़े हैं तथा इसकी अंतिम परिणति देश बर्बाद होने के रूप में हुई है।
2013 से उठ रही है अलग मुगलिस्तान की मांग!
बंगाल को अलग मुगलिस्तान देश बनाने की मांग सबसे पहले साल 2013 में कट्टरपंथी मौलानाओं ने शुरू की। याद हो कि इसी साल बंगाल में हुए सांप्रदायिक दंगे में सैकड़ों हिंदुओं के घर उजार दिए गए और दुकानें लूट ली गईं, लेकिन सरकार दंगाइयों के खिलाफ पुलिस को कुछ नहीं करने दिया। और अब नया षड्यंत्र के तहत मुस्लिम बहुल आबादी वाले जिलों से हिंदुओं को पलायन करने पर मजबूर किया जा रहा है। मालदा, मुर्शिदाबाद जैसे जिलों के मुसलमानों ने हिंदू व्यापारियों का अघोषित रूप से बहिष्कार कर रखा है, ताकि वे अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए पलायन करने पर बाध्य हों। जम्मू-कश्मीर से पंडितों की तरह ही बंगाल में हिंदू अपना घर और कारोबार छोड़कर दूसरी जगह जाने को मजबूर हैं। पलायन के कारण ही हिंदू कई जिलों में तो अब अल्पसंख्यक हो गए हैं। अगर यही दशा रही तो एक दिन पूरे प्रदेश में हिंदू अल्पसंख्यक हो जाएंगे।
सड़क से लेकर संसद तक बिछा रखा जाल!
मुस्लिमों की तुष्टिकरण करने के लिए ममता बनर्जी ने तो सड़क से लेकर संसद तक संजाल बना रखा है। प्रदेश में जहां प्रशासन के माध्यम से मुस्लिमों को सरंक्षण दिया जा रहा है वहीं आतंकियों को संसद में भेजकर वहीं भी उसका पुख्ता इंतजाम करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है।
भारत में बंगाल की दशा को देखते हुए पत्रकार लेवी ने तो पश्चिमी देशों को भी मुस्लिम शरणार्थियों को शरण देने में सचेत रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि जो भी देश मुस्लिमों को शरणार्थी के रूप में शरण दे रहे हैं आज न कल उन्हें भी इन समस्याओं का सामना करना पड़ेगा
कोई प्रदेश संप्रदाय के नाम पर तो कोई प्रदेश अब जाति के नाम पर अलग देश बनाने की मांग करने लगा है। आपको याद होगा, इसी प्रकार एक समय पंजाब में भी कुछ आतंकियों ने अलग खालिस्तान देश बनाने की मांग की थी।
बिहार में भी दलितों का अलग देश बनाने की मांग!
बिहार के आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व मंत्री रमई राम ने भी हरिजनिस्तान के नाम से दलितों के लिए अलग देश की मांग की है। उनका कहना है कि देश में दलित अब दोयम दर्जे का नागरिक बनकर और नहीं जी सकते इसलिए हरिजनिस्तान के नाम से एक अलग देश बनाने की मांग की है।
जेडीयू से निष्कासित और शरद यादव के वफादार माने जाने वाले नेता रमई राम ने कहा कि देश के दलितों से अब संवैधानिक अधिकार छीने जा रहे हैं, उनकी गरिमा और सम्मान को ठेंस पहुचाई जा रही है। इसलिए वे अब अपने ही देश में दोयम दर्जे का नागरिक बनकर नहीं रह सकते। इतना ही नहीं उन्होंने कहा है कि हरिजनिस्तान की मांग कोई नई नहीं है। सबसे पहले बाबा साहेब भीमराव अंबेदकर ने ही दलितों के लिए अलग देश हरिजनिस्तान बनाने की मांग की थी। लेकिन उस समय संविधान में दलितों के लिए अलग से विशेष अधिकार शामिल करने की बात कह कर उनकी असली मांग को खारिज कर दिया गया।
लेकिन एक बार फिर संविधान में दलितों के लिए निहित विशेष अधिकारों का हनन किया जा रहा ऐसे में दलितों के लिए हरिजनिस्तान नाम से अलग देश का निर्माण ही जरूरी हो गया है। अलग देश बनाने की मांग के साथ ही रमई राम ने 2 अप्रैल को एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में किए गए आंदोलन में मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा देने की भी मांग की है।
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